(अधिकतर समीक्षक किसी नाटककार के नाटकों के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। कुछ समीक्षक नाटककार को जानते हैं तो नाटककार के बारे में विषय दे देते हैं। एक समीक्षक स्वयं नाटककार भी होता है। तो यह भी आवश्यक है कि नाटककार अपने विषय में स्वयं भी बताये। इस श्रृंखला में मैं गढ़वाली के प्रसिद्ध नाटककारों के बारे में उन्ही की जवानी जान्ने का प्रयत्न करूंगा -भीष्म कुकरेती )
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भीष्म कुकरेती – घ्न्शाला जी नमस्कार। अपने बारे में संक्षिप्त में जानकारी देकर अनुग्रहित कीजिये
कुला नंद घनशाला –
जन्म तिथि – 15जनवरी 1963
जन्म स्थान -ग्राम- सांकर, डाकखाना- सांकरसैंण,पट्टी- बालिकन्डाररस्यूँ , पौड़ी गढ़वाल
आधारिक शिक्षा – ग्राम- नाई
उच्च शिक्षा – देहरादून
व्यवसाय व आजीविका साधन – भारतीय स्टेट बैंक, नौकरी
वर्तमान में – सेवानिवर्त
बचपन में सबसे पहला नाटक (रामलीला, कृष्णा लीला या अन्य )
उत्तर- रामलीला
क्या अपने बादी -बदेण के नाटक देखे हैं ?
उत्तर -हां
कौन कौन से नाटक शिक्षा लेते समय देखे -प्रहलाद
किस नाटककार ने सर्वाधिक प्रेरित किया – उत्तर -जीत सिंह नेगी
भीष्म कुकरेती -अब तक आपने कितने नाटक लिखे ?
उत्तर – एकांकी, लघु, गीत नाटिका मिलाकर लगभग 80 नाटक लिख चुका हूँ l
भीष्म कुकरेती – पहला नाटक कौन सा लिखा ?
उत्तर – जखा तखी
भीष्म कुकरेती – कितने नाटक प्रकाशित हुए ?नाम दीजिये प्लीज
कुला नंद घनशाला – 28 नाटक प्रकाशित हो चुके हैं, आस औलाद, क्य कन तब, अब क्या होलु, मनखी बाघ, उज्याड़, रंगछोल ( रामु पतरोल, चिंता, कंप्लेंट, सुनपट, डॉक्टर साब, होशियारू, मेरु जुतू मेरा मुंड, जुगाड़ी बाबा, म्वारी, कॉकटेल, सेर अर सवा सेर, सौं, सिमन्या बौ, घपरोल, जात पात, कमली) हुणत्यलि डाली (मोहिनी, दगडया, खिलाड़ी, हुणत्यालि डाली, समलौण,लड़े, कखड़ी चोर)
भीष्म कुकरेती – कौन कौन से नाटक मंचन हुआ –
उत्तर – आस औलाद, मनखी बाघ, अब क्या होलु, क्य कन तब,भाग जोग, उज्याड, कमली, रामु पतरोल, जुगाड़ी बाबा, मेरु जुत्त मेरा मुण्ड, सुनपट, सिमन्या बौ, जखा तखी, जात पात इत्यादि
भीष्म कुकरेती – आपके नाटक किस किस वर्ग में आते है –
उत्तर –
विषय
राजनीति भ्रस्ट तंत्र आदि:-
मनखी बाघ, घपरोल,
प्रेरक राजनैतिक नाटक: – अब खा माछा, पल्या छाला, चिंता, होशयारू, फ्री फ्री फ्री,
सामजिक बुराई दिखते व समाधान: – क्य कन तब, भाग जोग l
पलायन दर्शाते नाटक
आजीविकाहीनता व समाधान –
आस औलाद, जलमभूमि
स्वास्थ्य संबंधी :-
डॉक्टर साब
प्रशासनिक भ्रस्ट तंत्र –
रामु पतरोल, उज्याड़
शिक्षाप्रद:-
कंप्लेंट, कमली
पर्यावरण:-
समलोण
वर्ग या वर्ण भेद –
जात पात
धार्मिक व सांस्कृतिक –
गढ़वाली रामलीला, संगरांद
शुद्ध व्यंग्य – डायरेक्टर जुगाडी बाबा, घाम तापो
शुद्ध मनोरंजन – सिमन्या बौ, सेर कु सवा सेर,
नुक्कड़ नाटक:-
फुन्दयानाथ
रेडिओ नाटक:-
बौजी कख छन
नाटक:-
जखा तखी,कखि लगीं आग कखि लग्युं बाघ,भाग जोग, मेरु गों, चन्दर सिंह गढ़वाली, मेरु बैकुण्ठ, व्यसनी, अजाण बाटा
लघु नाटक:-
डरैबर,सेनेटाइजर, दा बोला, ब्योपारी, तिमला का तिमला खतें अर नंग्या नंग्या दिखे, इनु भिं होन्दु, दाल मा काल, जीजा स्यालु,सोला अन्ना सचि बात l
स्किट्स या अति लघु:- नाटक लाकडाउन,ब्योला गैस, मौका कौथिग, करव जाण, स्याली, इनु करव होन्दु, टैम, लाल फुरका, बणांग, षडयन्त्र बकिवात, पौणै, रील,,सोशल डिस्टेन्स, नोटा, गवाह चुस्त मुदै सुस्त, अजों भि क्या बिगड़ी, लिफ्ट साड़ी, अब क्या ब्वलंण, मौका, हवे तब, मेरु टोटा मेरु ठटा, गपास्टक,जुगराज रया, इन्र्नु भि होन्दु, दा कन्नु कपालि फुटी, जैकि च डौर वो नी छ घौर
गीत नाटक – कमली, जात पात,कुटुंब, आस, विपदा, कॉल इन्दर सिंह रावत
भीष्म कुकरेती – नाटक लिखने से पहले विषय मन में कैसे आते हैं ?
उत्तर – कुछ घटनाएं देखने, सुनने,मन में,या काल्पनिक बुनने के बाद विषय पर चिंतन शुरू हो जाता है कुछ विषय छूट भी जाते हैं जिनका घटनाक्रम नाटकीय रूप में ठीक से नहीँ बन पाता
भीष्म कुकरेती -साधारणतया कितने दिन मन ही मन में नाटक बुनते हो ?
उत्तर – 15 से 20 दिन लगभग
भीष्म कुकरेती – कितने दिन में नाटक पूरा हो जाता है
उत्तर -लगभग 3 -4 महीने में
भीष्म कुकरेती – चरित्र चित्रण हेतु क्या तकनीक अपनाते हो ?
उत्तर – लोक की तकनीक
भीष्म कुकरेती – आपके नाटकों में संवादों के बारे में सयम की राय ?
उत्तर – संवाद नाटक के तार्तम्या या कहानी को आगे बढ़ाते हैं तो संवादों में रवानागी तो होनी हि चाहिए l मेरे संवादों के सम्बद्ध में यह राय है कि मेरे संवाद कलाकार से लेकर दर्शकों के जुबान पर बहुत जल्दी चढ़ जाते हैं l कारण लोक से जुड़े हुए होते हैं l
भीष्म कुकरेती – उद्देश्य को कैसे दर्शकों के सामने लाते हो ?
उत्तर – कहानी से, संवादों से, अभिनय से, और सेट तथा वातावरण से l
भीष्म कुकरेती – वार्तालाप संवादों के कुछ उदाहरण दीजिये
उत्तरl-
रामु पतरोल:-
दानू- त चौकीदार दीदा मि जौं अब?
रामसिंग- चौकीदार! अबे चौकीदार होलु तेरु बुबा, अबे मित फारेस्ट गार्ड छौं गार्ड वो भी फारेस्ट को l
आस औलाद :-
मंगत्या- इंजिनयर दिदा कुडू बडू फस्कलास बणै भै पर एक काम गलत ह्वेगी माचद l उबारी मंगत्या रैन्दू त….
जगत- क्या गलत हवे भुल्ला?
मंगत्या- ना ना वो जो हगण मुतणा भीतर छन तुम्हारा बणायां, जरा दूर होण चैणां छा l युत भौत हि प्लीतो काम ह्वेगी भै l छि छि वखिमू रूसाडू अर वखीम…. छि छि फुका भैl
अब क्या होलु :-
इंस्पेक्टर- बे करफ्यू ना देख्या कभी? कह तो दिखा दें?
दैला- हाँ यार रजा दिखे दी, जंगली जानबर त लगभग सभी देखयां छन पर यू बाकीबातो आज तक नि देखि l
हवलदार- (लात मारी) क्यों बे तुझे भी दिखा दूं?
नैला- जन मर्ज़ी साब l
सिपे= यहाँ को दिखा दूँ या थाणे पेl
क्या कन तब:-
दिनेश- अर भै साब तुमारु भी क्या भरोसु च
धर्मानंद- बल्दु chrona चरोणा बाना आज पुगड़ा तीर मास्टिनी बौ दगड़ा क्या खुश बुश होणी छै, परसी वीं बौ का घौर रुमकि दौं पंचांग दिखेणु छौ, डिग्गी मां अपणा नम्बर पर ल मास्टिनी बौ की गागर भ्वरेणी छै, जरूर कुछ दाल मा कालु च ।
धर्मान्द- क्या नारैण नारेण…..
मनखी बाघ :-
फ़जीतू- देख बोडी हमारु काम च इन्ना बिटि उन्ना, अर उन्ना बिटि इन्ना l
जीतू- चल बोडी त्वे भी इन्ना बिटि उन्ना( सर्ग कि तरफा इशारू कैरी) उन्ना भेज दिंदा l
संग्रामी- क्या! अरे उन्ने भेजणे त अपणा सैं गुसयों तें भेजा l
उज्याड:-
गुलाबी- दा वी जी मि जाणदु विं मौ का दौर घौर बोलेन्दु पर…
रुकमा-( चौका तीर बिटी जोर जोर से) हे कै कुमो कि च रे सू गोर बखूरु? जु हमारा पुंगड़ा उज्याड़ खाणु च हे कन भारी मोरी कन बुन तुमारु मुर्दा सैरी बिजवाड़ खयेली देखा दी….
भीष्म कुकरेती – भाषा कौन सी प्रयोग करते हो
उत्तर गढ़वाली (श्रीनगरी)
भीष्म कुकरेती – इतर भाषाओं उर्दू , अंग्रेजी , हिंदी का प्रयोग कैसे करते हो ?
उत्तर – बहुत कम मात्रा में
भीष्म कुकरेती – दर्शक भिन्न भिन्न क्षेत्रों के होते हैं तो भाषायी कठिनाई को सुलझाने के लिए क्या करते हो ?
उत्तर -श्रीनगरी भाषा नाटकों का मंचन करते हैं ताकि सबके समझ में आ जाय l
भीष्म कुकरेती – मंचन हेतु क्या क्या कार्य करते हो ?
उत्तर – पूर्बाभ्यास हेतु स्थल का चयन करना, कालकारों को खोजना, पूर्बाभ्यास करवाना, मंचन हेतु आर्थिकी जुटाना, मंचन हेतु प्रेक्षाग्रह बुक करवाना, प्रचार प्रसार करना, ब्रोसर छपवाना, टिकट बिकवाना, या पास वितरण करवाना, सेट का निर्माण करना, लाइट मैन तथा लाइटों का प्रबंध करना, साउंड बुक करना, प्रेस वार्ता करना, कालकारों के आने जाने का प्रबंध तथा चाय, नाश्ता, खाने का प्रबंध करना, वस्त्र विन्यास की व्यस्था, मंचन के दौरान कलाकारों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली सामग्री एकत्रित करना,मेकअप डायरेक्टर की व्यस्था, संगीतगयों की खोज, गायकों को चुनना, कालकारों के लिए स्मृति चिन्ह बनवाना सफल प्रस्तुति के लिए अन्य अनेक चीजों की भी जरुरत होती है जिनको एकत्रित करना पड़ता है l
भीष्म कुकरेती – निदेशक को ढूँढना या प्रदर्शक को ढूंढा कौन अधिक कारगर साबित हुए हैं ?
उत्तर – निदेशक
भीष्म कुकरेती – गढ़वाली नाटक प्रकाशन की क्या क्या समस्याएं हैं ?
उत्तर – आर्थिकी की बहुत बड़ी समस्या है, कोई भी प्रकाशक फ्री में किताब छापने के लिए तयार नहीं है रॉयलटी तो दूर की बात है l
भीष्म कुकरेती – गढ़वाली नाटकों के मंचन की समस्याएं क्या हैं व समाधान (विस्तार से ) –
उत्तर:-
सबसे मुख्य समस्या आर्थिकी की है प्रयोजक नहीं मिलते हैं l जिस कारण गढ़वाली नाटक अधिक मात्रा में नहीं हो पाते l दूसरा पेशेबर रंगमंच ना होने के कारण कलाकारों का भी अब अभाव हो रहा है जिसके बहुत से अनेक कारण भी हो सकते हैं l समाधान तो कई हो सकते हैं परन्तु मुख्यतः एक ही नजर आता है कि गढ़वाली रंगमंच को पेशेवर रंगमंच बनाया जाय l सरकार गढ़वाली नाटकों की प्रस्तुति हेतु आर्थिक सहायता दे l
भीष्म कुकरेती – अपने नाटकों के बारे में में क्या कहेंगे ?
उत्तर – ब्वे तैं अपणु लाटु- कालु प्यारु होन्दु हि च मेरा सभी नाटक भल्ला छन l मेरा नाटकों को आंकलन, नाटकों का बारा मा आप जना साहित्यकार, नाटककार, विश्लेषक ही ज्यादा बथै सकदन, बोलि सकदन l
भीष्म कुकरेती -अपने को गढ़वाली नाट्य संसार में कहाँ रखना चाहोगे ?
उत्तर – एक रंगकर्मी के रूप में l
भीष्म कुकरेती – गढ़वाली नाट्य संसार में आपको कैसे याद किया जाएगा ?
उत्तर – एक रंगकर्मी/नाटककार के रूप में l