महान मनोवैज्ञानिक पतंजलि
(भारतौ प्राचीन वैज्ञानिक – २५ )
संकलन – भीष्म कुकरेती
महर्षि पतंजलि भारत इ ना संसारा सबसे बड़ मनोवैज्ञानिक ह्वेन । शरीर व मन का जोड़ /योग का बारा म पतंजलि न योग संहिता रची योग पर १९५ सूत्र देन। पतंजलि तैं योग का जनक बुले जांद . पतंजलि बड़ा म कम से कम जानकारी च। पतंजलि पांणी क शिष्य छा व काशी कर्मस्थल छौ। इन मने जांद बल ब्राह्मण राजा पुष्यमित्र (१९५ -१४२ िश्वि पूर्व ) क राज म यूंको जन्म गोंडा म ह्वे अर कशी म बस गए छा. यूंका जीता जी जनता पतजंलि तैं शेषनाग का अवतार मनण लग गे छा।
योग अर्थात शरीर व मन का जोड़ी उपयोग अर सब मनोविज्ञान ही च। शरीर विज्ञान व मनोविज्ञान का सही उपयोग.
पतंजलि न पुष्य मित्र क राजपुरोहित व मुख्य सलाहारकार व्याकरणाचार्य पाणिनि से शिक्षा ग्रहण करि छे। पतंजलि न पांणी क अष्टाध्यायी पर भाष्य ‘ महाभाष्य नाम से लिखी छौ. उन कुछ बुल्दन बल महाभस्य क रचनाकार अर योग संहिता का रचना कार। महाभाष्य व योग संहिता की भाषा व शैली म समानता च।
पतंजलि न योग तैं आम मानव कुण सरल भाषा म सूत्र देनि। पतंजलि योगसंहिता से आम लोगों मध्य योग का प्रति रूचि बढ़ अर बाद म आतंकवादी मुस्लिम शाशन म शून्य ह्वे गे छे। पुनः विवेका नंद का समय योग पर लोगों ध्यान गे व अब योग गुरु स्वामी रामदेव व भारत का प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयास से भारत म योग घर घर की बात ह्वे गे।
योग संहिता का अरबी व अन्य भाषाओँ तब ही अनुवाद ह्वे गए छौ जब तक आतंकवादी मुस्लिम शासन नई आयी छौ।
पतंजलि क योग संहिता म निम्न चार भाग छन –
साधना पद – ५१ सूत्र
समाधी पद -५५ सूत्र
विभूति पद – ५५ सूत्र
कैवल्य पद- ३४ सूत्र
पतंजलि वाकरण का बड़ा विद्वान् छा जु उन्क योग संहिता से सिद्ध हूंद। एक एक शब्द व सूत्र महत्वपूर्ण च। एक सूत्र ना तो कम करे सक्यांद ना ही जोड़े सक्यांद।