समझणा छा जेतै बोझ
किले कना अपमान रोज
सैरा जगत मा नौ कमाई
नौनी भार नी,
कसम खवाई—–
नौनी नी च भार
ये से च सैरु संसार
पर अब देस बदली
सोच बदली
नौन्यूं तै मिली
अपरु संसार—-
जादा ना सोचा
नौनी औण वोळि सीता च
पढी नि सकदा पर
पवित्र ग्रंथ गीता च…
कशिश भूतपूर्व छात्रा
रा0उ0मा0वि0पालाकुराली रुद्रप्रयाग.
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