चतुर बुगठ्या अर लालची रागस (ननि नाटिका )
(ननि ननि नाटिका श्रृंखला )
नौटंकी – भीष्म कुकरेती
सूत्रधार – एक नदी छल पर क बौण म तीन बुगठ्या रौंदा छा। नदी क दुसर ओर बि हरो हरो घासक जंगळ छौ।
कणसु बुगठ्या – नन भेजी ! ठुल्ली भेजी ! ये बौणक घास खै खैक बिखळाण ऐ गे।
मध्यम बुगठ्या – हां हाँ ! एकि जन घास पात खैका मि तैं बि बिखळाण ऐ गे।
ठुल्ला बुगठ्या – द्याखौ ! बढ़ बुडों बुल्युं च बल सद्यनी दुसर ओर क घास सवादी लगद। तो लालच नि कारो।
कणसु बुगठ्या – भैजि ! देख ना पलि बौण , ये बौण से बिगळ्यूं घास व कांडुं डाळ छन। जरा सूक्ष्म दृष्टि से दिखदि।
मध्यम बुगठ्या – हां अर तखाक घास व कांड हमकुण स्वास्थ्यवर्धक बि च।
ठुल्ला बुगठ्या – मि क्या बोलुं अब ? कणसों इच्छा पूरी करण इ पोड़ल। चलो नदी पार क बौण जाणै आयोजन , आयोजन कारो।
सूत्रधार – अब तिनि नदी म पुळ का न्याड़ ऐना। पुळ अक्षम पुळ छौ अर तिनि बुगठ्या एक दगड़ पुळ मंगन नि जै सकदा छा। पुळ तौळ एक रागस बि रौंदो छौ।
कणसु बुगठ्या – मि अगनै जौंदु।
मध्यम बुगठ्या – मि त्यार पैथर आन्दु।
ठुल्ला बुगठ्या – भलो भलो ! मि सबसे पैथर तुम पर दृष्टि बि राली।
सूत्रधार – पुळ म जनि ननो कणसु बुगठ्या पुळ क मध्य म आयी तनि तौळ बिटेन राग्स आयी अर कणसो बुगठ्या क समिण खड़ ह्वे गए। कणसु बुगठ्या थोड़ा डर सि गे।
रागस – हा हा ! आज शुभ दिन च मे सवादी बुगठ्या मिल गे। सवादी रान ! सवादी लद्वड़ …
कणसु बुगठ्या (अचाणचक एक विचार आयी ) – हा हा ! जब पूरो ज्ञान नि ह्वावो तो तुमर समान बुद्धिमान , चतुर बि मूर्ख बण जान्दो। लाटो कालो जन कार्य करण लग जांद।
रागस (प्रशंसा से पुळ्यांदो ) – क्या अर्थ ? मि अर मूर्ख ? मि चतुर रागस अर लाटु -कालु ?
कणसु बुगठ्या – हां तुमर व्यवहार त मूर्ख सामान इ च।
रागस – कन व्यवहार च म्यार ? मूर्ख जन ?
कणसु बुगठ्या – मे से सवादी तो म्यार भैजि सवादी छन। सरा जग तै ज्ञान च बल म्यार भैजी सर्वाधिक सवादी छन अर तुम तैं ज्ञान नी ?
रागस – हैं ? त्यार भैजि सवादी छन ?
कणसु बुगठ्या – हां हां . शेर तक बि अपर छौनों तैं इ बथांद।
रागस – अच्छा जा जा। मि त्यार भैजि ….
(कणसु बुगठ्या चल जांद अर मध्यम बुगठ्या पुळ मध्य आंदो व रागस खड़ ह्वे जांद )
रागस – अहा ! दुनिया क सर्वाधिक सवादी मांस खाणो मिलणु च। क्या रान छन ! क्या डौणि छन ! ब्वा जी ब्वा ! छुट बुगठ्या से बिंडी मांस बि।
मध्यम बुगठ्या – हैं ? मि अर सर्वाधिक सवादी बुगठ्या ?
रागस – हां
मध्यम बुगठ्या – जब चतुर से चतुर मनिख इन ब्वालल त मूर्ख इ बुले जाल।
रागस – क्या अर्थ ? त्यार भुला न इ त बताई बल वैका भेजी सर्वाधिक सवादी बुगठा च। शेर बि प्रशंसा करद। क्या बुगठ्या बि झूठ बुल्दन ?
मध्यम बुगठ्या – ना ना। हम बखर मनिखों जन झूठ नि बुल्दां। म्यार भुला न सत्य ब्वाल कि भैजी सर्वाधिक सवादी छन। अर्थात हम मदे सबसे बड़ो भेजी इ सर्वाधिक सवादी छन।
रागस – अर्थात ? तू सर्वाधिक सवादी बुगठ्या नि छै ?
बुगठ्या – न हमर सबसे ठुल्ला भैजी सर्वाधिक सवादी बुगठ्या मने जान्दन।
रागस – अच्छा ! भल ! भल ! तू जा मि तुमर भेजी क जग्वाळ करदो।
(मध्य बुगठ्या क जाण )
सूत्रधार – अर ठुल्ला बुगठ्या पुळ म आयी।
रागस – मीन त्वे खाण।
ठुल्ला बुगठ्या – जरा न्याड़ त आ
( रागस बुगठ्या क निकट जांद। बुगठ्या अपर बलशाली सींगों से रागस क पुटुक चीर दींदो।
रागस मरदो मरदो – मेरी दादी सच इ बुलदी छे।
ठुल्ला बुगठ्या – क्या ?
रागस – बल , रूप , स्पर्श , गंध , स्वाद क लालच म नि आण