सुनिन्द सियैंण वळा भि अब झटपट्ट बिजिगिन, मिन भी सूणि दगड्यों ऐसु फिर चुनौ ऐगिन।। क्वी मंदिरों...
देश
‘ कोरी बथ’ लूक्यां मूसौं फौज फिर से दिखेणी च भट्या-भट दिनमान रात दिन ह्वईं च। गौं-गळयूं...
–बाखरि— ।*बिचारि बाखरि* मेंऽ मेंऽ कनी छे स्या, जूड़ि परं बंधीं । पूछ्या गै – क्य करि...
१८वीं सदि मा प्रबल गढ़वाळ राज्या परसिद्ध अर जण्या-मण्या दीवान कृपाराम डोभाल का वंशज श्रीराम डोभाल जी...
जैंकु बुबा थाणेदार वींका खुंगला पुरस्कार जैंकु अपणु न पर्या वीं तैं प्वोर मु धर्या जैका मुंड...
बिस्वास छ मि तैं सक नी क्वी भोळ जरूर होलु सुख-चैन भोळ नि होलु आजै तरां भोळ...
बडूली एक गढ़वाली शब्द है, जिसका हिंदी में शाब्दिक अर्थ होता है हिचकी आना और हमें हिचकी...
तुम भी सुणा, मिन मी सुणी, लोग बुन्ना समाज बदलीगे, सुविधाओं कु दौर अयुं चा, लोग बुन्ना...
गढ़वाल में जिस प्रकार से ब्राह्मण तीन भाग में विभक्त हैं, क्षत्रिय यहां दो भागों में विभक्त...
नरोत्तम दास जी से प्रेरित स्टेज मा सुदामा अर वूं कि पत्नी सुशीला टूटीं फूटीं झोपड़ि का...