
उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
उत्तराखंड , हिमाचल वाळुंण महाभारत ग्रंथ अति महत्वपूर्ण ग्रंथ च। महाभारत माकाव्य म उत्तराखंड संबंधित भौत सी कथा जुड़ी छन। इख तक कि गढ़वाल म दसियों लोक कथा महाभारत कथा संयदि श्लोक समज बंधित छन अर महाभारत को लिखणो शुरुवात की कथा बि उत्तराखंड से जुडीं च।
महाभारत पाराशर – सात्वती पुत्र वैश्यम्पंन व्यास रचित महाकाव्य च जैक नाम पैल ;जय संहिता ‘ छौ। व्यास या महाभारत लिख्वार अवश्य ही गढ़वाली छौ या गढ़वाल को ज्ञानी छौ। एक लोक कथा अनुसार महर्षि व्यास रूड़ियोन म माणा म रौंद छा व जड्डुं म बनेलस्यूं क व्यासचट्टी म रौंद छा तो दुसर लोक कथा अनुसार व्यास श्री वो व्यासी म जड्डू समय रौंद छा।
व्यास श्री माणा गुफा म अति चिंतित छा कि तौन महाभारत रच तो याल किन्तु लिखणो समस्या जस को तस च। इनम ब्रह्मा श्री ऐन अर तौंन परामर्श दे कि महाभारत गणेश श्री से लिखवाओ।
ब्रह्मा श्री क जाणो उपरान्त व्यास श्री न गणेश श्री को स्मरण कार अर ध्यान कार। कुछ समय उपरान्त गणेश श्री प्रकट ह्वे गेन। व्यास श्री न गणेश श्री से महाभारत लिखणो प्रार्थना कार। गणेश श्री न एक शर्तों दगड़ स्वीकृति दे कि व्यास श्री तैं निरंतर श्लोक वाचन करण पोड़ल। यदि व्यास श्री रुक जाल तो गणेश श्री लिखण समाप्त कर द्याला।
व्यास श्री न बि शर्त धार कि गणेश श्री तैं श्लोक समज नि आवो तो नि लिखण। तो जब तक गणेश श्री क समज म श्लोक आंदो छौ तब तक व्यास श्री अगनैक श्लोक याद कर लींद छा।
एक कथा अनुसार महाभारत लिखद दैं बार बार तौंक कलम टूट जांदि छे। गणेश श्री न अपर एक दांत त्वाड़ अर दांत तैं कलम बणाई जो नरंतर लिखण म सक्षम छौ।