चतुर गणपति (एक आनंददायी कहानी )
कथा – भीष्म कुकरेती
एक समय की छ्वीं छन। जोशीमठम संतों क संगोष्ठी चलणी छे। तखम गणपति क गुणों विषय म चर्चा चौल।
उदयपुर का भृगु रिखिन बोल – गणपति केवल ब्वे -बाबु आदर सम्मान कारण प्रसिद्ध नी छन अपितु …
बदलपुर क गोरख रिखिन पूछ – जनकि ?
रिख्यड- बणचुरि क बणऋषि न बि बोल – अर्थात गणपति हौर गुणो वास्ता बि प्रसिद्ध छन ?
भृगु न उत्तर दे – हां हां गणपति बहुगुणी छन।
जमनोत्री क हरि ऋषि न बोली – भृगु श्री ! त सुणावो क्वी कथा।
भृगु ऋषि न या कथा सुणाई।
एक गाँव म गणेश मंदिर का निकट एक गरीब किन्तु उच्च शिक्षित पंदिर रौंद छा।
एक दिन शिव श्री वा पार्वती उना घुमणो ऐन। शिक्षित पंडित की हालत देखि पार्वती की करुणा जाग व वींन शंकर श्री से बोली – सुणो भैरव श्री ! हम तै यूं पंडित श्री की आर्थिक सहायता करण चयेंद।
भैरवन हामी भौर।
गणेश श्री मंदिर म आयिक शिव श्री न गणपति से बोली – गणपति ! तुमर निकट एक पंडित श्री रौंदन। उन्कि सहायता आवश्यक च। ऊं तैं ५०० स्वर्ण मुद्रा दे दे।
गणपतिन सम्मान से बोल – अवश्य , अवश्य ! मि परस्युं पंडित श्री तैं परस्युं ५०० स्वर्ण मुद्रा दे देलु।
इन आज्ञा देकि शिव -पार्वती चल गेन। तख मंदिर पैथर एक लालची मनिख न या बात सूण अर वैक लालच उच्च मूंड पर चढ़ गे। वै लालचीन स्वर्ण मुद्रा कमाणो खड्यंत्र सोच।
वु वैबरी निकट म पंडित श्री क ड्यार गे। उख वैन पंडित श्री कुण बोल – “श्री ! द्याखौ तुम तैं जो बि धन परस्युं मीलल वु म्यार होलु अर मि यांक बदल आज ३०० स्वर्ण मुद्रा दीणू छौं”।
पंडित श्रीन सोच आज क आय परस्यूं क आय से बलि हूंदी। त पंडित श्रीन शिवश्री क सौं घौट कि आज का ३०० स्वर्ण मुद्रा का बदला म वो परस्युं क आय तै अपरिचित मनिख तैं दे देलू।
अब मनिख पुळेक अगनै रस्ता मंदिर गे। मंदिर द्वार म एक लौह कुंदा छौ कि वैक खुट श्रृंखलकावच क कुंदा पुटुक फंस गे। भौत समय तक वैक खुट कुंदा से स्वतंत्र नि ह्वे। अंत म गणेश श्री न दर्शन दे अर ब्वाल – त्यार कुंदा तब इ खुलल जब तू सौं घटिल कि तू अबि पंडित श्री तैं २०० स्वर्ण मुद्रा दे देलि। लालची मनिखन सौं घटिन। गणेश श्री न मनिख तेन श्रृंखलाकवच क कुंदा से स्वतंत्र कौर।
स्वतंत्र ह्वेकि मनिख दौड़िक पंडित श्री तैं २०० स्वर्ण मुद्रा देकि ऐ गे।
ये कृत्य अनुसार गणपति न चतुरता से पंडित शरीक सहायता एकि दिन म कौर दे.
यिं कथा सूणी सब ऋषि पुळेन अर एक चर्चा समाप्त ह्वे।
सुणीं -सुणायिं कथा पर आधारित
सर्वाधिकार @भीष्म कुकरेती २०२२