Presented by Bhishma Kukreti
( Manuscript : Dharmma nand Pasbola, village Naini, Banghat Paurigarhwal , Ramkrishn kukreti, vill Barsudi )
(Collected and edited by Dr Vishnu Datt Kukreti , vill. Barsudi, Langur Valla)
नाथपंथ ने कुमाऊं – गढ़वाल क्षेत्र को की देवता व मन्तर दिए है . इनमे एक मन्त्र ग्विल्ल , गोरिल देवता का सभी गाँवों में महत्व है . यदि किसी पर ग्विल्ल/गोरिल का दोष लग जाय तो मान्त्रिक दूध , गुड, राख आदि को मंत्रता है और यह मन्त्र इस प्रकार है :
ॐ नमो गुरु को आदेस
रिया : हंकार आऊ : बावन ह्न्तग्य तोडतो आऊ : हो गोरिया : कसमीर से चली आयो : जटा फिकरन्तो आयो,: घरन्तो आयो :गाजन्तो आयो : बजन्तो आयो : जुन्ज्तो आयो : पूजन्तो आयो : हो गोरिया बाबा : बारा कुरोड़ी क्रताणी : कुबन्द : नौ करोडी उराणी कुबन्द : : तीन सौ साट : गंगा बंद , नौ सौ नवासी नदी बंद : यक लाख अस्सी हजार वेद की कला बंध : रु रु बंद : भू भू बंद : चंड बंद : प्रचंड बंद : टूना पोखर बंद : अरवत्त बंद : सब रत्त बंद :अगवाडा बंद का बेद बंदऊँ : पीछे पिछवाडा को बेद बंदऊँ : महाकाली जा बन्दों : वन्द वन्द को गोरिया : हो गोरिया : नरसिंग की दृष्टा बंद : युंकाल की फांस बंद : चार कुणे धरा बंद : लाया तो भैराऊं बंद : खवायाँ चेडा बंद : सगुरु विद्या कु बंद निगु
This Mantra reveals that Goril came from Kashmir by crossing all hurdles and was a brave, tactful, and knowledgeable personality. Goril was also known to solve various problems of common men, geographical or psychological. Goril was available to solve various problems
If readers read the Goril mantra carefully, they will come to the conclusion that there is very less difference in Markendey Puran (Devi Puran) and Goril mantra except that Markendey Puran is in Sanskrit and there is the praiseful history of Devi and Goril Mantra is described in Khadi Boli/Braj with some mixing of Garhwali of old time
इस मन्तर के अध्ययन से साफ़ पता चलता है की इस मन्तर में गोरिल की वीरता व ज्ञान की प्रशंशा की गयी है
(गोरिल कलुआ देव के भाई थे और राजतंत्र या अधिनायक तंत्र के विरुद्ध जन आन्दोलन में भाग लेते थे एवम वे विकराल रूप भी धारण करते थे यही कारण है की गोरिल ग्राम देवताओं की सूची में आते हैं क्योंकि वे जन नेता थे )