Uttarakhand Tourism in Jaikirti Shah and Pradyuman Shah Period
( शाह काल में उत्तराखंड मेडिकल टूरिज्म )
उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन (पर्यटन इतिहास ) -54
Medical Tourism Development in Uttarakhand (Tourism History ) – 54
(Tourism and Hospitality Marketing Management in Garhwal, Kumaon and Haridwar series–161 )
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 161
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
जैकीर्ति शाह काल (1780 -1785 ) में जैकीर्ति ने केवल दो ढाई साल ही नाम हेतु शासन किया। डोभाल मंत्रियों की आपस में दलबंदी , खण्डूड़ी व डोभाल मंत्रियों के मध्य हत्त्या वाला बैमनस्य नेगियों, घमंड सिंह मियाँ द्वारा श्रीनगर की गलियों में अराजकता प्रसारण , सिक्खों का दून पर आक्रमण , अजबराम का षड्यंत्र , उधर कुमाऊं में जोशियों के नापाक षड्यंत्र ,प्रद्युमन शाह का कुमाऊं में राज करना आदि गढ़वाल राज के अवसान समय आने का काल है।
प्रद्युम्न शाह काल (1786 -1804 ) काल तो कुमाऊं की आग द्वारा गढ़वाल को मटियामेट करने वाला है। गढ़वाल में षड्यंत्रों का काल है और अंत में गोरखाओं द्वारा गढ़वाल पर अधिकार की कहानी है।
वर्तमान भारत व उत्तराखंड में इतिहास की पुनरावृति
जैकीर्ति शाह काल में जैसे क्षेत्रीय क्षत्रपों जैसे नेगियों , मियाओं द्वारा श्रीनगर में अराजकीय विप्लव हुआ था राजकाज बंधक बना दिया गया था ठीक उसी तरह दक्षिण के राजनैतिक क्षत्रपों ने संसद को बंधक बना लिया है समाज , राजधर्म हासिये पर है और स्वार्थपरक राजनीति अग्रिम पंक्ति में है।
गढ़वाल के राजकुमार या राजा पराक्रम व प्रद्युम्न शाह के मध्य शासन हेतु षड्यंत्र में गढ़वाल नेपथ्य में चला गया था षड्यंत्र अग्रिम पंक्ति में थे। कॉंग्रेस और भाजपा व अन्य दलों के लिए भारत महत्वपूर्ण रह ही नहीं गया है अपितु एक दूसरे को नंगा करने की राजनीति ही रह गयी है सभी दल भारत की बेज्जती करने में आगे दिख रहे हैं। विदेश नीति में भी राजनैतिक दलों द्वारा एक दूसरे को नीचा दिखाने की नीति भी अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं।
उत्तराखंड में कॉंग्रेस व भाजपा द्वारा केवल और केवल सत्ता हथियाने हेतु आपस में घोर राजनैतक युद्ध , भाजपा व कॉंग्रेस के अंदर ही अंदर भयंकर भीतरघात ने उत्तराखंड राज्य को उतण खंड बना दिया है।
पर्यटन उद्यम में निरंतरता व स्थायित्व आवश्यक होता है
कोई भी पर्यटन तभी विकसित होता है जब योजनाओं के कार्यों में निरंतरता रहे। राजनैतिक दलीय ओछी नीति कार्यों को प्रभावित करे तो पर्यटन विकास की वही दुर्दशा होगी जो दुर्दसा आज उत्तराखंड पर्यटन की है। भाजपा और कॉंगेस की आपस में लड़ने की ओछी नीतियां उत्तराखंडपर्यटन को आगे नहीं बढ़ने दे रही हैं और सबसे बड़ा रोड़ा है पुराने कार्यों को बंद करना व नए कार्य शुरू करना। पर्यटन में निरंतरता न हो तो पर्यटन विकसित नहीं हो पाता। राजनैतिक उठापटक से उत्तराखंड पर्यटन वैसे विकसित नहीं हो रहा है जिसका वह हकदार है।
समाज ही उत्तरदायी है ना की राज्य (सरकारें )
राजनीतिज्ञ दूसरे ग्रह से अवतरित नहीं होते हैं अपितु हमारे समाज से ही आते हैं। यदि उत्तराखंड में राजनीतिक कारणों से पर्यटन उस पायदान में नहीं पंहुचा है जिसका उत्तराखंड हकदार है तो उसमे समाज ही उत्तरदायी है। उत्तराखंडी समाज को ही उत्तरदायित्व लेना होगा कि राजनीतिज्ञ व प्रशासन उत्तराखंड पर्यटन को सही दिशा देकर आगे ले जाएँ।