गणितज्ञ आचार्य वीरसेन
(भारतौ प्राचीन वैज्ञानिक –31 )
संकलन – भीष्म कुकरेती
आचार्य वीरसेन आठवीं सदी क जैन दार्शनिक व गणितज्ञ छा। धवल का रचयिता आचार्य वीरसेन छन व जयधवल क रचयिता बि।
आचार्य वीरसेन न ‘स्तम्भस्थूण’ अथवा फ्रस्टम Frustum का आयतन निकाळणै विधि जग तै बताई।
आचार्य वीरसेन न अर्धच्छेद , त्रकच्छेद व चतुर्थच्छेद सिद्धांत अपनांदा छा.
अर्धच्छेद म दिखे जांद कि कन क्वी बि संख्या कथगा बार २ से विभाजित ह्वेका १ ह्वे जांद।
वास्तव म यो २ आधारित वीं संख्या क लघुगणक (log2 X ०) क अन्वेषण च।
इनि त्रकच्छेद (log 3 X ) अर (log 4 X ) छन।
आचार्य वीरसेनन कै वृत्त की परिधि (c ) अर व्यास क मध्य संबंध कुण एक सन्निकट सूत्र दे –
C = 3d + (16d+16)/113d.
यु पायी π ≈ 355/113 = 3.14159292. आंदो जु ारीबत्तीय सिद्धांत से बिंडी शुद्ध च।
धवल क अध्ययन आज बि हीन हि ह्वे किलैकि अधिकतर विद्वान् धवल तै जैन दर्शन ग्रंथ इ समजदन।