नौटंकी – भीष्म कुकरेती
पात्र –
सूत्रधार
द्वारपाल १
द्वारपाल २
मनिख
घ्वाड़ा
कुत्ता
अन्य मनिख केवल दिखाणो
–
सूत्रधार – एक समय एक मनिख अपर कुत्ता अर घ्वाड़ा दगड़ एक नगर क बाटो पर चलणो छौ। भौत दूर चलणो उपरान्त तैन पायी कि कुछ लोक मर तो गे छा किन्तु नगर मार्ग पर लगातार चलणा इ छा।
मनिख – द ल्या हम सब बि अपघात म मोर गेवां किन्तु हम तिनि बि चलणा इ छा। है ना ?
मनिख – ले मी बि कौं तै प्रश्न पुछणु छौं। चलो चलदा इ जांदा। किन्तु हम सब तैं भयंकर तीस लगीं च। तीस बुझाण आवश्यक च। अरे ब्वा ! सि कुछ दूर पर एक संपन बड़ो महल नुमा भवन दिखेणु च। तख अवश्य ही शीतल जल मीलल। मि द्वारपाल तैं पुछदो।
मनिख भवन द्वारपाल से – समनैन श्री ! हम सब तिसा छा। जरा तीस बुझाणो पाणि मीलल क्या ?
द्वारपाल – अतिथि देवो भवः। भितर प्राकृतिक कुंड का कुंड शीतल जल से भर्यां छन। यी जल ना केवल तीस बुझांदो अपितु ऊर्जा दिँदेर व आयु वर्धक बि च। अतिथि ! जावो अर जल ग्रहण कारो।
मनिख – द्वारपाल श्री ! धन्यवाद। ( घ्वाड़ा -कुत्ता तैं देखि )- आवा आवा ऊर्जावान पाणि पैक तीस बुझाइ लींदा।
द्वारपाल – अतिथि महोदय ! क्षमा हमर स्वर्ग भवन का नियम अनुसार ये भवन म केवल मनुष्य प्रवेश ही स्वीकृत हून्द। पशु प्रवेश बिलकुल प्रतिबंधित च।
मनिख – जख दगड्यों सम्मान नि हो या दगड्या नि जै साकन। तख अमृत बि किले नि हो नि जाण चयेंद।
द्वारपाल – मि तो नियम पालन हि करदो।
सूत्रधार – मनिख घ्वाड़ा , कुत्ता लेकि अगनै बढ़। कुछ दूरी पर तौं तैं एक दुसर महलनुमा प्रसन्नता सूचक भवन दिख्यायि। भवन से सुगंध इख तक आणि छे।
मनिख – ब्वा ! हैंको भवन ! अवश्य इ इख हम सब तैं पाणी मीलल। चलो द्वारपाल से पूछे जाय।
मनिख – द्वारपाल महोदय ! तीस लगीं च। पाणी मीलल क्या ?
द्वारपाल – अतिथि देवो भव: . सि समिण पर पख्यड़ पैथर पाणी छोया छन। छक कैकि जल पेकी तीस बुझाओ।
मनिख – म्यार दगड़ म्यार दगड्या घ्वाड़ा व कुत्ता बि छन।
द्वारपाल – हां हाँ ! ऊं तै बि लिजावो अर शीतल जल पिलाओ।
मनिख – जुगराज रयां। यीं जगा क नाम क्या च ?
द्वारपाल – स्वर्गलोक।
मनिख – किन्तु हम तै पैल एकान बताई कि स्वर्गलोक …
द्वारपाल – वास्तव म स्यो नरक च। ये से हम तै वो इ लोक मिलदन जो अपर दगड्यों सम्मान करदन। जु लगुड़ छुड़न किन्तु दगुड़ नि छुड़न सिद्धांत पर चलण वळ लोक मिल जांदन। स्वर्ग लैक मनिख मिल जांदन।