हिकमत एक सकारात्मक रचना
———-‘हिकमत’——
मन मा भलि करी, या बात ठांण दे
हार कतै नि मण्ण, गांठ बांध दे
ऐ जोला अग्वडि चै, कै बडा बडा पौड़
हिकमत ना छोड़, बस दौड़ दौड़ दौड़।।।
फूल जन गुलाब, त्वे हैंसण पडलू,
कांडो बीच हिंसूल भी, ब्यूंण्ण पडलू,
स्वीन्न पडलु, दुख बिपदों खौड़
हिकमत ना छोड़,बस दौड़ दौड़ दौड़।।।
बिना कर्या-धर्या यख, कुछ भी नि ह्वोण,
बीज बूत्या बिना, कनै फसल लैरोण,
उठ कमर कस,अब आलस दे छोड़,
हिकमत ना छोड़, बस दौड़ दौड़ दौड़।।।
रडदू बगदू कै दौ, बसग्याळ ऐ जोलू,
कर्या कमाया मा चै,ढांढू पडि जोलू,
आंसू नी बगौण कतै,बस अगनै सौर,
हिकमत ना छोड़, बस दौड़ दौड़ दौड़।l
रुकण भी नी,थकण भी नी,
अगने बढ़ण, पैथर देखण नी,
भाग-संजोग की छ्वीं,फुन छोड़,
हिकमत ना छोड़ ,बस दौड़ दौड़ दौड़।
बड़ा बुजुर्गों आशीष,सैंक समाळ,
मजबूत इरादों की, मुठ्ठ बौट,
पसीना त बगौणै पडदू भौत,
हिकमत ना छोड़, बस दौड़ दौड़ दौड़।।।
—अश्विनी गौड़ दानकोट
राउमावि पालाकुराली रूद्रप्रयाग।