
उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
शकुनि क रणनीति से प्रभावित हस्तिनापुर नरेश दुर्योधन न पांडव दहन को प्रबंध वाणाव्रत म एक लक्षागृह निर्मित कार। योजना ये छे कि कुंती सहित पांडवों तै तख भिजे जालो अर लक्षागृह (लाख महल ) म दुर्योधन सेवक रात आग लगै द्यालो अर सब पांडव जळ जाला। जांसे दुर्योधन निष्कंटक हस्तिनापुर पर राज कर साकल। दुर्योधन न युधिष्ठिर तैं मनोरंजन यात्रा पर भिजणो हेतु वाणाव्रत भेज अर वास हेतु लक्षागृह म प्रबंध कार की बात बताई। जब पांडव कुंती वाणावृत जाणा छा तो विदुर न दुर्योधन की योजना गुप्त भाषा म युधिष्ठिर तैं बताई दे छौ।
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
शकुनि क रणनीति से प्रभावित हस्तिनापुर नरेश दुर्योधन न पांडव दहन को प्रबंध वाणाव्रत म एक लक्षागृह निर्मित कार। योजना ये छे कि कुंती सहित पांडवों तै तख भिजे जालो अर लक्षागृह (लाख महल ) म दुर्योधन सेवक रात आग लगै द्यालो अर सब पांडव जळ जाला। जांसे दुर्योधन निष्कंटक हस्तिनापुर पर राज कर साकल। दुर्योधन न युधिष्ठिर तैं मनोरंजन यात्रा पर भिजणो हेतु वाणाव्रत भेज अर वास हेतु लक्षागृह म प्रबंध कार की बात बताई। जब पांडव कुंती वाणावृत जाणा छा तो विदुर न दुर्योधन की योजना गुप्त भाषा म युधिष्ठिर तैं बताई दे छौ।
पांडवों न लक्षागृह म जैक तख बिटेन गंगा तौळ एक सुरंग निर्मित कर दे छौ।
जैदिन दुर्योधन सेवक लक्षागृह म आग लगाण वळ छौ पांडवों न गाँव वळो तैं भोजन हेतु आमंत्रित कार। तब रात म लक्षागृह म गांवक बामण परिवार क पांच लोग अर दुर्योधन क सेवक लोग छा तो भीम न लक्षागृह पर आग लगै दे अर गुप्त सुरंग क बाट दूर जंगळ ऐ गेन। दुर्योधन प्रसन्न छौ कि पांडव लक्षागृह म भष्म ह्वे गेन।
जबकि पांडव जंगळ जंगळ भटकद एकचक्रा गांव (इन बुल्दन बल यो िकचक्र आजौ चकराता च ) पौन्छिन तख तौन एक बामण क घर शरण ले। दिन भर पांडव भिक्षा लीणो गाँव गाँव भटकद छा अर कुंती भिक्षा क अदा भाग भीम तैं दे दींदी छे शेष भाग म सब पांडव संतोष से पेट पूजा करदा छा।
एक दिन भीम अर कुंती घर म छे अर हौर पांडव भीख मंगणो गाँव म जयां छा। कुछ समय उपरान्त पैथर शरणदाता बामण क परिवार म वार्ता चर्चा क कचपच शुरू ह्वे गे। भितर रूण -धूणै ध्वनि आण लग गे।
भीम अर कुंती न पता लगै तो पायी कि गाँव बकासुर राक्षस ग्रसित गाँव च। गाँव वळो न राक्षस से मिलीक एक योजना बणै छे कि प्रतिदिन गाँव क एक परिवार गाडी भरी भोजन अर एक मनुष्य लेक राक्षस को ग्रास बौणल अर राक्षस अनावश्यक हौरों तैं नि मारल। आज बामण क भागीदारी छे एक मनिख अर गाडी भर भोजन भिजणै।
कुंती न बामण तैं आस्वस्त कार कि आज बामण क बच्चा राक्षस म नि जालो अपितु भीम जालो। पैल बामण परिवार उद्यत नि ह्वे कि कन पौणो क हत्या कराये जाय। कुण्टू क समझाण से बामण समझ गेन।
भीम गाडी म भोजन लेकि राक्षस म गे अर स्वयं भोजन करण लग गे। भूखो राक्षस तैं क्रोध आयी। वो भीम क ओर आयी तो भीम न लते दे। इन म मल्ल युद्ध शुरू ह्वे गे। ये मध्य भीम न अपर घुंड राक्षस क कमर म जोर से मार अर राक्षस क रीढ़ की हड्डी टूट गेन अर राक्षस मोर गे।
भीम न राक्षस वध की सुचना गाँव वळो तै दे। सब गाँव वळ प्रसन्न ह्वे गेन।