डार्लिंग (रूसी कहानी )
मूल:आंतोन चेखव
अनुवाद- सरोज शर्मा
गर्मियों क दिन छा। ओलेन्का अपणा घौरक पिछनै वल दरव्जा म बैठीं छै। जबकि वीं माखा सताणां छा फिर भि वा ई सोचिक खुश छै कि अब बयखुन हूण वली च।पूरब क जनै घणा काला बादल छयां छा।
कुकीन जु ओलेन्का क मकान मा किरैदार छा भैर ऐ कि असमान द्यखण लगि। वु ट्रिवोली कम्पनी कु मैनेजर छा।
ऊंह, रोज रोज बरखा नाकमा दम ह्वै ग्या। कुकीन अफमा हि बुनू छा, रोज कम्पनी क नुकसान हूंद। फिर ओलेन्का जनै मुड़िक बोलि मेरी जिंदगि कतगा बुरी च!बिना खयां पियां रात भर मेहनत करदु जनकि नाटक म जरा भि गल्ती नि ह्वा!सोचद सोचद मोर जंदु पर जंणदि छै क्या फल मिलद? इतगा ऊंचि चीज क्वी समझ हि नि सकदु ।लोग बेवकूफी कि बथा ज्यादा पसंद करदि।और अब यू मौसम कु हाल च!द्याखा न रोज बयखुन दा बरसण बैठ जांद!मई दस तारीख से बरसणु शुरू ह्वै छा और सरया जून ह्वै ग्या!जु कुछ आंदा भि त अब पाणि क वजा से नि आंणा छन!कुछ भि नि मिलदु, अभिनय कन वलो खुण पैसा कख बटिक ल्याण!कुछ भि समझ नि आंणु!
दुसर दिन भि बयखुन दा फिर ठीक बखत म बादल ऐ गैं!कुकीन लापरवै से हैंसिक बोलि हुं जाण द्या कंपनी डूब जा मी क्वी फिकर नि!ऐ जीवन मा अभगि रौंल त क्या कन!सब्या अभिनेता मी मा मुकदमा कैर द्या। कतगा भल ह्वा हा हा हा!तिसर दिन भि फिर वी बरखा!कुकीन कु दिल रूण बैठि!
ओलेन्का न चुपचाप वैकि बथा ध्यान से सुणी ।कभि कभि वींक आंखियूं से द्वी बूंद आंसु भि टपकिन!ओलेन्का थै कुकीन से सहानुभूति छै। कुकीन एक नाटु, पीलू, और लम्बा लटुलों वल आदिम छा वैक लटुल सदनि बिखरयां रैंदा छा मुख उदास रैंद छा। वैक अवाज पतली और तेज छै।ओलेन्का सबुथैं प्रेम करदि छै। वा अपण बुडया बुबा से भि प्रेम करदि छै जु सदनि अंध्यर कमरा म अपण आराम कुर्सी म लेटिकि लम्बी सांस छव्डणू रैंदु छा , वा अपणि चचि से भि प्रेम करदि छै जु साल म एक
द्वी दा हि बिआत्सका से ओलेन्का थैं द्यखण आंदि छै। हां वै से पैल वींन अपण मास्टरनी से प्रेम कैर छा वा भि कुकीन से भौत प्रेम करदि छै।
ओलेन्का चुप रैंण वलि और दयालु छै, वींका दुबल पतल शरीर देखिक और मुस्कान भरीयूं मुख देखिक लोग हैंसिक ब्वलदा छा हां कुछ ज्यादा बुरी भि नी, बथा करदा करदा ब्यठुला वीं डार्लिंग भि बोल दींद छै।
वींक यु मकान जु वींकि पैतृक संपत्ति छै जैमा वा छुटपन से ही रैंणी छै। ‘ट्रिबोली नाटक कंपनी, क पास ही जिप्सी रोड पर छा।वु सुबेर से बयखुन तक ट्रिबोली का गाणा सुणदि छै। दगड़ मा कुकीन क चिल्लाण भि सुणदि छै। ई सब सुणिक वींक दिल पसीज जांद छा,वा रात भर से नि सकदि छै।जब अधा राति कुकीन घौर आंद छा त वा मुस्करै कि वैक स्वागत करदि छै और वु कनकै खुश ह्वा कोशिश करदि छै!और वूंक ब्यो ह्वै ग्या द्विया खुश छा। पर ठीक ब्यो क दिन बयखुन जोर कि बारिश ह्वै और कुकीन क मुख न निराशा और ऊब क बादल नि हटीन।
वूंका दिन भला बितणा छा। कंपनी क हिसाब रखण, थियेटर क निरीक्षण, तनख्वाह बंटण अब ओलेन्का क काम छा।अब जब वा अपणि दगडयों से मिलदि त अपण थियेटर क बारा मा हि बथा करदि छै।
वा बोलदी छै थियेटर कि दुनिया सबसे अच्छी च, सबयूं से महान और आवश्यक च सच्चू आनंद और शिक्षा हमथैं थियेटर से हि मिलदी और कखि बटिक ना
क्या तुम लोग समझदा छा जनता म ई समझणा का शक्ति च?वा पूछदि कि जनता त बेवकूफी बथा और दौड़ धूप पसंद करदि।ब्यालि हि मिन और कुकीन न भौत बड़िया खेल चुनिक द्या, इलै हि ।हम क्वी रद्दी और बेवकूफी भ्वरयूं खेल दींदा त हाॅल मा तिल रखणा कि जगा नि हूंदि।भोल हम दिखाणवला छां जरूर अंया अच्छा?वा रिहर्सल कि देखरेख करदि छै और कलाकारों कि गल्ती मा सुधार करदि छै। गांण वलो थै ठीक करदि, और जब कै पत्रिका मा नाटक कि बुरै निकलदी छै त वा घंटों रूंदि छै, और वे पत्र क सम्पादक से बहसणु कु और गलत साबित कनकु भागिक जांद छै ।थियेटर का कलाकार वींथै पसंद करदा छा और वीं डार्लिंग बोलदा छा ।वा ऊंकि चिन्ताओं से भि चिंतित छै और वूंथै उधार भि दींदि छै।
जड्डों का दिन भि अच्छी तरा निकल गैन। ओलेन्का भौत खुश छै और कुछ कुछ मोटी भि हूणी छै, पर कुकीन दिन-प्रतिदिन दुबलु और चिड़चिड़ु हूण लगि।रात दिन वु कंपनी कि नुकसान कि ही बात कनू रैंद छा।जबकि जड्डो मा वै नुकसान नि ह्वै छा,रात वै खांसी उठदि त ओलेन्का वै बनि बनि कि दवै देकि वैका कष्ट दूर कनकि कोशिश करदि छै।
कुछ दिनो बाद, कुछ दिनों खुण वु कंपनी क दगड़ मास्को चल ग्या। वैक जाण से ओलेन्का भौत दुखी रैंण लगि।
खिडकी म बैठिक वा सरया रात असमान देखणी रैंदि छै।कुकीन न लेखि कि वु कै कारण से ईस्टर से पैल नि ऐ सकदु। वैकि चिठ्ठी बस ट्रिबोली का समाचारो से भ्वरीं रैंदि छै।
ईस्टर क सोमवार से पैल एक दिन राति म पतना कैन किवाड़ खटखटैं। रसोइया न गिरद पव्ड़द दरवजा खोलण कु ग्या। जल्दी दरव्जा खोला?तार च कैन रूखा स्वर मा बोलि।
ओलेन्का थै पैलि ही कुकीन कु एक तार मिल ग्या छा।पर न जाणि वींक दिल कै आशंका से कौंप ग्या। कौंपदा हथन वीन तार खोलि।
कुकीन कि अचानक हि मृत्यू ह्वै ग्या, आदेश कि प्रतिक्षा च। अंतिम संस्कार मंगल कु, तार मा या खबर छै वैमा ऑपरा कंपनी क मैनेजर का हस्ताक्षर छा।ओलेन्का फूट फूटिक रूंण लगि!बिचरी…!
कुकीन थै मास्को मा मंगलवार कु गडै ग्या बुधवार कु ओलेन्का वापस घौर ऐ गै। आदां हि वा खटुला मा पोड़िक जोर जोर से रूंण लगि इतगा जोर से कि सड़क मा आण जाण वला भि वींक रूंण सुणि सकदा छा।वीका पड़ोसी भि जब वींक घौर क अगनै से निकलदा छा त ब्वलदा छा बिचरी डार्लिंग कतगा रूणी च।तीन मैना बाद एक दिन ओलेन्का कखी जाणी छै, वींका बगल म एक आदिम भि जाणु छाई, वु लखड़ा क कारखना क मैनेजर छा। दिखेंण मा वु अमीर आदिम लगणु छा वैक नौं वेसली छा।
ओलेन्का बड़ दुखकि बात च वु धीरे धीरे बुनू छा, अगर क्वी मोर जा त ईश्वर कि इच्छा समझिक शांत ह्वै जाण चैंद। अच्छा मि चलदु छौ नमस्कार और वु चल ग्या।
वैक बाद ओलेन्का सदनि वैकु हि ध्यान करण लगि।एक दिन वेसिली कि एक रिश्तेदार ओलेन्का क घौर ऐ,ओलेन्का न वैकि भौत खातिरदारी कैरि वीं बुढ्ड़ी न सरया दिन वेसली कि तारीफ म बितै द्या। एक दिन वेसली भि ओलेन्का से मिलणकु ऐ,वु दस मिनट ठैर।पर दस मिनट कि बात न भि ओलेन्का पर भौत प्रभाव डाल।
कुछ दिन बाद बुढ्ड़ी कि सलाह से द्वियो क ब्यो ह्वै ग्या।
खाण कु टैम तक वु कारखाना म रैंद छा फिर भैर चल जांद छा,वैक जाण का बाद ओलेन्का वैक जगा बैठदि छै।कारखना क हिसाब और नौकरों कि तनख्वाह बटंण वींक काम छा।
अब वा अपणि दगडियों से लखड़ा का व्यापार और कारखना की हि बात करदि छै।लकड़ी क दाम बीस रूप्या बड़ ग्या वा दुखी ह्वैकि बोलदी छै पैल मि और वेसली जंगल बटिक लखड़ा मंगादा छा पर अब हर साल वेसली थैं मालगेव शहर जाण पव्ड़द वै पर चुंगी अलग से। अब वीं खुण संसार कि सबसे आवश्यक चीज लखड़ा छा,वेसली और वींकि राय एक छै। वेसली थै खेल तमाशा पसंद नि छा इलै वींन भि तमाशों म जाण छोड़ द्या, ।
अगर दगड़या पूछदि छै कि घौर से भैर किलै नि निकलदी?
थियेटर किलै नि द्यखदि?त वा गर्व से बव्लदि मी और वेसिली थै थियेटर म टैम खराब कन पसंद नि, थियेटर जाण मूर्खता च।
एक दिन द्विया गिरजाघर से लौटणा छा ओलेन्का न बोलि ईश्वर क धन्यवाद हमर टैम ठीक से कटेणु च।ईश्वर से प्रार्थना च सब हम जना हि सुख से रंया।जब एकदिन वेसिली लखड़ा खरीदण कु मालगेव ग्या, त वा पागल सि ह्वै गे, रूंद रूंद सरि रात बितै दे।दिनभर पागल जन रै, कभी कभि स्मिरनाॅव जु मकान म किरायेदार छा वै द्यखण कु जांद छा वु जानवरों क डाक्टर छा,वु ओलेन्का थै अपण जीवन कि घटना सुणांदु छा, या ताश खेलदु छाई, वैक ब्यो ह्वै गै छाई और एक नौन भि छा वैकु।पर वैन अपणि घरवली छोड़ दे और अपण नौना खुण चालीस रूप्या हर मैना भेजदु छा वु ब्वलदु छाई कि वैकि घरवलि धोखाबाज छै इलै वु अलग ह्वै। ओलेन्का थैं वे से हमदर्दी छै। ‘ईश्वर तुम थैं खुश राख, ओलेन्का वापस जांद दा बोलदि,,तुमन भौत कष्ट उठै। म्यांर भि टैम पास ह्वै ग्या कनकै धन्यवाद दयूं?
जब स्मिरनोव चल जांद त ओलेन्का भौत दुखी ह्वै जांदि छै। रात भर वैकि घरवली से वैक सुलह करांण का बनि बनि का उपाय सोचदी।
वेसिली क लौट आंण पर एक दिन ओलेन्का न स्मिरनोव कि दुख भ्वरी कहानि सुणै।
छै साल तक वेसिली और ओलेन्का का दिन भौत आनंद से कटिन। एक दिन जड्डो मा वेसिली कै काम से नंगु मुंड भैर चल ग्या लौटिक ऐ त जुकाम ह्वै ग्या और दूसर दिन वै पलंग पकड़ द्या। शहर का सबसे अच्छू डाक्टर न वैकि दवा करि पर चार मैना कि बिमारि क बाद वी भी मोर ग्या। ओलेन्का फिर विधवा ह्वै ग्या।
बिचरी दिन रात रूणी रैंद छै, वा केवल काला लत्ता हि पैरदि छै।और गिरजाघर क अलावा कखि नि जांदि छै। सन्यासिनी जन जिंदगि गुजरणी छै।
वेसिली कि मौत क छै मैना बाद वींका बदन से काला लत्ता उतरीं ।अब वा रोज सुबेर अपण रसोइया दगड़ बजार जाण लगि। घौर मा वा क्या करदी छै लोग बस अंदाजा हि लगै सकदा छा।लोग कै बार ओलेन्का और स्मिरनोव थैं बाग मा बैठिक चा पींदा और बथा करदा देखदा छा, ऐ से हि वु अनुमान लगांदा छा।
एक दिन डाक्टर न बोलि तुमर शहर म क्वी अच्छु इंतजाम नी लोग बिमार भौत पव्ड़दिन। जानवरों कि देखरेख भि ठीक से नि हूंदि।
अब वा स्मिरनोव कि बथा दुहराणी रैंद रैंद छै, जु वैकि राय हूंदि वी ओलेन्का कि भि।
यदि ओलेन्का कि जगा क्वी हौर हूंदि त अब तक सबयूं कि घृणा कि पात्र बण जांदि।पर ओलेन्का खुण क्वी इन नि सोचदु छाई। वींकि दगड़या अभि भि वीथै डार्लिंग हि बोलदि छै और सहानुभूति रखदि छै। स्मिरनोव अपणा मित्रों थै नि बतांण चांद छा कि वैकि और ओलेन्का कि मित्रता च, पर ओलेन्का थै क्वी बात गुप्त रखणि मुश्किल छै। जब डाक्टर का दोस्त या अफसर आंदा छा त वा सबखुण चा बणादि छै, और बिमारियों क बारा मा बथा करदि छै। वा स्मिरनोव क बारा मा भि बोलदि छै, ई बात स्मिरनोव खुण असह्य छै। वूंक जाण क बाद वु ओलेन्का क हथ पकड़िक गुस्सा मा बोलदु छा कि मिन बोलि छा तु वूं विषयो क बारा म बात नि करि जौंकि त्वै समझ नी।याद च कि ना ? जब हमलोग बात कना छा त तू बीच मा किलै बोलदि?मी ई बर्दाश्त नी कर सकदु ।क्या तु अपणि जीभ बस मा नि कैर सकदि?ओलेन्का डैरिक वैक जना देखि और दुखी ह्वैकि पूछदि फिर मि कैका बारा मा बात करूं स्मिरनोव फिर वा माफि मंगद और द्विया खुश ह्वै जंदिन।
ओलेन्का स्मिरनोव क दगड ज्यादा दिन नि रै सकि, स्मिरनोव कि बदलि ह्वै ग्या, और वै भौत दूर जांण पड़ि। ओलेन्का फिर यखुलि ह्वै ग्या।
अब वा बिल्कुल यखुलि छै वींक बुबा भि भौत दिन पैल मोरि ग्या छा। वा दिन पर दिन दुबलि हूण लगि अब लोग भि वीं देखिक भि बिना कुछ ब्वलयां चल जांद छा।ओलेन्का बयखुन दा सीढियों म बैठिक ‘टीमवोली, का गाणा सुणदि छै। पर अब वूं गाणों से वीं क्वी मतलब नि छा ।
वा अब भि लकड़ी क कारखना देखदि पर वै देखिक वा दुखी हूंदि ना सुखी। खाणु जबरदस्ति खाण पोड़द छा सबसे दुख कि बात त या छै कि वा अब कै भि चीज क बारा म राय नि दींदि छै। कुकीन, वेसिली, और डाक्टर क दगड़ रैंद दा बगैर सोचयां अपणि राय दीण वींकु मुश्किल नि छा ।अब वा सब देखदि च पर राय नि दे सकदी छै ।
धीरे धीरे सब परिवर्तन ह्वै ग्या। जिप्सी रोड अब एक रस्ता बण ग्या और ट्रिबोली और लकड़ी क कारखना कि जगा बड़ा बड़ा मकान बणि गैन। ओलेन्का बुढ्ड़ी ह्वै ग्या। वींक घौर भि कखि कखि टूटि ग्या। अब ओलेन्का कि रसोइया जु भि बव्लदि वा मान जांदि छै।
जुलाई म एक दिन कैन दरवजा खटखटै ।ओलेन्का दरव्जा खोलण कु अफ्वी ग्या ।दरवज मा स्मिरनोव थैं देखिक वा आश्चर्य म डुबि गै। पुरणि बथा याद आण लगि ।अब वा अपथैं नि रोक सकि द्विया हथन मुख ढंकिक रूण लगि। वी पता नि चल कि वा कन चा पींण कु बैठि। वा भौत कुछ ब्वलण चाणी छै पर मुखल एक शब्द नि निकलणु छाई। अन्त मा भौत कष्ट से बोलि कि अचानक ऐ ग्यो?
मिन नौकरी छोड़ द्या, स्मिरनोव न बोलि ।और अब मि अपणि गृहस्थी यखि बसाण चांदु। म्यांर नौना कि उम्र भि अब स्कूल जांण लैक ह्वै ग्या। और तु त जंणदि नि ह्वैलि मेरी घरवली से मेरी सुलह ह्वै ग्या। तब वा कख च?ओलेन्का न उत्साहित ह्वैकि पूछि।
वा और नौनु अभि होटल मा छन अभि मी घौर ख्वजण।
हे भगवान तुम इतगा तकलीफ किलै करदा छा म्यांर घौर हि किलै नि ले लींदा?
क्या यु घौर तुम पसंद नि?अरे नहीं?
डैर ना मि किराया नि लींण वलि। मी खुण एक कूंण ही भौत च।बाकी सब तुम ले ल्या। द्याखा त काफी बड़ मकान च। मी खुण सौभाग्य कि बात च और रूंण लगि।
दुसर दिन ओलेन्का न घर कि सफै कन शुरू कैर द्या। घौर कि पुतै हूण लगि। ओलेन्का बड़ी उमंग से चरया तरफ घूम घूमिक देखभाल कनी छै। थोड़ा देर मा स्मिरनोव और वैकि घरवलि और लड़िक भि ऐ गै। स्मिरनोव कि घरवलि एक लम्बी और पतलि छै स्मिरनोव क नौन साशा अपणि उम्र क हिसाब से भौत नाटु और बतूनि और शरारती छा।
मौसी, ई तुमरू बिरलु च?वैन कुतूहल से पूछि,अच्छा मौसी क्या ई हम थैं दे देलि, मां मूसों से भौत डरदि च और हैंसण लगि।
ओलेन्का थै साशा भौत पसंद ऐ वींन वै अपण हथ से चा पिलै और घुमणा कु लीगे।
रूमक दा साशा अपण सबक याद कनकु बैठ ग्या। ओलेन्का भि वैका पास बैठ ग्या और बोलि बेटा तु भौत होशियार छै, भौत सुंदर……”
साशा ओलेन्का कि बथा जनै क्वी ध्यान नि दीणु छा अपणि हि धुन मा बोलणु छा द्वीप पू थ्वी का वै टुकड़ा क बोलदिन जु चरया तरफ से पाणि से घिरयूं ह्वा। ओलेन्का न भि बात दोहरै, रात क खाण क टैम साशा क ब्वै बबा से बोलि साशा थै भौत मेहनत कन पव्ड़द, भूगोल रटण पव्ड़द।
साशा अब स्कूल जांण लगि।
वैकि ब्वै एकदा खेरकाव म अपणि भैंण थै द्यखण क गै फिर वखि रै ग्या। बुबा सरया दिन सरया बयखुन घौर क भैर हि रैंद छा। राति नौ दस बजि लौटिक आंद छा।इलै ओलेन्का हि साशा थैं रखदि छै। रोज सुबेर वा साशा क कमरा म जांदि वै जगाण मा वीं भौत दुख हूंद छा पर विवशता छै, वा धीरे से बोलदि उठ बेटा। स्कूल क टैम ह्वै ग्या। साशा कुछ नाराजगी से उठिक हथ मुख ध्वै कि लत्ता बदलिक फिर चा पीणकु बैठ जांद छा। ओलेन्का डरदा डरदा बोलदी बेटा तिन कहानि ठीक याद नि करि, साशा नराज ह्वैकि बोलदु ऊंह तु यख बटिक जा।
ओलेन्का वै इन देखदि जनकि वु लम्बी यात्रा मा जाणु ह्वा फिर चल जांद छै। जब वु स्कूल जांद छा त थवड़ि दूर पिछनै पिछनै जांदि छै। साशा थैं ई पसंद नि छा। कि इतगा लम्बी अधेड़ औरत वैका पिछनै आ। किलैकि वैक क्वी दगड़या ओलेन्का थैं वैका पिछनै देख ल्या त वैकि बेज्जती सबयूं क समणि करदु, मौसी तु घौर जा मि यखुलि जै सकदु।
साशा थै पौछैकि वा घौर आंद रस्ता मा क्वी मिलदु हालचाल पुछदु त वा बोलदि, स्कूल का मास्टर खराब हुंदिन बिचरा छवट छवट बच्चों से भौत मेहनत करंदिन ।
साशा क स्कूल से आण क बाद वा वै चा पिलांदि घुमणु कु लि जांदि। राति वै खाण खिलै कि सुलैकि तब वा सींदि छै।
एक दिन वा साशा थै सुलैकि खुद सींणुक जाणीं छै कैन दरवज खटखटै। ओलेन्का अब तार से भौत डरदि छै किलैकि इन्नी रात मा कुकीन क मौत क समाचार ऐ छा।इतना मा वींन सुणि तार च दरवज खोला वींन कौंपिक तार पर दस्तखत कीनि, तार खेरकोव से ऐ छा ओलेन्का न पढ़ि-साशा कि ब्वै चांद कि साशा वींका पास खेरकोव ऐ जा।