‘पसीना’—
सड़क !
चिफळपट्ट
जैमा गाड़ी का टैर
खळबट्ट रड़ि जांदा,
अर गाड़ी फिफ्ट गेयर मा
बथौ दगड़ि छवीं लगांदी।
पर ईं सडक की रूडि-कुलतारा बीच
पसिना च तौंकु,
जु सडक्यूं का जाळ बिछौणा,
सगत पौड़ तोड़णा,
माटू-गारू धूळ बुखौणा,
तड़तड़ा घाम स्हौणा,
दूधी परा क्वळांस नचौणा!
अडगिदि भाजदि गाडयूं हवा-बथौ दड़ि,
छ्वीं लगौणा।
सरील सुखे,
भूख-तीस मारी,
तन-मनकि पिड़ा सारी,
पसिना बगौंणा,
सड़क्यू कुलतार चमकौंणा।
हम धूळ माटा बरखा मा गाड्या सीसा चढौणा,
सड़के चौ सि धन्ना
अर हम सुदि है-फै कना।।।
—-@अश्विनी गौड़ दानकोट
राउमावि पालाकुराली रूद्रप्रयाग