
प्रेरक वैज्ञानिक जीवन व वैज्ञानिक शोध कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी गढ़वळि कथा रचंदेर : भीष्म कुकरेती
बीरबल साहनी तैं भारतौ पुराववनस्पति शास्त्र का जनक मने जांद।
डाक्टर बीरबल साहनी क जन्म नवंबर 1891 म भेड़ा (शाहपुर, पश्चिम पंजाब आजौ पाकिस्तान ) म ह्वे। बीरबल साहनी क पिता रिचिराम साहनी रसायन शास्त्र क प्रोफेसर छा।
प्रोफेसर रूचि राम अपर पुत्रों की शिक्षा प्रति अति सचेत छा अर पंची पुत्रों तैं लेक लंदन गेन जख साहनी भाइयों क पढ़ाई ह्वे।
पंजाब विश्व विद्यालय बिटेन 1911 म बीरबल तैं BSc क पदवी मील। 1919 म लंदन विश्व विद्याल से डिग्री अर 1929 म कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय बिटेन DSc की पदवी मील। डाक्टर साहनी क पत्नी नाम सावित्री सूरी छौ।
यांक उपरान्त बीरबल साहनी भारत ऐन अर वनारस विश्व विद्यालय म प्राध्यापक बण गेन। 1939 म डाक्टर साहनी रॉयल सोसाइटी ऑफ़ लंदन क फेलो सदस्य बणिन (FRS ) ।
फिर लाहौर विश्व विद्यालु म प्राध्यापक बणिन। अंत म लखनऊ ऐ गेन अर अध्यापन व अन्वेषण म व्यस्त ह्वे गेन।
प्रोफेसर साहनी क रूचि जीवाश्म की ओर छौ। हड़प्पा , मोहनजोदाड़ो सभ्यता क पौधों पर शोध कार। फिर झारखंड क राजमहल क्षेत्र क वनस्पति जीवाश्मों पर शोध कार अर प्रसिद्धि पायी।
ऊंकी इच्छा छे भारत म इंस्टीट्यूट ऑफ़ पेलीबॉटनी की स्थापना हो। अपर प्रोजेक्टजवाहर लाल नेहरू तैं बताई अर जवाहर लाल नेहरू न 3 अप्रैल 1949 कुण पेलीबॉटनी इंस्टीट्यूट लखनऊ क उद्घाटन कार।
डाक्टर बीरबल साहनी क निधन 10 अप्रैल 1949 कुण ह्वे।
डाक्टर साहनी क पचास से बिंडी वैज्ञानिक अनुसंधान लेख भिन्न भिन्न विज्ञान पत्रिकाओं म प्रकाशित ह्वेन।
भारत सरकार न डा शनि क याद म वैज्ञानिकों कुण ‘बीरबल साहनी ‘पदक घोषणा कार यो पदक सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक अनुसंधान तै दिये जांद।
हम तै डाक्टर साहनी पर गर्व च।