(वियतनामी लोक कथा )
अनुवाद: 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
वियतनामौ एक घाटी म कखि रौंद छा एक भैजी अर वैकि बैणी। भैजी बाइस वर्षो क छौ तो भूली सात वरह की। द्वी एक हैंक पर आश्रित छा।
कुछ समय पैथर तौंक झुपड़ा क समिण से एक विद्वान् ज्योतिषी चलणु छौ कि नौना न ज्योतिषी रोक अर अपर भविष्य पूछ।
ज्योतिषी न अपर ज्योतिष क पोथी इना उना फरकाई अर बताई , ” ब्रह्माण्ड टूट जालो किन्तु मेरी बात झूठी ह्वेई नि सकद। तीन कुछ समय उपरान्त अपर सगी बैणी दगड़ ब्या करण” . इन बोलि ज्योतिषी अंतर्धान ह्वे गे।
युवा भेजी ज्योतिषी क बात सूणी विचलित ह्वे गे अर द्वी दिन तक से नि साक किन्तु समस्या समाधान नि मील । तब कुछ दिन उपरान्त अपर बैणि तैं बौण ल्ही गे। अवसर आण पर जब बैणि क पीठ भेजी जिना छे तो भेजी न कुल्हाड़ी न बैणि कंधा पर चोट कार दे। बैणि क वेदनायुक्त चीख सूणी भेजी भागिक लैंगसन जिना अंतर्धान ह्वे गे ,
समय अगनै बढ़ किन्तु युवा तै अपर बैणी चीख कम से कम एक बार प्रतिदिन सुण ेँदि छे। बैणी चीख वो बिसर नि साक. समय चक्र म परिवर्तन ह्वे अर वेको ब्यौ एक व्यापारी क पुत्री से ह्वे अर जीवन सुखी शान्ति से व्यतीत करणु छौ अर वै तै पुत्र रत्न प्राप्त ह्वे। युवा तै ज्योतिषी पर हौंस बि आंदि छे।
एक दिन की छ्वीं छन युवा की पत्नी बाळ सुखाणी छे कि बाळ झटकंद दै युव्वा तै अपर पत्नी क गौळ पर घौ दिखे।
युवा न पत्नी तै घाव विषय म पूछ। तो पत्नी न उत्तर दे कि वा व्यापराई क वास्तविक पुत्री नी अपितु गोद लियॉं पुत्री च। वींक भाई न वीं पर कुल्हाड़ी क चोट कार। जंगळ म अयां डाकुओं न वींक जान बचाई अर व्यापारी न वीं तै गोद ले ले. युवलक क पत्नी तै नी पता कि वींक भाई कख होलु। वीं तै समज म नि आंदो कि वींक भेजी तो वीं से अगाध प्रेम करदो छौ तो किलै हत्या पर उतारू ह्वे भेजी।
युवक समज गे कि या तो वैकि बैणि इ च। ज्योतिषी क बोल सच ह्वे गेन। दुसर दिन वो एक पहाड़ी जिना भाजी गे। वैक पत्नी प्रतिदिन सांझ म वैकि प्रतीक्षा म इना उना दिखणी रौंदी।