प्रति लव जिहाद
गढ़वळिs पैलो ऐब्सर्ड नाटक
भीष्म कुकरेती
रसीली – तू मे से मुहब्बत कौर !
भड़क्वा – क्या ?
रसीली -अरे त्वे मुहब्बत करण नि आंद ? मे से मुहब्बत कौर।
भड़क्वा -हां पर मि त्वै तै जणदु इ नि छौं।
रसीली – तू कबि रंडी बजार नि गे ?
भड़क्वा – ऊं ! ऊं ग्यों छौं।
रसीली -त तू वीं रंडी तै जणदु छे ?
भड़क्वा – ह्यां पर !
रसीली – त्वे तैं मुहब्बत करण आंद च कि ना ?
भड़क्वा – हां
रसीली – त कौर।
भड़क्वा – ह्यां पर मि अनजान छौं , मीन इन ..
रसीली -तो मुहब्बत की खोज कौर
भड़क्वा -पर
रसीली -पर कुछ ना. मुहब्बत की खोज कौर
भड़क्वा -परन्तु
रसीली – बात करण बंद कौर
भड़क्वा -मि ? मेरी आदत च छ्वीं लगाण।
भड़क्वा -हाँ बात करण बंद कौर अर मुहब्बत की खोज कौर।
रसीली ओहो ! में से शब्दों म प्रेम कौर , प्रेम कौर
भड़क्वा -शब्द ?
रसीली -कनो मि बिगरैली अर आकर्षक नि छौं ?
भड़क्वा -तू सुंदर बि अर आकर्षक बि छे
रसीली -तू मि तै स्पर्श कौर
भड़क्वा -मि मेट्रो म पैदा हूं अर मेट्रो वळ छौं।
रसीली -आग लग तै मैट्रो पर मि प्रेम का मारी जळणु छौं।
भड़क्वा -ह्यां आज गर्मी बिजां इ च। क्रीम लगा।
रसीली – म्यार मोरण से पैल म्यार चुम्मा ले
भड़क्वा -अरे अब तो सौ साल से अधिक ज़िंदा रौण चयेंद।
रसीली -तौन म्यार प्रेमी मारि दे। म्यार चुम्मा ले
भड़क्वा -ये मेरी ब्वे ! वेरी सौरी !
रसीली -तौन कुंवा म धक्का डेक मार
भड़क्वा -पुलिस ?
रसीली -पुलिस बि
भड़क्वा – इथगा रसूलदार ?
रसीली – हाँ धर्म गुरुउं मुख पुलिस बि कख लगद। प्रेमी बिधर्मी जि छा
भड़क्वा -अर मेकुण ना किन्तु म्यार भाई बिधर्मी नौनी लायी तो वैक सम्मान करे गे।
रसीली -सम्मान करे गे कि मजहब म प्रेम क्रान्ति जायज च।
भड़क्वा – है भाई कुण सही व भूलि कुण पाप ?
-हां भाई कुण मजहब वास्ता प्रेम क्रान्ति किंतु मि दुसर मजहबी कुण जौं तो पाप अर मृत्यु दंड।
रसीली – हां भाई कुण मजहब वास्ता प्रेम क्रान्ति किंतु मि दुसर मजहबी कुण जौं तो पाप अर मृत्यु दंड।
भड़क्वा -भौत बुरु ! अब तू भागणि छे ?
रसीली – हाँ चार दिन बिटेन धर्म गुरुओं से भागणु छौं।
भड़क्वा – माँ बाप ?
रसीली – वी बि त मजहब का गुलाम छन।
भड़क्वा -अब कख ?
रसीली – तू कख जाणु छे ?
भड़क्वा – मि बि यूरोप जाणु छौं।
रसीली – चल मी बि
भड़क्वा -पर मीम इथगा पैसा
रसीली – मीम छन
भड़क्वा -ओके
रसीली -ओके डन