लघु नाटिका श्रृंखला )
नौटंकीबाज – भीष्म कुकरेती
गुरा – हे हे ! सूण ! श्रीमान जी ! मि त्वे खै सकुद क्या ?
मूसु – अरे ब्वा जी ब्वा ! इथगा नम्र ? इन त नेता लोक बि ना।
गुरा – मि तैं कै तैं तंग करण भल नि लगद। मि त्वे ….
मूसु – तीन कुछ ऑवर मांग हूंद त भगवान की सौं अबि। पर जिंदगी क प्रश्न च। कुछ हौर ?
गुरा (आँखो म अंसदारी ) -अर्थात ना ?
मूसु – ये मेरी ब्वे तू त बच्चा गुरा छे ?
गुरा -हाँ , साधारण तया ब्वे खलांदी छे पर आज वींन घर से भैर कर दे कि – अफि कुछ कौर ,अफिक भोजन जुटा। मीन कत्या दिन बिटेन भोजन नि कार।
मूसु – ये मेरी ब्वे ! एनएमआर बि अर सच्चो बि।
गुरा – अच्छा हम दगड़्या बण सकदा क्या ?
मूसु – किलै ना हम दगड़्या छा अब।
गुरा – त अब मि त्वे खै सकुद ?
मूसु – ना अर्थात ना।
गुरा -पर दगड़्या त एक हैअंक तैं भोजन कुण आमंत्रण दींदन।
मूसु – मि मरण नि चांदो। तू मिंडक किलै नि पकड़दी ?
गुरा – ना मैं मूस अधिक सवादी लगद। अर मिंडक पकड़म जल्दी नि आंदन। मीन भौत सा मिंडकों तैं पूछ च पर तौंन झिड़की दे। सि छ्वीं लगाण म बि बड़ा कर्कश छन। अरे मादा न्र तै कथगा कर्कश ध्वनि म भट्यांदि। बड़ा ठसठस लगदन सि। दयालु नि छन।
मूसु – भये जिंदगी इनि च। दयालु की इख इनि कुगति हूंद । दिखदी जु सड्यां गळ्यां मांस खाई जांदन सि गरुड़ चिलंग उच्ची जगा म हूंदन। उच्च पद हेतु टुच्चा हूण आवश्यक च। तुच्छता से उच्च स्थान प्राप्त हूंद। कमीना हूण आवश्यक च
गुरा – मेरि ब्वे बि िनी बुलद। किन्तु मि बुद्ध से शापित छौं। में पर अहिंसा क बहुत जि चढ़ जांद।
मूसु – बुद्ध शापित ?
गुरा – हाँ कबि हमर पुरखों न बुद्ध तैं काट दे छौ त बुद्ध का शिष्यों श्राप दे दे छौ कि हम मदे कुछ बच्चा दयालु होला , अहिंसावादी होला।
मूसु – राजनीति अर पशु जीवन म अहिंसावाद ? भुखि मरणै बात। अर्थात तु गुरा क बच्चा बि नि खैली ?
गुरा – हाँ तबि त मि त्वे से प्रार्थना करणु छौं कि मि त्वै खै सकुद ?
मूसु – मूस इ खाण ना ?
गुरा – हां सि बिंडी सवादी हूंदन।
मूसु -चल ठीक च हम एक गठबंधन करदां।
गुरा -गठबंधन ?
मूसु – हां ! हाँ गठबंधन
गुरा – गठबंधन मि तैं क्या करण पोड़ल ?
मूसु -मि सब मूस लुखंदरों नेता बणन चाणु छौं। तो जै मूस या लुखंडर तैं मि बुलल त्वै वै तैं मारण पोड़ल .
गुरा -पर मि मूस मार सकुद छौं ?
मूसु – हाँ हाँ किलै ना ? एक बार तू मन म बात बैठायी दे कि तू कौर सकदी तो तू मूस मार सकदी। सोच कि तू म्यर शत्रु मूसूं तैं मार सकदी।
गुरा – मि सुचदु छौं कि मि त्यार शत्रु मूस लुखंदरों तैं मार सक्दो।
मूसु – बार बार अपर मन म बोल कि तू म्यार सब शत्रुओं तै मारी देली।
गुरा – मि त्यार सब शत्रुओं तै मार देलु।
मूसु – अब सूण ! म्यार बगल क मुसदुंळ म म्यार शत्रु नंबर एक रौंद वै तै मारिक आ।
(कुछ देर उपरांत गुरा बगल क मुसदुंळ म बड़ा मूस मारिक आयी गे )
मूस – देख ाल तीन तू मूस मारी सकदी छे। जा तिसर मुसदुंळ म जा अर म्यार हैंको बैरी तै मारिक ा।
गुरा – ठीक च मि तै मारिक आन्दो