
प्रेरक वैज्ञानिक जीवन व वैज्ञानिक शोध कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
ऐन एस परिहार क विषय म भौत जानकारी क्या तुरांक भर जानकारी बि उपलब्ध नी च। बस इथगा इ जानकारी च कि एन एस परिहार जैगांव (अजमेर पट्टी , ) पौड़ी गढ़वाल का छन। जैगांव का एक बिष्ट जी म्यार सहपाठी छौ तौंन बतै छौ कि परिहार जी इलाहाबाद रंदन। मुंबई म जैगांव का बिष्ट जी (गढ़वाल दर्शन निवासी ) न बि बताई कि वो चाचा लगदन। प्रख्यात वनस्पतिशास्त्री डाक्टर आर डी गौड़ ( भू पु विभागाध्यक्ष गढ़वाल वि वि ) न बि बताई कि एन एस परिहार जैगांव क छन अर बिष्ट जी से गौड़ जी की साक्षात्कार केवल एक दैं ह्वे छे।
मि जब एमएससी म पढ़णु छौ तो ब्रायोफाइट्स अर टेरीडोफाइट्स क संदर्भ पुस्तक द्वी डाक्टर परिहार न ही लिखीं छे। अर डाक्टर परिहार से प्रेरणा लेकि मि सुपिन दिखण लग गे छौ कि एक दिन मेरी बि संदर्भ पुस्तक विश्व विद्यालयों म चलली।
भौत सा टेरीडोफाइट्स ( लिंगड़ -खुंतड़ ) अर ब्रायोफाइट्स का वैज्ञानिकों न डाक्टर एन . एस परिहार को टेरीडोफाइट्स अर ब्रायोफाइट्स वर्गीकरण तैं स्वीकार ही नि कार। मुख्यतया डाक्टर परिहार को कार्य ब्रायोफाइट्स (मोसेज ) पर च।
इन लगद डाक्टर परिहार न पचास से बिंडी रिसर्च पेपर्स अर तौळ क पुस्तक प्रकाशित करिन।
1 – ऐन इंट्रोडक्शन इन एम्ब्रायोफाइटा , वॉल्यूम 1 , ब्रायोफाइटा
2 – ऐन इंट्रोडक्शन इन एम्ब्रायोफाइटा , वॉल्यूम II , बटेरीडोफाइटा
3 – रिवाइज्ड सेंसस ऑफ इंडियन हिपेटिक्स (इलाहाबाद वि वि )
दुन्या म जब बि भारत म ब्रायोफाइट्स को अनुसंधान की छ्वीं लगली डाक्टर एन एस परिहार (जैगांव पौड़ी गढ़वाल ) को नाम लिए जालो।