प्रेत (रूसी कहानी)
मूल :आंतोन चेखव
अनुवाद-सरोज शर्मा
हैं को च, चौकीदार न अवाज दे, पर धुंध, हवा और डालों कि सरसराण क बीच वु साफ सूणि सकदु छा कि क्वी समणि से जांणु च,मार्च कि रात सदनि जन बदरीलि और कोहरा से भ्वरीं छै।
को च?वैन फिर अवाज दे और वैन फुसफुसाहट जन हैंसि सुणि, ई मि छौं एक कौंपदि और एक बुडया जन अवाज ऐ,
मि कू?एक राहगीर…
राहगीर से मतलब?अपण डैर दिखाण कु चौकीदार न जोर से बोलि,राति कब्रिस्तान मा क्या कनू छै?
ओह भैजी मी कुछ दिखै नि दींद ईश्वर मेरी आत्मा थैं शान्ति द्या। बुढया न गैरी सांस ल्या, अंध्यर इतगा च, क्या ई कब्रिस्तान च?
कब्रिस्तान न त और क्या च?
तु कू छै?
एक घुमंतू तीर्थयात्री।
भौत बड़िया, दिन मा पींद छै और रात मा कब्रिस्तान म घुमदु छै,बुरू ह्वा तेरू।बुढया क खंसण से चौकीदार क डैर खत्म ह्वै ग्या।
तु यखुलि नि त्यार दगड़ द्वी तीन और छन।
बिल्कुल यखुलि, ईश्वर दया कौर हम पर। चौकीदार उछलि कि वैक नजदीक ग्या, तु भितर कनकै ऐ, क्या बाड़ फांदिक?
मि बाट भूल ग्यूं मी मित्री कि चक्की म जाण छा।
क्या यु मित्री कि चक्की म जाण क बाटु च?बेवकूफ, वैक बाट बैं ओर से च,जु त्वै कस्बा से ही पकड़िक जाण छाई, लगणु च अभि भि पियीं च,
बिल्कुल पियीं च, पर अब कै रस्ता जाण?
दीवाल क साथ नाक कि सीध मा जावा।दिवाल खत्म हूणक बाद बैं मुड़िक कब्रिस्तान पार कैरिक फाटक खोलिक रोड मा पौंछिक वख से सीधा मित्री कि चक्की म। और हां कै भ्याल मा न लमड जै।
ईश्वर तेरी सेहत सलामत राख मां मरियम त्वै आशीष द्या। क्या म्यांर दगड गेट तक जैला?मी पर तरस खावा।
त्वै लगद म्यांर पास फालतु टैम च यखुली ही जा।
मेहरबानि कैरा,मी कुछ नि सुझदु। मि हर रात तुमखुण प्रार्थना करलु। म्यांर पास टैम नि मि सबु दगड इनि करलु त नौकरी से निकले जौंलु।ईशु से प्रेम कि खातिर सच मी दिखै नि दींद, ऐका अलावा कब्रिस्तान म डैर लगद,,मी खुण एक मुडंरू ! अच्छा त चल ।द्विया दगड़ि चलण लगीं, कंधा न कंधा मिलैकि बिना बथा करयां चलणा छा, बर्फ जनि हवा क एक झोंका और डालों कि सरसराण कि अवाज….बड़ी बड़ी बूंदों मा भिगण लगीं, सरया रस्ता पाणि न भ्वरे ग्या।
एक बात मी हैरान करदि कि तु भितर कनकै ऐ!गेट मा त तालु लगयूं च, दिवाल फांदिक ऐ क्या? ह्वै सकद?मि खुद कुछ नि जंणदु कनकै औं?मी पर शैतान सवार छा, ईश्वर न मी सजा द्या, तु यखक मयलदु संतरी छै?हां। पूरा कब्रिस्तान कि चौकसी खुण? ना हम तीन लोग छां। एक बिमार च दुसर सियूं च, हम बारी बारी से ड्यूटी करदां।समझ ग्यों, हे भगवान कन अंधड चलणु च जन क्वी जंगली जानवर चिघांणु ह्वा। और तु कख बटि ऐ?भौत दूर बोलोग्ना जने से तीर्थस्थलों क दर्शन करदु और भला नेक लोगों खुण प्रार्थना करदु, हे भगवान हम पर दया कौर।
चौकीदार अपण पाइप जलांण कु रूकि। तिल्ली क उज्यल मा कब्र कु एक सफेद ढुंग दिखै वै मा लिखयू छा देवदूत और कालु क्रास क चिन्ह।
हमरा प्रियजन गैरी नीन्द मा सिंया छन, अजनबी न गैरी सांस लेकि बोलि, अमीर और गरीब, बुद्धिमान और मूर्ख सब्या चैन से सिंया छन,तुरही बजण तक सिंया राला और फिर स्वर्ग जाला। अभि हम यख चलणा छां, समय आंण मा हम भि अपणि कब्र मा हूंला।
भौत सही इन क्वी नि जु म्वरदु नि, हम सब्या पापी छां हमरा कर्म बुरा छन, मि भि पाप मा डुबयूं धरती मा बोझ छौं।
तब भि त्वै एकदिन म्वरण प्वाड़लु।
मि नि जंणदु। तीर्थयात्रियों थैं म्वरण हम जनो से असान च।
तीर्थयात्री भि द्वी तरा क हुंदिन, पैला भगवान से डरणवला, जु अपणि आत्मा कि फिक्र करदिन,।तुमरि भेंट कै इनि तीर्थयात्री से भि ह्वै सकद जु तुमर मुंड मा कुल्हाड़ी चलै सकद। मी इन डराण वलि बथा किलै सुनाणु छै?सिर्फ बथा कनकु, गेट ऐ गै तालु खोल।
चौकीदार न तालु खोलि और अजनबी थैं भैर करि।
कब्रिस्तान खत्म अब सीधी सड़क जा और तब तक चलदु रै जबतक मित्री कि चक्की नि ऐ जा।
भाई अब मित्री कि चक्की जाणा कि जरूरत नि वख किलै जांण?
मि यखि त्यार दगड कुछ देर रूकलु।
पर किलै?त्यार दगड भौत आनंद ऐ। मि क्वी जोकर छौं?तुम इना तीर्थयात्री छा जु मजाक पसंद करद।
बिल्कुल करदु छौं, अजनबी न बोलि तू मी लम्बा बखत तक याद रखिलि। किलै भला?
किलैकि मिन बड़ चालाकि से त्वै बांदर बणै ।क्या तू मी तीर्थयात्री नि समझणु छै?ना बिल्कुल ना। त कु छै?
एक प्रेत। मि अभि अभि अपणि कब्र से निकलु।गुलारोव थैं याद कैर, नल ज्वणन वल मिस्त्री, जैन फांसी लगै मि वैकु ही प्रेत छौं।
क्वी और किस्सा बोल। चौकीदार न वैक विश्वास नि करि पर डैर ग्या, एक कदम पिछनै हट ग्या और गेट जनै भगणा कि कोशिश करि, कख भगणु छै?रूक। अजनबी न वैक हथ पकड़िक बोलि कि तु यखुलि छै ,और तु मी यखुलि नि छोड़ सकदि।
मी जांण दे हथ छुडैकि चौकीदार बोलि। जब मि बुनू खड़ रै त खड़ रै। जीवित जांण चैंद त चुपचाप खड़ रै कुकर कखि कु, मि ऐ बगत खून नि बगांण चांदु वर्ना कभि कु कामतमाम कैर दींदु। चुपचाप खड़ रै।चौकीदार का घुंडा कौंपणा छाया ,वैन पूरि ताकत न चिल्लाण कि कोशिश करि, पर जंणदु छा वैकि अवाज कखि नि पौंछणी। कुछ मिनट सन्नाटा म गुजरीं,।एक बीमार प्वड़यू च एक सिंयूं च और एक तीर्थयात्री थैं गेट तक पौंछाणु च। अजनबी बरड़ाणु छाई, बड़िया!और ऐ खुण तुमथैं तनख्वाह मिलद ।ओह न भैजी!चोर चौकीदार से सदनि ज्यादा चालाक हुंदिन। चुप खड़ रै, हिलि ना, पांच दस मिनट इन्नी गुजर गैन, अचानक बथौं थैं चीरिक एक अवाज ऐ।
अब जै सकदि। अजनबी न चौकीदार क हथ छोड़िक बोलि भगवान क धन्यवाद कैर कि तु जिन्दा छै।
अजनबी न तेज सीटि बजै और चौकीदार थैं छोड़िक गेट जनै भाग।डैरिक चौकीदार न गेट खोलि और आंखा बंद कैरिक भगि। तभि वै तेज तेज चलणा कि अवाज ऐ और फुसफुसाहट सुणै द्या, ।क्या तु छै त्रिकोन?मिटका कख च?
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जब चौकीदार सड़क से काफी दूर ऐ ग्या त वैन अंध्यर मा एक टिमटिम करद उज्यल देखि वु उज्यल क जतगा नजदीक जाणु छा वैक डौर उतगा हि बढणु छा। और कै अनहोनी कि आकांक्षा हूणी छै,।
लगणु उज्यल चर्च क भितर से आणु च ईसू माता मी माफ करि मि इलै हि डरणु छा।
एक मिनट बाद वु चर्च कि टुटीं खिड़कि क पास खड़ ह्वैकि चर्च कु दालान द्यखणु छा। एक पतलि मोमबत्ती जै चोर बुझाणा भूल गे छा बथौं न टिमटिमाणी छैपूजाघर म एक टुटयूं बक्सा औंधु प्वड़यू छा इनै उनै समान बिखरीयूं छा टेबल क पास अनगिनत खुटों का निशान छाया, कुछ मिनट गुजरीं, चर्च मा खतरा कि घंटी बजि, जै तेज बथौं कब्रिस्तान क पार ले ग्या।