भीष्म कुकरेती
भवानी दत्त थपलियाल कृत जय विजय (१९५ -१६ ) गढ़वाळी पैलो आधुनिक नाटक च तो भक्त प्रह्लाद पैलो प्रकाशित आधुनिक गढ़वाली नाटक। याने आधुनिक गढ़वाली नाटकों न सौ साल से बिंडी की जात्रा करि याली.
आधुनिक गढ़वाल केवल गढ़वाल तक ही सीमित नि रै गे अपितु कई शहरों म कथगा इ गढ़वाल छान याने प्रवासी छन। तो यो होणी छौ बल आधुनिक नाटकों म प्रवासी विषय बि उठाये जावन।
म्यार दिखण से तौळक नाटकों प्रवासी विषय उठाये गेन –
परिवर्तन – हम तै गढ़वाली नाटकुं म सबसे पैल प्रवासी विषय ईश्वरी दत्त जुयाल (खेतु खाटली गढ़वाल ) का नाटक परिवर्तन म मिल्दो। परिवर्तन नाटक १९३४ म कराची म प्रकाशित ह्वे छौ अर मंचित बि ह्वे छौ। अब तो स्क्रिप्ट खुज्याण पर बि नि मिलणी च पर अबोध बंधू बहुगुणा लिखदन बल नाटक प्रवासी अर गढ़वाल से ताल्लुक रखद अर कराची का प्रवास्यूं सूचना बि दींदो।
ललित मोहन थपलियाल कृत ‘एकीकरण’ (१९८० से पैल ) नाटक प्रवासी संस्थाओं पर तीखो मरीच लगांद कटाक्ष च।
राजेंद्र धस्माना लिखित नाटक ‘ अर्ध् ग्रामेश्वर ‘ (१९७६ ) म प्रवासी मानसिकता पर पूरो प्रकाश पड़दो। प्रवासी गाँव विकास का बारा म चिंतित छन किन्तु क्या कन की समझ हरचंत च।
स्वरूप ढौंडियाल रचित नाटक अदालत (१९७९ ) भी पलायन बिभीषिका तै दर्शाण वळ चर्चित नाटक छौ।
अबोध बंधू बहुगुणा कृत ( १९८० से पैल )कचबिताळ नाटक म गाँव का गढ़वाली कन अपण सवार भार पर्वास्यूं शासन करदन पर केंद्रित च। तो ग्रिरीश सुन्द्रियाल कृत असगार (२०११ ) नाटक म प्रवास्युं तै गुनहगार ठहराए गे, यु नाटक पलायन बिभीषिका विषयी नाटक च ।
डी डी सुंदरियाल रचित नाटक खंद्वार (1980 ) पलायन बिभीषिका दर्शांद।
स्वरूप ढौंडियाल कृत १९८३ म प्रकाशित व मंचित नाटक मंगतू बौळया तो वास्तव म प्रवास करण चयेंद या ना विषय विश्लेषण ही करदो। प्रवास का कारण बि खुजद ‘मंगतू बौळया ‘.
पराशर गौड़ का नाटक म प्रवासी बी दर्शाये गेन।
अबोध बंधू बहगुणा कृत नाटक ‘जोड़ घटाणो ‘ (१९८६ ) प्रवास्यूं मानसिक व भौतिक संघर्ष दिखांद नाटक च।
दिनेश भारद्वाज व रमण कुकरेती कृत ‘बुड्या लापता ‘ पृष्ठभूमि प्रवास का शहर च।
हरीश थपलियाल कृत व मंचित ‘हौळ कु लगाल ?’ नाटक कृषि की नाकमयाबी (बेरोजगारी ) व प्रवास का फायदा विश्लेषण करण वळ नाटक च।
सोनू पंवार कृत व मंचित ‘बख्तवार बाडा ‘ (१९८८ -८९ ) नाटक भी प्रवासी व पलायन विषयी नाटक च
महाबीर सिंह बिष्ट कृत ‘मुरखुल्या बुड्या ‘ नाटक (२००४ ) की पृष्ठभूमि शहर च।
यां से साबित हूंदो बल नाटककारों न हैंको गढ़वाल (प्रवास ) पर पूरो ध्यान दे।