कीर्ति शाह काल में पर्यटन उन्मुखी कार्य
First Hindi Typewriter inventor Kirti Shah
History of Hindi Type writer in India
( टिहरी रियासत में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -67
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
कीर्ति शाह काल 1887 -1913 है
पौड़ी -चमोली गढ़वाल पर ब्रिटिश शासन काल में सदाव्रत गाँवों की आय से 1850 ई से चिकित्सालय व धर्मशालाएं निर्मित होने लगे थे। टिहरी रियासत में यात्रा मार्ग व पर्यटकों की चिकित्सा लगभग उपेक्षित ही रही। टिहरी यात्रा क्षेत्र में विषैली मखियों के काटने से यात्रियों के पैरों में सूजन आ जाती थी व वे चलने में लाचार हो जाते थे। साथी यात्री उन्हें छोड़ जाते थे व कई भूख से मर जाते थे। इसके अतिरिक्त प्लेग , अपच व दस्त से यात्रियों को कष्ट होता था। टिहरी क्षेत्र के पर्यटन छवि धूमिल पड़ गयी थी और यात्री संख्या पर भी प्रभाव पड़ रहा था।
कीर्ति शाह ने ऋषिकेश से गंगोत्री -यमुनोत्री , मूखीम जाने वाले मार्गों का जीर्णोद्धार करवाया व चिकित्सालय खुलवाए व नदियों पर झूले बनवाये जिससे गंगोत्री -यमुनोत्री यात्रियों को बहुत लाभ पंहुचा। कीर्ति शाह ने सार्वजनिक निर्माण विभाग की स्थापना की राजधानी व प्रमुख मार्गों का जीर्णोद्धार किया गया। कई धर्मशालाएं भी खोले गए। कुछ डाक बंगले भी खोले गए। देवप्रयाग , प्रतापनगर , गंगोत्री व यमुनोत्री की व्यवस्था भार पुलिस को सौंप दी गयी। कीर्ति शाह ने कुष्ठाश्रम की भी स्थापना की।
हिंदी (देवनागरी ) टाइप राइटर अन्वेषण
कीर्ति शाह स्वयं भी बिलक्षण था। दरबार के
कई मैकेनिकल कार्य वह स्वयं करता था। देव नागरी टाइप राइटर की खोज का श्रेय कीर्ति शाह को जाता है किन्तु उसने अपना नाम न देकर निर्माण कार्य किसी कम्पनी को दे दिया। (भक्त दर्शन , गढ़वाल की दिवंगत विभूतियाँ पृष्ठ 190 )
कीर्तिनगर स्थापना
कीर्ति शाह ने गंगा तट पर श्रीनगर के समीप , मलेथा से कुछ दूर कीर्ति नगर की स्थापना की।
राजमाता द्वारा मंदिर निर्माण
कीर्ति शाह को राज मिलने से पहले राजकाज महारानी राजमाता गुलेरी चलाती थीं। कीर्ति शाह के राज भार संभालने के बाद राजमाता गुलेरी ने पुराने दरबार के नीचे बद्रीनाथ , रंगनाथ , केदारनाथ, गंगा जी मंदिर अपने गहने बेचकर निर्मित किये। राजमाता गुलेरिया ने यात्रियों हेतु एक धर्मशाला भी बनवायी जिसमे यात्रयों को मुफ्त रहने व भोजन का प्रबंध किया जाता था। राजमाता गुलेरिया ने अपने द्वारा निर्मित मंदिरों के प्रबंधन हेतु समिति भी बनाई थी। टिहरी के बद्रीनाथ मंदिर में संस्कृत में राजमाता का प्रशस्ति पत्र अंकित है।
सर्व धर्म सम्मेलन
राजा कीर्ति शाह सनातन धर्मी था किन्तु अन्य धर्मों का भी आदर करता था। एक बार कीर्ति शाह ने सनातन ,जैन ,आय समाज इस्लाम के विद्वानों को बुलाकर सर्व धर्म सम्मेलन करवाया जिसमे विद्वानों ने अपने धर्मों के बारे में मत दिए।
स्वामी रामतीर्थ आगमन
कीर्ति शाह को 1902 में पता चला कि स्वामी राम तीर्थ आये हैं तो कीर्ति शाह ने स्वामी राम तीर्थ को राजकीय अतिथि बनाया और उन्हें टिहरी निवास का आग्रह किया। कीर्ति शाह ने स्वामी राम तीर्थ का जापान में सर्व धर्म सम्मेलन में सम्मलित होने का पूरा प्रबंध किया। स्वामी रामतीर्थ के जल समाधि बाद कीर्ति शाह ने स्वामी जी के पुत्र को इंजीनियरिंग शिक्षा का प्रबंध किया।
कीर्ति शाह के उपरोक्त कार्य निश्चित ही गढ़वाल छवि वृद्धिकारक व पर्यटन विकासोन्मुखी थे। टिहरी में नगरपालिका स्थापना व वाटर वर्क्स जैसे विभागों की शुरुवात भी पर्यटन वृद्धि कारक होते ही हैं। कीर्ति शाह नव कृषि या वैकल्पिक कृषि जैसे बागवानी का समर्थक थ।