(लघु नाटिका श्रृंखला )
नौटंकीबाज – भीष्म कुकरेती
(कॉलज क एक बरामदा थुड़ा दूर म कैंटीन क दरवाजा )
भुंदरा – मि स्वतंत्र जीवन बिताण चांदो। या शिक्षा पाणै जिंदगी बड़ी बेकार च , बेकार।
सुंदरा – अरे इन क्या काण्ड लगिन कि जिंदगी बकबास लगण लग गे।
भुंदरा – अब देख ना कॉलेज कैंटीन म समोसा इथगा बेकार पकण मिसे गेन अब। मि ये कॉलेज छुड़ना सुचणु छौं।
सुंदरा – हैं तू कॉलेज छुड़नि छे कि कैंटीन म तेर मर्जीक समोसा नि मिल्दन ?
चतुरी – सुंदरी ! तू बि न नासमझ छे। बेसवादी समोसा कारण नी अपितु भुंदरा समोसा वळ क प्रेम पोड़ गे।
हुस्यारी – हैं ! भुंदरा क्या मूर्ख च ? समोसा वळ वींक स्टैंडर्ड क बि नी ना हि क्वी धन्ना सेठ।
भुंदरा – अरे सब चुप रा। बकबास नि कारो मी समोसा वळ से प्रेम नाटक इलै करदो कि वु मुफ़्तो समोसा जि दींद रोज।
भगुली – ये मेरी ब्वेका ! कन बिजोग पोड़। हे भुंदरा ! तू मुफ़्तो समोसा खाणो बान समोसा वळ से प्रेम नाटक ?
( समोसा वळ कुछ दूर पर सुणनु छौ। वु समणि आंद )
समोसा वळ – औ त यु सब ढोंग छौ , नाटक छौ।
भुंदरा – प्यार करण म ले क्या जान्दो। मि त्यार कुत्ता से बि …
हुस्यारी – हे समोसा वळ ! तू मैं तै प्रतिदिन मुफ्त समोसा दे त मि बि तयार छौं।
सब एक दगड़ (सब हंसदन )- हां हां ! मि बि ..
समोसा वळ – ओके तुम मि तेन मूर्ख समजदा ? भोळ से समोसा पचास रुपया का। अब कारो नकली प्यार। हा हा ….
सब (चिल्लायिक ) पचास रुपया म समोसा ?
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