प्राणक १० आश्रय स्थल
खंड – १ सूत्रस्थानम , 29 th उन्तीसवां अध्याय ( प्राणायतनीय अध्याय ) पद १ बिटेन ४ तक
अनुवाद भाग – २६०
गढ़वाळिम सर्वाधिक पढ़े जण वळ एकमात्र लिख्वार-आचार्य भीष्म कुकरेती
s = आधी अ
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!!! म्यार गुरु श्री व बडाश्री स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं समर्पित !!!
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अब अगनै प्राणायतनीय क बड़ा म चर्चा होलि जन भगवान आत्रेय न बोलि छौ। १ -२।
प्राण यूं दस स्थानों पर आश्रित च –
१-२ आँख /कनपटी
३-५ मर्म हृदय, बस्ति अर शिर
६ -कंठ
७- रक्त
८- शुक्र
९-आज
अर
१० -गुदा
यी प्राणक आश्रय स्थल छन।
यूँ दस स्थलुं , इन्द्रियां (आधयात्मिक ), आत्मा अर रोग कारण , लक्षण व औषधि चिकित्सा जु विद्वान्ज णद सी ‘प्राणमिसर’ बुके जांद। ३-४।
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*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य लीण
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस ,पृष्ठ — ३८५
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