केदारघाटी की तीन गौं मा, रचीं-बसीं लोकपरंपरा———- केदारखंड नागपुर-केदारघाटी मा, रचीं-बसी संस्कृति, आस्था, विश्वास अर प्रकृति...
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नाक कखि मान च नाक कखि सम्मान च नाक दगडि जुड्यूं हम सबुकू स्वाभिमान च। कैन नाक...
आज फिर बरखा लैगी, भैर भारी जाडू़ ह्वैगी, डांडा-कांठों पड़िगी बर्फ, झगुलि,टोपली भैर ऐगी। आज फिर….. लरक-तरक...
कोरी बथ’ लूक्यां मूसौं फौज फिर से दिखेणी च भट्या-भट दिनमान रात दिन ह्वईं च। गौं-गळयूं मा...
वोट डळन चला साथियूं लोकतंत्र का बणां बराती अठ्ठार साले उमर कर्लि पूरी त वोट द्योणौ मिली...
मतदान अब बटि हमारि पछांण द्यौण जांण हमुन मतदान दै-दादा दगड़ि लिजांण भैजी बौजी तै समझांण दीदी...
आज फिर बरखा लैगी, भैर भारी जाडू़ ह्वैगी, डांडा-कांठों पड़िगी बर्फ, झगुलि,टोपली भैर ऐगी। आज फिर….. लरक-तरक...
सुनिन्द सियैंण वळा भि अब झटपट्ट बिजिगिन, मिन भी सूणि दगड्यों ऐसु फिर चुनौ ऐगिन।। क्वी मंदिरों...
‘ कोरी बथ’ लूक्यां मूसौं फौज फिर से दिखेणी च भट्या-भट दिनमान रात दिन ह्वईं च। गौं-गळयूं...
–बाखरि— ।*बिचारि बाखरि* मेंऽ मेंऽ कनी छे स्या, जूड़ि परं बंधीं । पूछ्या गै – क्य करि...