(ननि ननि नाटिका श्रृंखला)
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नौटंकी – भीष्म कुकरेती
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पात्र –
सूत्रधार
मुर्गी
बतख
बटेर
स्याळ
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सूत्रधार – एक दिन एक मुर्गी डाळ तौळ तक बिसाणि छे कि छटाक से डाळौ क फल मथि बिटेन आयी अर मुर्गी क मुंड मथि पोड़। मुर्गी दर्द से किरायी।
मुर्गी (भगद ) – हे मेरी ब्वे ! अकास मथि बिटेन भ्यूं पड़णु च। मि तै रज्जा तैं बताण पोड़ल। भगद छौं।
सूत्रधार – इनम मुर्गीन भगण शुरू कर दे। भगद भगद दूर पॉंच गे। तख बतख न मुर्गी भगद देख।
बतख – हे मुर्गी कख भगणी छे ?
मुर्गी – अकास भ्यूं पड़णु च। राजा तै बताणो जाणु छौं।
बतख – हे मेरी बवे ! अक्स भ्यूं आणु च ? मी बि त्यार दग्ड़ आंदो। चल चल मी बि भागदु त्यार दगड़।
सूत्रधार – द्वी भगण लग गेन। एक बटेर क पास ऐना।
बटेर – अरे तुम द्वी इन भगणा छा जन जंगली बिरळ पैथर पड़ गे हो। क्यांक भगणा छा ?
बतख – अरे जंगळी बिरळ से बि भयंकर बात हूणी च।
बटेर – क्या ?
बतख – अकास भ्यूं आणु च। अर हम राजा तैं बताणो जाणा छा।
बटेर – ये मेरी ब्वे ! अकास भ्यूं आणु च ? चलो मी बि आंदो राजा तै बताणो।
सूत्रधार – अब मुर्गी , बतख अर बटेर तिनि दौड़ना छा। दौड़दा , दौड़दा सि मित्रघाती स्याळ क पास ऐन।
स्याळ – ये ! तुम इन किलै भगणा छा ?
बटेर – अकास भ्यूं आणु च। अर हम राजा तैं बताणो जाणा छा।
स्याळ – अच्छा ! पर तुम तैं पता बि च राजा कख रौंद ? कुछ अता पता /?
तीनि – ना ना हम तै ज्ञान नी। हां किन्तु दूर च यी हम तै ज्ञान च।
स्याळ – क्वी बात नी। मि तै ज्ञान च बल राजा कख रौंद। मि छूट बाट जणदु छौं। चलो म्यार पैथर पैथर आओ।
सूत्रधार – सब स्याळ क भकलौण म आयी गेन अर स्याळ क पैथर पैथर चलण मिसे गेन। चलदा चलदा सि सबि स्याळ क उड्यार निकट ऐन। स्याळ उड़्यारक मुख छूट छौ।
स्याळ – राजा म जाणो यु सॉन्ग से सौंग बाटू च। मि भितर जाणु छौ। एक एक कौरि तुम बि आवो।
सब – हां हां हम एक एक कौरि छीरी औंदा।
सूत्रधार – पैल बटेर गे। यांक पैथर बतख गे। जनि मुर्गी भितर जाण वळ छे कि स्याळ न बटेर अर बतख मुंडी भैर चुलै दे। मुर्गी समज गे अर वापस भाग गे।
सूत्रधार – आज तक राजा तै पता नि चौल कि अकास भ्यूं बि पोड।