उत्तराखंड चिकित्स पर्यटन विकास श्रृंखला
सहजन का औषधि उपयोग
सहजन या मोरिंगा के कई आयुर्वेदिक फायदे हैं, जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना, पाचन सुधारना और रक्तचाप तथा कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना। यह डायबिटीज, हृदय रोग, त्वचा की समस्याओं और वजन घटाने में भी मदद कर सकता है। सहजन का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है, या इसके पत्तों की चाय बनाकर पी सकते हैं। हालाँकि, कुछ लोगों को इसका सेवन करने से बचना चाहिए, जैसे कि गर्भवती महिलाएं या निम्न रक्तचाप वाले व्यक्ति।
सहजन के फायदे
- प्रतिरक्षा प्रणाली:
सहजन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और सर्दी-खांसी जैसी बीमारियों से बचाव में मदद करते हैं।
- पाचन:
इसमें भरपूर फाइबर होता है जो पाचन में सुधार करता है और कब्ज, अपच और गैस की समस्या को ठीक करने में मदद करता है।
- रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल:
सहजन रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- त्वचा:
इसमें मौजूद विटामिन ए, सी और ई त्वचा को रेडिकल्स से बचाते हैं, कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा देते हैं और त्वचा की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं।
- अन्य लाभ:
यह हीमोग्लोबिन को बेहतर बनाने, लिवर और किडनी को डिटॉक्सीफाई करने, तनाव कम करने, और महिलाओं में दूध उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक हो सकता है।
उपयोग और सेवन
- सहजन की फली को सब्जी के रूप में पकाया जा सकता है।
- इसके पत्तों को सुखाकर या ताजे पत्तों को उबालकर चाय के रूप में पिया जा सकता है।
- पत्तों का काढ़ा गठिया और साइटिका जैसे दर्द में आराम दे सकता है।
- मोच आने पर सहजन के पत्तों को सरसों के तेल के साथ पकाकर लगाने से फायदा हो सकता है।
- सहजन की छाल का सेवन भी कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के लिए फायदेमंद हो सकता है।
सावधानियां
- गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और जिन लोगों को ब्लीडिंग डिसऑर्डर है, उन्हें सहजन का सेवन करने से बचना चाहिए।
- निम्न रक्तचाप वाले लोगों को भी सहजन का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे रक्तचाप और बढ़ सकता है।
- किसी भी नई चीज़ को डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है, खासकर यदि आप किसी विशेष स्वास्थ्य स्थिति से पीड़ित हैं।
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—————-खेती
सहजन की खेती के लिए खेत में 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेमी के गड्ढे बनाए जाते हैं, जिसमें सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाई जाती है। बीज या कलम से पौधे लगाए जा सकते हैं, और रोपण के लिए जून से सितंबर का समय उपयुक्त होता है। नियमित सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, और कीट व रोग प्रबंधन महत्वपूर्ण हैं, और फूल आने के समय अधिक तापमान से बचना चाहिए।
मिट्टी और मौसम
- मिट्टी:
व्यावसायिक खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, जिसका pH मान 6 से 7.5 हो।
- मौसम:
यह पौधा धूप और गर्मी पसंद करता है, और 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा होता है। पाला (frost) से इसे नुकसान होता है।
रोपण
- तैयारी:
खेत को खरपतवार से साफ करें और 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेमी के गड्ढे खोदें।
- खाद:
गड्ढों को ऊपरी मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर भरें।
- बीज या कलम:
आप सीधे गड्ढों में या पॉलीथीन बैग में उगाए गए पौधों को जून से सितंबर के बीच लगा सकते हैं। कलम से पौधे लगाने के लिए, 45 सेमी से 1.5 मीटर लंबी और 10 सेमी मोटी कलम का प्रयोग करें।
देखभाल
- सिंचाई:
सहजन के पौधे को नियमित रूप से पानी दें, खासकर सूखे मौसम में।
- खरपतवार:
समय-समय पर खरपतवार हटाते रहें ताकि पौधे को उचित पोषण मिले।
- प्रूनिंग:
हर साल फल तोड़ने के बाद, तने को जमीन से एक मीटर की ऊंचाई तक काटकर सही आकार दें, इससे भविष्य में उत्पादन बढ़ता है।
- कीट और रोग:
विषाणुरोधी औषधियों का उपयोग करके कीटों और रोगों से बचाव करें।
अतिरिक्त जानकारी
- सहजन की खेती के लिए आप स्थानीय कृषि विभाग या विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं।
- इसकी खेती से आप अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि इसके पत्ते, फूल और फलियां सभी पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं।