(वियतनामी लोक कथा )
–
272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
–
तब वियतनाम पर चीनी राजा यू ” या’ वू ‘ को क्रूर,जनविरोधी अधिकार छौ (225 ई ) । वियतनामी सहीह राजवंश न प्रतिरोध कार तो चीनियों न लगभग दस सहस्त्र विद्रोहियों तै मौत क घाट उतार दे।
तब लेडी ट्रियू क आयु 19 वर्ष छे। बचपन म इ अनाथ हूण वळि ट्रू तैं तैंक भैजि न पाळ। लेडी ट्रू ुनीस वर्ष म चीनी दमन से दुखी ह्वेक अपर सेना बणैक चीनी दमन को विरोध करणो कुण चीन विरुद्ध युद्ध हेतु उद्यत ह्वे गे।
वींक भैजि ट्रिउ कॉडट डाट न तैं तैं रुकणों पर्यटन कार अर ब्यौ करणों परामर्श दे, तो लेडी ट्रू को उत्तर छौ , ” मि आंधी प्रलय से लड़न चाणु छौं , विरोधी लहरों से खिलण चाणु छौं अर परतंत्रता क आंधी तै मिटाण चाणु छौं। मि सर कटाण म वीरता मणदू किन्तु सर झुकाण ना. “
लेडी ट्रियू न को फोंग जनपद चुन अर चीनी राजा वू /यू क सेना तै तख द्वी वर्षों म तीस दैं हरायी अर मात दे। चीनी सैनिक लेडी ट्रियू क नाम से थर्र थर्र कम्पद छा।
अपमान से चीनी राजा अति क्रोधित ह्वे अर वैन ट्रियू क विद्रोह तै सदा कुण समाप्त करणों निश्चय कार। भौत बार हार जीत क पश्चात एक दिन लेडी ट्रियू शत्रु सेना क हथ आण वळ इ छे तो शत्रु क हथ चढ्न से बढ़िया तेन आत्म हत्या तै महत्व दे अर नदी म फाळ मारी अपर ज्यू दे दे।
तब से वियतनामी लेडी ट्रियू तैं देवी जन ही पूजदन।