(वियतनामी लोक कथा )
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272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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पुरण समय की छ्वीं छन तख वियतनाम म एक जोड़ा खरगोश रौंद छा। तौन ध्यान कार अर बढोत्स्व प्राप्त कार अर परी बण गेन। तौम भौत बच्चा छा। एक दिन जेड सम्राट न पति खरगोश स्वर्ग की राजसभा म बुलाई। पति खरगोश न राजसभा क द्वार पर ‘थाई वाख किन तिन्ह ) चीनी कथाओं म एक परी नाम ) तैं जेड सम्राट द्वारा चन्द्रमा महिला (मून लेडी ) तेन चन्द्रमा म वापस लांद द्याख छौ। पति खरगोश क समझ म नि आयी कि यु क्या घचपच च। वैन द्वारपाल से पूछ।
द्वारपाल न समझायी , ” किलैकि मून लेडी न जेड सम्राट क नौनो क नौ सूर्यों तैं मारणों कुण ‘ हौं नहे ‘ दगड़ समझौता कार छौ। इलै जेड सम्राट न मून लेडी तैं सदा चन्द्रमा म रौणो विवश कौर छौ। तब से मून चन्द्रमा म रौण लग गे। “
पति खरगोश न विचार कार कि चन्द्रमा तै मनुष्यों क सहायता करणों कारण इकुलास दंड दिए गे। तत्काल पति खरगोश तैं अपर चार बच्चा याद ऐन अर वो तुरंत घर चल गे।
घर ऐक पति खरगोश न पत्नी खरगोश तैं लेडी मून की कथा सुणाइ अर ब्वाल कि जेड सम्राट चन्द्रमा महिला /मून लेडी दगड़ समझौता हेतु एक युवा खरगोश तैं चन्द्रमा म भिजण चाणु च।
पत्नी खरगोश तै पति खरगोश की बात से सहमति छे किन्तु बच्चों क प्यार मध्य ऐ गे। व बच्चों से अलग नि रौण चाणी छे। बच्चा बि ब्वे बाब छोड़ि चन्द्रमा म नि जाण चाणा छा। सब रुणा छा।
तब बूबा खरगोश न ब्वाल ” यदि मून लेडी क स्थान पर मि हूंद अकेला चन्द्रमा पर ? तो तुमर कर्तव्य क्या छौ ? मून लेडी तै मनुष्यों क सहायता हेतु चन्द्रमा म इकुलास दिए गे। हम तै केवल अपर बारा म ही नि विचार करण चयेंद। हम तै स्वायत से अळग समाज हित बि बिचार करण चयेंद।
पिता क अड़ांद बोल सूणि सब बच्चा खरगोश स्वार्थ से अळग परसेवा क बारा म बि विचार करण लग गेन। द्वी झण खरगोश अपर बच्चों नयो सोच से प्रसन्न ह्वेक रुण मिसे गेन।
सबसे छुट बच्चा खरगोश तै जेड सम्राट म भिजे गे जो चन्द्रमा म भिजे गे।