
उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
रामायण काल महाभारत काल से भौत युग अगनै को काल च। अनुमान लगै सक्यांद कि लगभग तीन सहस्त्र वर्षों से पैल बि गढ़वाळ चिकित्सा पर्यटन म नामी क्षेत्र छौ। हिमाला की कुछ जड़ी बूटी केवल हमला या हिमाला म विशेष स्थानों म ही जन्मदी। ऊं जड़ी बूटी प्राप्ति हेतु भारतौ भौं भौं क्षेत्रों से लोगों तेन गढ़वाळ यात्रा आवश्यक छे।
चूँकि रामायण कथा को क्षेत्र विंध्याचल से दक्षिम को च तो रामायण म हिमालय को वर्णन न को बरोबर च केवल एक प्रसंग म हिमालय को महत्वपूर्ण वर्णन च।
रामचंद्र जी तेन दशरत -कैकयी वरदान क अंतर्गत चौदह वर्षो कुण वनवास जाण छौ। तो राम पत्नी सीता जी व भुला लक्ष्मण बि वनवास जाणो उद्यत ह्वे गेन। घुमद घुमद तिनि नासिक जिना ऐ गेन। पंचवटी म तौन झोपड़े निर्मित कार। तिनि आनंद से दिन बिताणा छा कि लंकाधिपति रावण की बैणी शूर्पणखा तना ऐ अर सया लक्ष्मण पर आकर्षित ह्वे गे। शूर्पणखा न विवाह आग्रह कार जो लक्ष्मण न नकार दे। शूर्पणखा सीता तैं भयभीत करण लग गे तो लक्ष्मण न शूर्पणखा क नाक तीर से बेद दे।
शूर्पणखा अपर भै म याचना लेकि गे। याचना म तैंन सीता सौंदर्य क बड़ो वर्णन कर दे तो लंका धिपति रावण सीता पर रीझ गे। रावण सीता चोरी ल्है गे। राम लक्ष्मण तै सीता खोज म सुग्रीव व हनुमान मिलेन। राम न सुग्रीव क भैजि बाली मार तो सुग्रीव अर बानर सेना हनुमान सहित राम क दगड़ ह्वे गेन
. राम रावण युद्ध म एक दिन रावण पुत्र मेघनाद अर लक्ष्मण क भयंकर युद्ध ह्वे। मेघनाद न लक्ष्मण पर दिव्यशक्ति चलै दे अर लक्ष्मण मूर्छित ह्वे गेन। लक्ष्मण तै शिविर म लये गे। आयुर्वेदाचार्य सुषैण ऐन तौन लक्ष्मण की नाड़ी द्याख अर तुरंत संजीवनी बूटी लाणो परामर्श दे जो सुबेर से पैल आण आवश्यक छौ।
आयुर्वेदाचार्य सुषैण न बताई कि संजीवनी बूटी उत्तर दिशा म मध्य हिमालय म चमोली क निकट द्रोणागिरी पर्वत म ही मिलदी अर या बूटी कुछ विशेष ढंग से राज म जगमग चमकदी किंतु बुर्या खौड़ क जड़ से अलग च।
राम दल म केवल पवन पुत्र हनुमान ही वायु गति से बिन विमान का उड़ सकद छा तो हनुमान तैं द्रोणागिरी भिजे गे। रातौ समय छौ जब हनुमान द्रोणागिरी म पोँछिन। रात म द्रोणागिरी पर्वत म बुग्याळ – ही बुग्याल छे अर सरा पर्वत म भौत सा पौधा जगमग चमकणा छा। हनुमान तै समज म नि आयी कि यूं चमकद पौधों म संजीवनी पौधा को च। तो हनुमान पूरा पर्वत अर्थात द्रोणागिरी पर्वत उठैक ल्है क युद्ध क शिविर ऐ।
योगाचार्य सुषैण न संजीवनी खोज अर संजीवनी क आरक लक्ष्मण तैं पिलाई अर लक्ष्मण झठ से उठ गेन।