(वियतनामी लोक कथा )
272 से बिंडी गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
बत्तख एक टांग पर किलै सींदीं पर एक लोक कथा प्रसिद्ध च –
भौत समय पैलाक छ्वीं छन। जब पृथ्वी की रचना पूरी ह्वे तो पता लग कि सब कुछ सही नी ह्वे। पृथ्वी म अन्य बत्तखों ममनिख तो याचना कागद ध्य चार बत्तख इन छा जौंक एकि टांग छे। शेष बत्तख तो भौत भली भाँती इना उना दौड़दा छ किन्तु सि बिचर चार जरा बि नि कूद सकद छा। अधिकांश तौं तैं भुकि रौण पड़द छौ कारण सि उथगा शीघ्रता से नि दौड़ सकद छा। हौर बत्तख अर पक्षियों क सरलता से चलण से यी बत्तख यूं से जळण मिसे गेन। अपर स्थिति से सि अति असंतुष्ट छा। एक दिन चर्री अपर स्थिति पर विचार हेतु कट्ठी ह्वेन।
चर्यून एक हैंक से ब्वाल , ” इन नि चल सकद। “
चर्री अपर याचना हेतु स्वर्ग म जाणो निर्णय ले । किन्तु तौं नि ज्ञान छौ कि स्वर्ग छह तो कख च। ऊं तै यो बि ज्ञान नि छौ कि याचना कन करे जाय।
मनिख तो कागद म याचना लिख सकद छा किन्तु बत्तख लिख नि सकद छा। अंत म एकान सलाह दे कि कुखुड़ म सहायता हेतु जाये जाय। एकान प्रतिरोध कार कि वैक लेखनी कैन नि पछ्याण सकण। इनि दुखी रैन कि पुनः वो इन कुखड़ म गेन जु सहायता करण चाणु छौ।
कुखड़न याचना पत्र लेखी किन्तु वो इथगा दूर नि जै सकदा छा।
कुखड़ न ब्वाल , ” ठीक च निकट म एक मंदिर च। तखक दिबता म जावो जो स्वर्ग को दूत च तो वैक माध्यम से याचना भयजो. मि तुमर परिचय पत्र पुमंदिर क दिबता कुण डींदो तुम दिबता म जाओ। “
बत्तख प्रसन्न ह्वेन। मुर्गा न परिचय पत्र लेख।
बत्तख प्रसन्न ह्वेक उत्साह म मंदिर जिना गेन। वो मंदिर क सीमा अंदर म पौंछि छन कि तौन मंदिर भितरन एक राजयधिकारी ध्वनि सूण , ” अगरबत्ती क ठाौ कुण चार टांग क स्थान पर आठ टांग किलै ?” अगनै ध्वनि ऐ , ” चार टांग निकाळ दिए जावन। “बत्तखों तै ज्ञान हि नि छौ कि अगरबत्ती क्या हूंद अर तौंक ठौ क्या हूंद।
बत्तखों क आस बढ़ गे। सी भितर गेन तो मंदिर को दिबता अबि बि अगरबत्ती प्रकरण पर फ्वीं फ्वीं फ्वां फ्वां करणू छौ। बिन मुसकर्यां दिबता न पूछ।
एक बत्तख न बताई, ” मौफी ! या हमारो प्रार्थना पत्र व परिचय पत्र च। ” बत्तख न अगनै ब्वाल , ” हम म एक ही टांग च अर हम तैं चार टांग की आवश्यकता च। “
दिबता न बताई कि जो एक बार ह्वे जाओ उखम परिवर्तन नि हूंद।
बत्तख कुछ समय निराशा म म मौन रैन पर पुनः साहस से ब्वाल , ” आप अबि अगरबत्ती ठौ क चार टांग निकाळणो छ्वीं जि करणा छा। “
दिबता बत्तख क बात सूणी जोर से हैंस। अंत म दिबता चार टांग दीणो उद्यत ह्वे गे। दिबता न चार टांग दींद चेताई , ” यी टांग सोना क छन तो तुम तै सदा सावधानी बरतण पोड़ल कि चोरी नि हो। “
बत्तखों न दिबता तै धन्यवाद दे।
बत्तख चार टांग लेक प्रसन्नता से घर ऐन। अब तौंम चार टांग छा सि बि अब फर्र फर्र कोरी चल सकद छा.. किन्तु दिबता क चेतावनी कि टांग चोरी नि होवन तो सावधानी बरतण चयेंद। चोरिक भय से बत्तख सींद समय तीन टांग छुपै दींदन। देखादेखी हौर बत्तखों बि सींद बगत तीन टांग छूपाण शुरू कर दे अर एक ही टांग म सीण शुरू कर दे।
या च बत्तखों द्वारा एक टांग म सीणो कथा अर कारण।