
उत्तराखंड संबंधित पौराणिक पात्रों की कहानियां श्रृंखला
300 से बिंडी मौलिक गढ़वळि कथा रचयिता : भीष्म कुकरेती
अर्जुन उलूपी ब्यौ कथा महाभारत क भीष्म पर्व क 90 वां अध्याय म अर्जुन -उलूपी ब्यौ अर तौंक पुत्र कथा वर्णित च। उलूपी नागलोक की छे जो गंगाद्वार क निकट या गंगाद्वार क्षेत्र म आंदो छौ। तो मान सकदा कि उलूपी हरिद्वार क्षेत्र की नौनी छे।
उलूपी ऐरावत वंश नागवंश शेषनाग क अनुज वासुकि अर राजमाता विशवाहिनी क दत्तक पुत्री छे। उलूपी अति सुंदर नौनी छे। गरुड़ न उलूपी क मनोनीत पति क हत्या कर दे छे तो उलूपी इखुलि दुखी छे। सया नागलोक म रौंदी छे जो गंगाद्वार (हरिद्वार ) म छौ।
इन्द्रप्रस्थ प्रकरण उपरान्त अर्जुन मैत्री अभियान पर निकळेन। जब वो गंगाद्वार म गंगा तात पर छा तो नागकन्या उलूपी की दृस्टि अर्जुन पर पोड़। उलूपी अर्जुन पर विमुग्ध ह्वे गे छे अर अर्जुन तै पति बणवाणै इच्छा से तैन अर्जुन तेनमूर्छित कार अर नागलोक ल्ही गे। तख सि द्वी पति -पत्नी रुपम एक वर्ष तक रैन। कुछ स्थान म एक रात च।
तब उलूपी अर्जुन तैं एक वर्ष उपरान्त गंगाद्वार छोड़ गे अर बतै गे कि वा गर्भवती च. दगड़ म उलूपी न अर्जुन तै वरदान बि दे कि वो कभी भी जल व जलचर समिण हार नि सकद या अर्जुन की हानि नि ह्वेलि।
उलूपी -अर्जुन क पुत्र क नाम छौ इरावन जो शक्तिशाली , अर रूपवान छौ। इरावन न महाभारत युद्ध म कौरव सेना क विनाश कार। इरावन न पांडवों हेतु चामुंडा देवी सम्मुख बलिदान दे छौ बल। किन्तु वे से पैल इरावन विवाहित हूण चाणु छौ। कृष्ण मायावी रूप से एक मोहनी बण अर इरावन दगड़ ब्यौ कार। विवाह उपरान्त इरावन न बलि दे दे। चूँकि इरावन की पत्नी अर्ध पुरुष (मायावी कृष्ण ) छे तो किन्नर इरावन तै अपर पति मणदन।