चबोड़ाकार्य – भीष्म कुकरेती
एक शहर म एक नगरपालिका सदस्य सियुं छौ कि बारा बजे रात फोन आयी कि एक मनिख नगपालिका भवन का छत बिटेन आत्महत्त्या करण वाळ च। तुरंत आणो प्रार्धना छे।
नगरपालिका सदस्य चौड़ घटनास्थल म ऐ गे। वैन स्थिति द्याख अर तौळ बिटेन चिल्लाई , ” सुण भुला तू कुद्दी नि मार। पैल मेरी बात सूण “
छत बिटेन कुद्दी मरणो उद्यत हुयुंन ब्वाल , ” पूछो “
नगरपालिका सदस्य -ह्यां तू आत्महत्त्या किलै करणु छै ?
कुद्दी कुण उद्यत मनिख – ज़िंदा कैकुण रौण ?
नगरपालिका सदस्य -तेरो परिवार होलु ब्वे बाब होला ?
कुद्दी कुण उद्यत मनिख – म्यार क्वी नी , ना ब्वे ना बाब ना भाई बंध।
नगरपालिका सदस्य – ह्यां पर दगड़्या आदि तो होला ?
कुद्दी कुण उद्यत मनिख – ना ना ना म्यार क्वी दगड़्या ना दगड़्याणी।
नगरपालिका सदस्य -तो ठीक च संभवतया हम दगड़्या बण सकदा।
कुद्दी कुण उद्यत मनिख – कनो ?
नगरपालिका सदस्य -तू राजनीति म विश्वास करदी छे ?
कुद्दी कुण उद्यत मनिख – हां।
नगरपालिका सदस्य -भलो भलो मी वोटर बि छौं अर नेता बि । तू वोटर तो ह्वेलि ?
कुद्दी कुण उद्यत मनिख – हां
नगरपालिका सदस्य – अच्छा तो तीन म्युनिसिपल इलेक्शन म कैं पार्टी तैं वोट दे ?
कुद्दी कुण उद्यत मनिख – मीम वोटर कार्ड च किन्तु मि वोट दीणो कबि नि जांद।
नगरपालिका सदस्य – तो अबि कुद्दी मार अर कौर आत्म हत्त्या । ते वोट- निदिवा कारण सब गड़बड़ हूंद।
सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती