कुमाऊं मोटर ओनर्स यूनियन का उत्तराखंड पर्यटन में योगदान
( ब्रिटिश युग में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म- 10)
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -70
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
ब्रिटिश काल में ही आधुनिक कुमाऊं पर्यटन को प्रसिद्धि मिल चुकी थी। कुमाऊं में ब्रिटिश प्रशासनिक हेड क्वार्टर होने से अधिकारी अल्मोड़ा आते जाते रहते थे और वे विभिन्न माध्यमों में कुमाऊं वर्णन कर कुमाऊं छवि वर्धन करते थे। जिम कॉर्बेट ने बाग़ रुद्रप्रयाग में मारे किन्तु पुस्तक ‘मैं ईटर ऑफ कुमाऊं ‘ (कुमाऊं कमिश्नरी थी ) के नाम से प्रकाशित की। इस तरह के प्रकाशनों व अधिकारियों द्वारा कुमाऊं की पर्यटन हेतु सकारात्मक छवि बनी।
मोटर व रेल आने के बाद कुमाऊं पर्यटन को नए संबल मिले। मोटर आने के बाद तो ग्रामीण कुमाऊं पर्यटन को नए नए आयाम मिले।
मोटर मालिकों के मध्य अनावश्यक प्रतियोगिता रोकने व मोटर परिहवन में जन सुविधा के मद्दे नजर ब्रिटिश अधिकारी मालिकों की यूनियन बनाने पर जोर देते थे।
गोविन्द बल्ल्भ पंत के अथक प्रयत्न से 1939 में कुमाऊं मोटर ओनर्स यूनियन ( KMOU )की स्थापना काठगोदाम में हुयी। निम्न सदस्य प्रथम बैठक में थे –
जे बधान स्कैयर – अध्यक्ष
पृथ्वीनाथ भार्गव – निदेशक
ई जे दा फोइनसिका – जनरल मैनेजर
इंद्रजीत भसीन –सदस्य
भवानी दत्त चंदोला -सदस्य
भवानी दास शाह — सदस्य
शिव लाल शाह –सदस्य
गुसाईं सिंह – सदस्य
उर्वा दत्त जोशी – सदस्य
जनरल मैनेजर ई जे दा फोइनसिका ने 23 प्रस्ताव रखे जो सर्वसहमति से स्वीकृत हो गए। सर्वसहमति बनी कि संस्था का प्रधान कार्यालय काठमांडू में होगा और स्थान विशेषता के अनुसार कुमाऊं में चेक पोस्ट व स्टेशन खोले जायँ।
आज KMO U के बस स्थानकों में निम्न यात्रा सुविधाएँ उपलब्ध हैं
१- सभी तरह की परिहवन सेवाएं
२-पीने का जल
३- टिकट बुकिंग
४- भोजन व कैंटीन
५- आराम स्थान
६- ATM
७- यात्री सूचना केंद्र
८- प्री पेड टैक्सी सुविधा
९- प्री पेड रिक्शा सुविधा
१०- शौचालय
११- पुलिस गस्त
१२- अन्य सुरक्षा प्रबंध
-काठगोदाम से अल्मोड़ा , नैनीताल, जागेश्वर धाम , मुक्तेश्वर , रानीखेत , मुनसियारी हेतु सीधी परिहवन सेवायें उपलब्ध हैं . इसमें कोई संदेह नहीं कि KMOU ने कुमाऊं पर्यटन में सर्वाधिक योगदान दिया है। KMOU का प्रबंधन बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर पद्धति से होता है।