जानिये गढ़वाली नाटककार श्री धर्मेन्द्र नेगी के बारे में उनकी जुबानी ( श्री धर्मेन्द्र नेगी से भीष्म कुकरेती की वार्ता )
(अधिकतर समीक्षक किसी नाटककार के नाटकों के बारे में अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। कुछ समीक्षक नाटककार को जानते हैं तो नाटककार के बारे में विषय दे देते हैं। एक समीक्षक स्वयं नाटककार भी होता है। तो यह भी आवश्यक है कि नाटककार अपने विषय में स्वयं भी बताये। इस श्रृंखला में मैं गढ़वाली के प्रसिद्ध नाटककारों के बारे में उन्ही की जुबानी जानने का प्रयत्न करूंगा -भीष्म कुकरेती )
भीष्म कुकरेती – धर्मेन्द्र जी नमस्कार। अपने बारे में संक्षिप्त में जानकारी देकर अनुग्रहित कीजिये
उत्तर –
जन्म तिथि – 19-06-1975
जन्म स्थान – ग्राम पत्तालय- चुरानी, रिखणीखाळ, पौड़ी गढ़वाळ
आधारिक शिक्षा – प्राथमिक विद्यालय – चुरानी,
माध्यमिक शिक्षा- ज. इ. कॉ. सीकू खाल्यूसैंण( पाबौ ब्लॉक)
उच्च शिक्षा – M.A (इतिहास, राजनीति विज्ञान) B.T.C, B.Ed H.N.B Garhwal University
व्यवसाय व आजीविका साधन – शिक्षण
वर्तमान में – स.अध्यापक, रा. पू. मा. वि.- जगदेई, नैनीडांडा, पौड़ी गढ़वाळ
बचपन में सबसे पहला नाटक (रामलीला, कृष्णा लीला या अन्य ) रामलीला
क्या अपने बादी -बदेण के लोक नाटक देखे हैं ? हाँ
कौन कौन से नाटक शिक्षा लेते समय देखे – रामलीला, श्रवण कुमार, रामी बौराणी व कुछ शिक्षाप्रद नाटक
किस नाटककार ने सर्वाधिक प्रेरित किया – श्री ललित मोहन थपलियाल जी
भीष्म कुकरेती -अब तक आपने कितने नाटक लिखे ?
उत्तर – लगभग 20
भीष्म कुकरेती – पहला नाटक कौन सा लिखा ?
उत्तर – ‘आज कु नेता’ सन् 2000 में कोटद्वार डिग्री कॉलेज के वार्षिकोत्सव में मंचन किया गया
भीष्म कुकरेती – कितने नाटक प्रकाशित हुए ?नाम दीजिये प्लीज
उत्तर – धाद से प्रकाशित 2 नाटक ‘करणि कु फल’ अर ‘आस पर त दुन्या टिकीं’
भीष्म कुकरेती – कौन-कौन से नाटकों का मंचन हुआ –
उत्तर – आज कु नेता, और कुछ गढ़वाली हिन्दी जन-जागरूकता के नाटक विभिन्न राष्ट्रीय पर्वों व विद्यालय वार्षिकोत्सव में विद्यार्थियों द्वारा मंचित
भीष्म कुकरेती – किन किन नाटकों का यूट्यूबीकरण हो गया है ?
उत्तर – Garhwali sahitya Dharmendra Negi फेसबुक पेज व यू ट्यूब चैनल पर ‘लॉकडॉन अर मेरु मुलुक’ धारावाहिक के 38 ऐपिसोड प्रसारित
भीष्म कुकरेती – आपके नाटक किस-किस वर्ग में आते है ? –
उत्तर – सामाजिक बुराई, भ्रष्ट राजनीति, पलायन, रिवर्स माइग्रेशन, पर्यावरण अर विज्ञान, बालनाटक आदि विषयों पर
भीष्म कुकरेती – नाटक लिखने से पहले विषय मन में कैसे आते हैं ?
उत्तर – अपने आस-पास घटित घटनाओं से व सामाजिक बुराइयों को देखकर
भीष्म कुकरेती -साधारणतया कितने दिन मन ही मन में नाटक बुनते हो ?
उत्तर – एक दिन
भीष्म कुकरेती – कितने दिन में नाटक पूरा हो जाता है ?
उत्तर – एक या दो दिन में
भीष्म कुकरेती – चरित्र चित्रण हेतु क्या तकनीक अपनाते हो ?
उत्तर – अपने आस- पास के समाज से ही चरित्र उठाता हूँ
भीष्म कुकरेती – आपके नाटकों में संवादों के बारे में स्वयं की राय ?
उत्तर – संवाद छोटे व सरल भाषा में लिखने का प्रयास करता हूँ
भीष्म कुकरेती – उद्देश्य को कैसे दर्शकों के सामने लाते हो ?
उत्तर – नाटक के पात्रों के वार्तालाप के माध्यम से
भीष्म कुकरेती – वार्तालाप के कुछ उदाहरण दीजिये
उत्तर- (चिमना चमगादड़ी को दरबार मा आणु)
चिमना- (मुंड नवैकि) महाराज की जै हो! महाराज इबरि हमारि पूरि चमगादड़ प्रजाति संकट मा छ। जन बीदा द्यो को बज्जर पड़िगे महाराज हमुमा। बचावा प्रभो ! हमतैं बचावा।(घुंडा भुयां मा टेकी द्वी हथ जोड़ी रोण लगिजान्द)
संग्रामु स्यू- अरे क्य बात छ चिमना जी! इथगा डर्यां-घबरयां किलै छन आप ? सम्भाला अफुथैं । धीरज धरा।
चिमना- महाराज मनखि जात हथ ध्वेकि हमारा पैथर पोड़ीं छ। बचावा हमतैं वूंसे, निथर हमारो नमोनिशाण मिटि जाण कुछ दिनों मा। (टळपळ-2 अंसधरि धोलणीं छ)
सौंणु स्याळ- अजी नमोनिशाण मिटलु हमारा बैर्यूं को। रूणीं किलै छै चिमना दीदी! मन धिरजन धैर अर साफ-साफ बथा बात क्या छ ? हमारा महाराज मा हर समस्या को समाधान छ।
चिमना-( हाथ जोड़ी) महाराज! क्य बथाण अब, अफुथैं यीं दुन्या को श्रेष्ठ प्राणी बथाण वळि मनखि जात, जो अफु पर सबसे भिंडि दिमाग अर ताकत समझद. हमारि जड़घाम लगाण चाहणी, हमारू निरबिजु करण चाहणी छ महाराज, हमारा पैड़ पोड़ीं छ।
माड़ु मेंढको- वी मनखि जात न चिमना काकी! ज्व अब अफुथैं अपणा भगवान से बि बड़ु समझण लैगे। तभी त बोलदन बुरु देखी त बल कर्ता भि डरु।
गबदु हाथी- हाँ बिलकुल सै बोलणां छां माड़ु काका। वी मनखि जात ज्व अपणा सुख का खातिर प्रकृति को नाश करण मा बि नि झिझकणीं छ।
सौंणु स्याळ- अरै यु त सैरि दुन्या जणद कि मनखि जात हम सब्यूं खुणि काळ बणीं छ पर जणण वळि बात या छ कि चमगादड़ों का पैथर किलै पोड़ीं छ मनखि जात अजकाल।
चिमना- महाराज! अजकाल मनखि जात एक खतरनाक वाइरस कोविड 19 का चपेट मा अयीं छ। जै वाइरस का चपेट मा औण से सैरि दुन्या मा मनखि जात संकट मा अयीं छ। अर वे वाइरस का जलमणा को कारण वु हमतैं मनणा छन। इलैइ हमारि ज्यान का पैथर काळ बणीं पोड़्यां छन।
भीष्म कुकरेती – भाषा कौन सी प्रयोग करते हो ?
उत्तर – गढ़वाली, हिन्दी
भीष्म कुकरेती – इतर भाषाओं उर्दू , अंग्रेजी , हिंदी का प्रयोग कैसे करते हो ?
उत्तर – नाटक में आये पात्रों की पृष्ठभूमि के आधार पर
भीष्म कुकरेती – दर्शक भिन्न भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के होते हैं तो भाषायी कठिनाई को सुलझाने के लिए क्या करते हो ?
उत्तर – गढ़वाली के कठिन शब्दों का अर्थ हिन्दी में लिखकर
भीष्म कुकरेती – मंचन हेतु क्या-क्या कार्य करते हो ?
उत्तर – अपने विद्यालय के बच्चों से ही मंचन करवाता हूँ ।
भीष्म कुकरेती – निदेशक को ढूँढना या प्रदर्शक को ढूंढा कौन अधिक कारगर साबित हुए हैं ?
उत्तर – किसी को नहीं ढूँढा आजतक स्वयं लिखा, स्वयं निर्देशन किया
भीष्म कुकरेती – गढ़वाली नाटक प्रकाशन की क्या-क्या समस्याएं हैं ?
उत्तर – स्वयं लिखना है व स्वयं ही प्रकाशित करना है । व्ययभार उठाकर प्रकाशित करने वाले प्रकाशकों का अभाव साथ ही सरकारी अनुदान से प्रकाशन की सुविधा न के बराबर होना ।
भीष्म कुकरेती – गढ़वाली नाटकों के मंचन की समस्याएं क्या हैं व समाधान (विस्तार से ) –
उत्तर – समस्यायें-
1- नाटक की तैयारी से लेकर मंचन तक समय बहुत चाहिए ।
2- नाटक में अभिनय करने वाले पात्रों का अभाव
3- पात्रों द्वारा समय न देना
4 – नाटक मंचन हेतु अधिक धनराशि की आवश्यकता होती है
5- प्रायोजकों का अभाव
6- टिकट खरीदकर देखने वाले दर्शकों का अभाव
समाधान-
.1- सरकार विभिन्न अवसरों पर सरकारी अनुदान से नाटकों का मंचन करवाये ।
2- नाटककार, निर्माता निर्देशक व नाट्य कलाकारों को उचित मानदेय दिया जाय ।
3- नाट्य स्कूलों की स्थापना की जाय
4- सरकार को अपने संसाधन नाटककारों को निशुल्क उपलब्ध करवाने चाहिए
5- प्रायोजकों को नाटकों के मंचन हेतु आगे आना चाहिए
6- नाटकों के मंचन से पूर्व उचित प्रचार – प्रसार करके दर्शकों को नाटक देखने हेतु प्रेरित किया जाना चाहिए ।
भीष्म कुकरेती – अपने नाटकों के बारे में में क्या कहेंगे ?
उत्तर – स्वयं की आत्म संतुष्टि के लिए लिखे गये नाटक
भीष्म कुकरेती -अपने को गढ़वाली नाट्य संसार में कहाँ रखना चाहोगे ?
उत्तर – एक विद्यार्थी
भीष्म कुकरेती – गढ़वाली नाट्य संसार में आपको कैसे याद किया जाएगा ?
उत्तर – ये तो भविष्य के गर्त में छुपा है।