बालचिकित्सा जनक महर्षि कश्यप
(भारतौ प्राचीन वैज्ञानिक – १८ )
संकलन – भीष्म कुकरेती
चिकित्सा क्षेत्र म भारत गुप्त काल तक विश्व गुरु छायी . आतंकवाद आधारित मुस्लिम शाशन व उपनिवेशवादी ब्रिटिश शासन से भारतम शिक्षा विनास ह्वे। इनमा हमर विज्ञान व वैज्ञानिकों क बाराम सूचना अदृश्य हूण लग गेन। हमन मुस्लिम आक्रांता व ब्रिटिश उपनिवेशवादियों बुलण पर अपर वैज्ञानिकों क उपेक्षा शुरू कर दे। इनि मुस्लिम आक्रांताओं व ब्रिटिशों बुलण पर हमन बाल्चिकित्सा जनक महाऋषि कश्यप की अवहेलना कर दे।
महर्षि कश्यपौ ग्रंथ काश्यप संहिता या कौमारभृत्य (बाल्चिकित्सा ) (छटी सदी ईशा पूर्व क ग्रंथ च जु नेपाल म खंडित व अन्य स्थल म पूर्ण मील। मध्य युग म काश्यप संहिता क अनुवाद चीनी भाषा म बि ह्वे। काश्यप संहिता कुण . ‘वृद्धजीविकिय तंत्र ‘ बि बुले जांद।
इन मने जांद बल जब विशाल ग्रंथ कुमारभृत क प्रचार प्रसार म हीनता आयी तो ऊंको पांच वर्षीय पुत्र जीवकन कश्यप संहिता तै संक्षिप्त कार अर हरिद्वारम ऋषियों सम्मुख धार। ऋषियों न बालकभासित समजि जीवक पर ध्यान नि दे तो जीवकन कनखल म गंगा जी म डुबकिलगायी अर वृद्ध रूप आइन। ऋषियोंन वृद्ध रूप ऋषि क काश्यप संहता सूण। ऋषियों न जीवक तै वृद्धजीवक नाम दे अर ये कारणन काश्यप संहिता तै ‘वृद्धजीवकीय तंत्र’ बि बुले गे।
कश्यप ऋषि क दगड़ मारीच बि जुड्युं च जन चरक संहिता म। कश्यप संहिता म ‘आईटीआई ह समाः कश्यप , आईटीआई कश्यप:, काश्यपो ब्रवीत ायुंच व क्खी क्खी कश्यपक स्थान पर मारीच बि आयउँ च। (भोजनकल्पाध्याय ३ ) .
काश्यप संहिता की संरचना इन च –
काश्यप संहिता क संरचना चरक संहिता जन इ च। इखमा ८ स्थान व एक खिलभाग छन –
स्थान ——– अध्याय संख्या
१-सूत्र स्थान ——— ३०
२-निदान स्थान ——-८
३- विमान स्थान – —–८
४-शरीर स्थान ——–८
५- इन्द्रिय स्थान ——-१२
६-चिकित्सा स्थान ——३०
७-सिद्ध स्थान ———- १२
८-कल्प स्थान ——– १२
९ खिल स्थान ——–८०
कुल अध्याय ———-२००
काश्यप संहिता म कुमार भृत्य क सभी महत्वपूर्ण विषय आयीं छन जनकि –
दांत आण से युवा तक , संस्कार आदि।
गर्भ क सुरक्षा आदि
स्तन्य संबंधी विषय व रोग , वेदना आदि
पंचकर्म विषय
बालकों म पंच रोग
औषधि द्रवों उपयोग आदि
औषधि , भों व अन्य द्रव्यों उपयोग
बालकों क रोग व रोग निदान आज भी एक बड़ी समस्या च जैक बाराम भारत म ६०० ईश्वी पूर्व अपूर्व ग्रंथ आयी गे छौ किन्तु परतंत्रता का कारण हमन ये विज्ञान तै अगवाड़ी नि विकसित कार अर अब भैरो चिकत्सा पर निर्भर हूणों वाद्य छंवां।
आवा अपर वैज्ञानिकों तै याद कोरी अन्वेषण पर ध्यान दिए जाव।