बौ सरैला लोक गीत : आज भी हिट है
सतपुली गीतमाला – ३
इंटरनेट प्रस्तुति – भीष्म कुकरेती
ब्रिटिश काल मे सतपुली अस्तित्व में आया। जब सतपुली नयार तट पर बस स्थानक निर्मिाण हुआ। इससे पहले बांघाट नयार पार व वार को जोड़तने वाला प्रसिद्ध ढाकरी बजार था। शीघ्र ही सतपुली ने प्रसिद्धि पायी और प्रेम गीतों हेतु सतपुली आधार बन गया। संभवतया प्रेमी सतपुली में मिलते रहे होंगे तो लोक रचयिताओं ने सतपुली पर आधार कई गीतों की रचना की जो सभी हिट हुए प्रसिद्ध हुए। एक हिट गीत निम्न है –
बौ ए . नि जाणो नि जाणो
मेरि बौ सरैला , ए बौ सरैला
ए खाई जाला क्याळा
ए सतपुळि उर्युं च बौ ए
पंचमी कु म्याळा मेरि बौ सरैला
ए लूण भोरि दूण, भोरि दूण
ए सतपुळि नि जाण बौ ए
झगड़ान हूण ,मेरि बौ सरैला
ए ढीबरा का छौना , ए छौना
ए सतपुळि अयाँन बौ ए
तारा दत्ता का नौना
मेरि बौ सरैला
ए बौ हारा जौ का झीस , बौ ए झीस
ए सतपुळि अयूं च बौ ए
त्यार द्यूर ‘हरीश’ , मेरि बौ सरैला
ए दूदा कि कटोरि , ए बौ कटोरि
ए सतपुळि ऐ गेन बौ ए
कानून गो, पट्वरि , मेरि बौ सरैला
ए खाई जाली लौकि , बै ए लौकि
ए त्यारा बाना द्याख बौ ए
लैंसडौना चौकि मेरि बौ सरैला
बौ ए . नि जाणो नि जाणो , मेरि बौ सरैला