
उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
पांडवों क स्वर्गारोहण की कथा महाभारत क स्व्रागारोहण अध्याय म कथा च।
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
पांडवों क स्वर्गारोहण की कथा महाभारत क स्व्रागारोहण अध्याय म कथा च।
युधिष्ठिर -द्रौपदी समेत सब पांडवों न विचार कार कि सशरीर स्वर्ग जये जाय। तौन राजपाठ परीक्षित तैं सौंप अर माणा जिना की यात्रा शुरू कर दे। गढ़वाळ क बदरिकेश्वर आश्रम जिना से सुरति उद्गम तक पौन्छिन। सरस्वती उद्गम स्थल म द्रौपदी तैं चलण म कट्ठण ह्वे तो भीम न एक बड़ी शिला उठायी अर सरस्वती मथि धार दे। या शिला आज बि भीम शिला नाम से प्रसिद्ध च।
इख बिटेन पांडवों दगड़ एक कुत्ता बि सम्मलित ह्वे गे। माणा से जरा मथि जांद हि द्रौपदी धरधरायी अर नाउठ ह्वे गे। द्रौपदी क यीं दशा देखि भीमम न युधिष्ठिर तैं पूछ , ” भेजी ! द्रौपदी न क्या पाप कौर छौ जो या दशा ह्वे कि हमर दगड़ स्वर्ग नि ऐ सकदी ?”
युधिष्ठिर न शांत भाव म उत्तर दे ,” द्रौपदी कुण हम पांच बराबर हूण चयेंद छौ किन्तु द्रौपदी की आसक्ति अर्जुन क ओर बिंडी छे। ” युधोष्ठिर द्रौपदी बिन देखि अगनै बढ़ गेन।
कुछ समय उपरान्त सहदेव भ्यूं पड़ गे अर निउठ ह्वे गे। भीम न कारण पूछ तो युधिष्ठिर न उत्तर दे , “सहदेव अफु से बड़ विद्वान् कै तैं नि समजदो छौ। इलै सहदेव की या कुगति ह्वे। “
सहदेव तेन सब छोड़ि अग्नि बढ़िन तो अगनै मथि एक ह्युं शिला म नकुल निउठ ह्वे गे। युधिष्ठिर न बताई कि चूंकि नकुल अफ़ु तैं सबसे सुंदर मनिख समजदो छौ तो तैकी इन दशा ह्वे।
कुछ मथि जाण पर अर्जुन क खुट ह्यूं खड्ड म गे अर अर्जुन निउठ ह्वे गे। भीम न अपर प्रश्न दोहराई तो युधिष्ठिर न उत्तर दे कि चूंकि अर्जुन तै अपर पराक्रम पर अति अभिमान छौ कि मि एकी दिन म समस्त शत्रुओं नाश कर द्योलु। किन्तु ह्वे नी तो अर्जुन सशरीर स्वर्ग जाण से रै गे।
उच्च मथि भीम बि निउठ ह्वे गे। भीम न प्रश्न पूछ कि म्यार दगड़ इन कन ? तो युधिष्ठिर न उत्तर दे त्वे बि अपर शरीर अर शक्ति पर अति अभिमान जि छौ।
युधिष्ठिर क दगड़ केवल कुत्ता छौ। इंद्र युधिष्ठिर लीणो आयुं छौ। युधिष्ठिर न अपर भाईओं अर द्रौपदी सह स्वर्ग जाणो अपर इच्छा बताई। इंद्र न सूचना दे कि सब तो पैलि स्वर्ग पौंछी गेन।
युधिष्ठिर क दगड़ कुत्ता छौ तो इन्द्रन मना कर दे कि कुत्ता स्वर्ग नि जै सकद। तो युधिष्ठिर न बि स्वर्ग जाणो ना बोल दे। तब कुत्ता वास्तविक शरीर म आयी कुत्ता धर्मराज यमराज ही छा। एक उपरान्त इंद्र युधिष्ठिर तैं सशरीर स्वर्ग ल्ही गेन।