अनुवाद 250 से बिंडी कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
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वियतनामौ राजधानी म एक चतुर सौचिक (दर्जी ) छौ तैक नाम छौ ‘ दुओंग ‘। दुओंग कु नाम चीन म बि प्रसिद्ध छौ। दुओंग क दुकान बिटेन जब भि झुल्ला सिलेक आवो तो चाहे मनिख क क्वी बि भार हो , ऊंचाई हो , मोटाई हो वैक
झुल्ला (घघरु ) बिलकुल फिट हूंद छौ।
एक दिन एक चीनी राजदूतन विशेष घघरु (robe ) सिलाणो कुण दुओंग बुलाई। सौचिक (दर्जी ) न चीनी राजदूत क नाप लीणो उपरान्त राजदूत से पूछ , ” श्रीमान जी ! आप कथगा वर्षों से राजकीय सेवा म छंवां ?”
राजदूत न उत्तर दे अर तब पूछ , “दुओंग ! राजकीय सेवा या सेवा म वरिष्ठता क झुल्ला क सिलाइ से क्या संबंध च ?”
सोचिक (दर्जी )न उत्तर दे , ” श्रीमान जी ! भौत बड़ो संबंध च। जु नै नै अधिकारी बणद वो अपर अभिमान या गर्व दिखाणो हेतु छाती अगनै अर मुंड ऊंचो कौरि हिटद तो हम तै यु ध्यान रखण आवश्यक च कि घघरु क पिछौड़ घघरा क अगौड़ से छुट हो। “
” तब हम धीरे धीरे घाघरा पिछौड़ बढ़ांदा जांदवां अर अगौड़ छुट करदा जांदा। अर जब अधिकारी सेवानिवृत क निकट हो तो कार्यभार से वैक कंधा झुक जांदन अर हम वैक घाघरो पिछवाड़ा लम्बो रखदा व अगवाड़ी छूट। “
अब चीनी राजदूत क समज म आयी कि ‘दुओंग; हौर सौचिकों (दर्जी ) से बिंडी प्रसिद्ध किलै च।