नौटंकीबाज – भीष्म कुकरेती
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(आंखु डॉक्टर क स्ववगत ककक्ष )
(एक सज्यूं धज्यूं आकर्षक व्यक्ति डाक्टर क स्वागत कक्ष म आंदो। किन्तु , बुलण म कम आत्मविश्वास। व्यक्ति क हथम द्वी प्रकार चश्मा छन एक दिनक साफ़ चश्मा , एक दिनम कुछ डार्क चश्मा )
व्यक्ति – आंखु डाक्टर कख मीलल ?
रिसेप्सनिस्ट – यखी।
व्यक्ति – फीस क्या च ?
रिसेप्सनिस्ट – चेक आप ३००० रुपया . बाकी चश्मा आदि क अलग।
व्यक्ति – ठीक च मीन डाक्टर इ तै आँख दिखाण। बड़ी तख़लीफ़ हूणी च। विशेषकर रात म त इन लगद अंध्यर ह्वे गे ह्वावो।
रिसेप्सनिस्ट – जरा अपर चश्मा दिखावो।
(व्यक्ति द्वी चश्मा रिसेप्सनिस्ट तैं दे दींदु। रिसेप्सनिस्ट चश्मों लेकि भितर जांद। कुछ समय उपरांत भैर आंद।
रिसेप्सनिस्ट – जरा अब चश्मा चेक कारद जरा।
व्यक्ति एक एक कौरि चश्मा पैरद। भौत पुळेक – आपन क्या जादु कार द्वी चश्मों से साफ़ दिखेणु च। साफ छाळो।
रिसेप्सनिस्ट – मीन कुछ नि चश्मों पर भौत मैनों से गर्द जमीं छे। मीन साफ़ कार दुयुं तैं।
व्यक्ति (बुलण म बलशाली आत्मविश्वास ) – औ ! औ ! थैंक यु वेरी मच। म्यार अप्वाइंटमेन्ट कैंसल कौर द्यावो।
(व्यक्ति स्वागत कक्ष से सरासर भैर चल जान्दो।
रिसेप्सनिस्ट – मुफत खोर !
सर्वाधिकार @ भीष्म कुकरेती