– सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -16 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 221 – लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री...
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सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण – 21 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 226...
सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण -22 उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग -227 लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन , व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ ) लैटिन नाम -Bombax...
लोक व्यवहार की अवहेलना केदारनाथ /धराली घाटी विनास का मुख्य कारण ...
Arjuna Plant Plantation for Medical Tourism in Uttrakhand — सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण 13 उत्तराखंड में पर्यटन व...
रीठा उगाना / वनीकरण Soapnut Forestation in Uttarakhand सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण – 12 उत्तराखंड में मेडिकल टूरिज्म विकास विपणन...
Drumstick Forestation in Uttarakhand (केन्द्रीय व प्रांतीय वन अधिनियम व वन जन्तु रक्षा अधिनियम परिवर्तन के उपरान्त...
ग्राम प्रधान – ये निर्भाग्युं ! कुछ स्वाचो , कुछ स्वाचो कि द्वी सौ नेताओं कुण चिट्ठी कनै लिखण...
हमर होटलम घी बिलकुल मुफ्त मिल्दु ! फ्री बी घोषणा पर घपका लगांद व्यंग्य भुंदरा बोडि -अहा...
नारी शोषण कथा (जु सात जन्मों से समधी समदण बणणो को तर्सणा छन ) भीष्म कुकरेती हम द्वी वी जमन माँ हिरन आर हिरनी छया. व अपड़ी चांठी माँ में अपुड़ डाँडो माँ एक दुसर तै प्यार से टक लगैक दिख्नना रौंदा छया .भेमाता (ब्रम्हा ) तैं यु मंजूर नि थौ की हम एक हैंका का सुवा हुवां . भेमता न हम तैं हैंक जनम माँ मनिख रूप माँ प्रेमी -सुवा बननो की जगा गढ़वाल माँ समधी समधन बननो को वरदान दे द्याई . पैलो जनम लुठेरूं को जोग: हमर पैलो जनम टिहरी जिनां गंगा को छाल फर ह्वे थौ. मेरी बेटी आर वींका नौन्याल की माँगन बड़ी धूम धाम से ह्वै. आज बी अदगैन (क्षेत्र) माँ वीं माँगन की छवीं लगदन.हम द्वी खुस छाया, पुल्याना छाया बल बस एक इ मनिख जनम उपरांत हम तैं मोक्ष मिल जालो . पण इन नि ह्वाई. ब्वौ से पेल सिपै जात का लोकुं का एक जुंटा रात डकैती दालनो अं अर मेरी बेटी तै उठाई का ल्हीगैन . इन सुणन माँ आई बल उनो मेरी बेटी तैं देस माँ गुड को सन्तरो बन्तरो (barter) माँ बेची दे . वै जनम माँ हम समधी-समधन नि बौन सक्वां. दुसर जनम बडो–छुटो बामण जात को नाम : हैंको जनम माँ हम दुयुं को जनम बामण जाती माँ ह्वै. वींको जनम अर ब्वौ बि सर्यूल बामण जात माँ ह्वै म्यार जनम छुटी बामण जात माँ ह्वै . सर्युलों न हमारू बेटी बेटा को रिश्ता नि होणी दे . ये जनम माँ बि हम तैं मोक्ष नि मील तिसरो जनम तैं खश्या – बामण की लडाई –बीमारी खाई गे : तीसरो जनम बि सुफल नि ह्वै . वींको जनम राजपूत जात माँ ह्वै अर म्यारो जनम बामण को घर ह्वै . तीन सौ साल पैली क्या आज बि गढ़वाली समाज माँ राजपूत बमाणु ब्यौ तै सामाजिक मंजूरी नि मिलदी त वी उबारी वै जनम माँ बामण जज्माणु को आपस माँ ब्वौ की सामाजिक मंजूरी कनकैकी मिलनी छे . हम वै जनम माँ बि निरसै का ही मोर्वाँ. चौथो जनम मातबरी अर गरीबी को अर्पण : हमारो चौथो जनम शिल्पकार जाती माँ ह्वै . ए जनम माँ ता हमारो समधी अर समधन बन्नो को पुरो अवसर थौ पण शिल्पकार जात माँ जनम ल्हेकी बि हम समधी समधन नि बुन सक्वां . वा सुनारून की ब्वारी छे अर मी पुनग्दों-खेतहीन का छौ जू रोज बित्ठों को इख मजदूरी करण वाल शिल्पकार छौ. म्यार नौनो बि मजदूरी कर्रदार छ्याई. वा मातबर घर की छे में अर म्यार नौनु गरीब गुरबा घरानों का छया . कोर कोसिस करण पपर बि हम समधी -समधन नि बौन सक्वां . ऊ जनम बि बेकार ही ग्याई. ...