नाउम्मीदी ( रूसी कहानी)
मूल -अंतोन चेखव
अनु- सरोज शर्मा
डाक्टर पपोफ और डाक्टर मीटर मरीज क बिस्तरा क नजदीक खड़ हुयां छा और बैहसणा छा:
पपोफ-मि मनदु कि मि दकियानूसी आदिम छौं और इलाज कनक अभि भि पुरण ढंग ठीक समझदु।
मीलर-पर मि आपकि दकियानूसि क बारा मा कुछ नि बुनू…भरस्व करण या नि करण आपकु, बात मनण या नि मनण आपकु अपण मामला च….मि त इलाज खुण वै तरीका क इस्तेमाल कनकि बात कनू छौं जैसे मरीज थैं फैदा ह्वा।
मरीज-ओह -आह!(आह भ्वरद और बिस्तरा से उठि कि खड़ु ह्वै जांद दरवजा जनै जांद डरदा डरदा दुसर कमरा मा झंकद) आजकल दिवरों का भि कन्दूड़ हुंदिन।
पपोफ-मरीज कि शिकैत च कि वैकि छाति मा ऐंठन हूणी और जकड़न हूणि वैक जन कि दम घुटेणु च बिना तेज दवै से काम नि चललु।
मीलर-पर मि क्वी तेज दवै दीण से पैल वैकि हालत द्याखा वु तेज दवै झेल पालु?
मरीज वूंकि बथा सुणिक पीलु पोड़ ग्या, वु ब्वलद अरे भाई लोगो इतगा जोर से नि ब्वालो मि बाल बच्चो वल छौं एक दफ्तर मा बाबू छौं…ताल सड़किम लोग आणा जाणा छन म्यांर घौर मा एक नौकर भि च ओह!(और वु अपण हथ हिलैकि नाउम्मीदि जाहिर करद )