धुये धुये की ग्वरा, अर लगै लगै की स्वरा नि होन्दा ।
कौजाला पाणी मा छाया नि आन्दी ।
अपड़ा लाटा की साणी अफु बिग्येन्दी ।
बड़ी पुज्यायी का भी चार भांडा, छोटी पुज्यायी का भी चार भांडा ।
अपड़ा गोरुं का पैणा सींग भी भला लगदां ।
साग बिगाड़ी माण न, गौं बिगाड़ी रांड न ।
कोड़ी कु शरील प्यारु, औंता कु धन प्यारु ।
जन त्येरु बजणु, तन मेरु नाचणु ।
ना गोरी भली ना स्वाली ।
राजौं का घौर मोतियुं कु अकाल ।
जख मिली घलकी, उखी ढलकी ।
भैंसा का घिच्चा फ्योली कु फूल ।
सब दिन चंगु, त्योहार कु दिन नंगु ।
त्येरु लुकणु छुटी, म्यरु भुकण छुटी ।
कुक्कूर मा कपास और बांदर मा नरियूल
सारी ढेबरी मुंडी मांडी, अर पुछ्ड़ी दाँ न्याउँ (म्याउँ) ।
Related Post
5 days ago