उनींदि (रूसी कहानि)
लेखक आंतोन चेखव
अनुवाद- जनप्रिय लेखिका सरोज शर्मा
राति कु टैम च। एक कमरा म एक तेरा साल कि नौनि वारिका एक पलना हिलाणी छै, और गुनगुनाणी छै ऐजा री निंदिया ऐजा म्यांर मुन्ना थैं सिलै जा….
वै कमरा म एक भगवान कि फोटू लगीं छै, जैक समण एक हरू लम्फू जलणु छा,कमरा क एक कूणा से दुसर कूणा तक रस्सी बंधी छै जै मा बच्चा का पोतड़ा और एक काल रंग कु बड़ पैजामा लटकयूं छा,छत मा लम्फू क उज्यल से हैर सि चक्तता झलकणु छा,और रस्सी म लटक्यां पोतडो और पजामा कि लम्बी लम्बी छाया आतिशदान ,पलना और वारिका मा पव्ड़णी छै,अचानक लम्फू कि लौ फड़फडाण लगि त छत क चक्तता और कपणों कि परछैं भि हिलण डुलण लगि,जनकि तेज हवा चलणी ह्वा, कमरा म भौत घुटन छै,इन गंध आणी छै जनकि जुत्तों कि दुकनि मा आंद, बच्चा रूणु छा वैकि अवाज फटीं च जनकि वु रूंद रूंद थकि गै, वु सच मा बेहाल च, पर फिर भि लगातार रूणु च पता न कब चुप ह्वाल, वारिका कि आंखियू मा भि निंद भ्वरीं च, वु आंखा ख्वलण कि कोशिश कनी, पर फिर मुंदे जाणा छन, मुंड लटकैकि वींक मूंण पटै ग्या, वींक मुख सुखि ग्या वा न होंठ हिला पाणि और न आंखा,मुंड जन ठस ह्वै ग्या।
निंद मा भि वा बड़बड़ाणी ऐजा रि निंदिया…
आतिशदान म चिलगट अवाज कना छन, बगल क कमरा म घर कु मालिक और वैक यख काम सिखणवला अफानासी का खर्राटा सुणै दीणा छन, वारिका भि घुघराण लगि ई सब देखिक इन लगणु रात जन लोरी सुनाणी ह्वा, जैका असर से सभि प्राणी बिस्तर मा पोड़िक से जंदिन, पर वारिका क मन मा लोरी कि धुन चिड़चिड़ाहट पैदा कनि च,किलैकि यै सुणिक वीं निंद आणी च।जबकि वीं सींण नी च,भगवान नि कर अगर वीं निंद ऐ जा और मालिक मालकिण देख ल्या त जोरदार पिटै ह्वैलि।
अचानक लम्फू फडफडाण लगि और कपड़ो कि छाया वींका अधखुलया आंखों मा नचण लगीं!वींका उनींदा दिमाग म तरह-तरह का रहस्यमय सुपिन आंण लगीं!असमान म काला बादल दौडणा छन बादल बच्चो जन चीखिक एक दुसरा क पीछा कना छन!तबि हवा चल और बादल गैब सुपिन बदल जांद!अब वा लम्बी चौड़ी सड़क द्यखणी च!जै मा कीचड़ च और वे मा भौत सि घोड़ागाड़ी और बग्घी आंणी जांणी छन !घ्वाड़ो कि भीड़ अपण पीठ म थैला और गठरि लदयां एक रेला कि शक्ल मा बड़णी च!चरया तरफ धुंध, लोग छाया जन लगणां सड़किक द्विया तरफ घैण बूंण च!अचानक मनिखो कि छाया और भीड़ अपण अपण गठडियों क दगड कीचड़ मा फिसलण लगीं वारिका पुछद ई क्या कना तुम?
वु बव्लदिन सींणा कु ल्यटणा छां ई बोलिक वु से जंदिन!
सड़किक किनरा बिजलि और टेलिफोन क तारों म बैठयां कौवा चीख चिल्लाणा छन और सींणवलो थै जगै रखण कि कोशिश कना छन!वारिका फिर बुदबुदांद आजा री निंदिया…..।
अब वु दुसर सुपिन द्यखद वा अंध्यर कोठरि मा बंद च।वींक स्वर्गवासी बबा येफिम स्तिपानफ कोठरि क फर्श मा प्वडयूं च,इनै उनै लुढ़कणु च,।पर वु वीं दिखै नि दीणूं बस वैकि अवाज सुनेणी, वीं अपण बबा कि कराणा कि अवाज सुनेणी च,वैक करवट लीण कि आहट भि सुनेणी च!बबा न बतै छा कि वैक पुटग मा फोड़ा फट ग्या जैसे भयानक पीड़ा च इतगा पिड़ा कि कि वु बोल भि नि पांद, गैरी गैरि सांस लेकि दांत किटकिटांद ।वैकि ब्वै दौडिक मालिक क घौर गै कि बता सैक कि येफिम म्वरणु च!
ब्वै थै भौत देर ह्वै ग्या अब तक त ऐ जाण चैंद छा। वारिका अंग्यठि क पास लेटीं छै और ब्वै क इंतजार कनी च, बुबा क दांत बजणा कि अवाज साफ सुणै दीणी छै!तबि एक घोड़ा गाड़ी झोंपडा क समण रूकद!शैद ई वी डाक्टर च जु यूं दिनो मालिक क यख मेहमान च!डाक्टर झोंपडी क दरव्जा खोलिक भितर आंद!झोंपडी मा अंध्यर च, कुछ नि दिखेंणु च!पर खंसणा कि अवाज सुनैणी च,।
मोमबत्ती जलावा डाक्टर ब्वलद!बू..बू. बू…येफिम ब्वलण कि कोशिश करद!
पिलागेया दौडिक जांद और आला मा टूटीं माचिस ढूँढण लगि!एक मिनट शांति क बाद डाक्टर टटोलिक अपण माचिस निकलद, और तिल्ली जलांद!
एक मिनट साब बस एक मिनट रूका…पिलागेया ब्वलद!जल्दी से झोपड़ी क भैर जांद, और मोमबत्ती क टुकड़ लेकि आंद!येफिम क गलव्ड लाल छन, अंध्यर मा भि आंखा चमकणा छन!वैका आंखो मा इन चमक च जनकि वु डाक्टर थै पछयाण गै, वैकि नजर इन तकणीं जनकि डाक्टर क पार झोपड़ी क दिवाल क पार वैन क्वी रहस्यमय चीज देखि ह्वा!
क्या ह्वाई?क्या ह्वा त्वै?
डाक्टर न येफिम म झुकिक पूछ, क्या भौत तकलीफ हूणी च, भौत दिन से बिमार छवा क्या?
क्या ब्वलण सरकार म्वनू छौं, म्यांर टैम ऐ गै अब त मोरिक हि चैन आलु!बेवकूफ जन बथा नि कैर!मि ठीक कैर दयूंल!
जन आपकि मर्जी सरकार!हम आपका ऋणी रौंला!वन मी पता च जब मौत आंद त ऐ ही जांद… ।डाक्टर पन्द्रह मिनट तक वैकि जांच-पड़ताल कैरिक सीधु खड़ हूंद रूकिक ब्वलद, तुम थै हस्पताल जांण पव्ड़लु, डाक्टर तुमर आप्रेशन करलु,जल्दी से जल्दी जावा,काफी देर ह्वै गी!पर घबरावा न!अभि हस्पताल चलि जावा वख तुमर आप्रेशन ह्वै जाल मि तुमथै चिठ्ठी दे दयूंल। सुनणा छा?
मेरबानि सरकार कनकै जांण हमर पास क्वी सवरि नी….पिलागेया न बोलि!क्वी बात नि मि अबि तुमर मालिक थैं बोल दयूंल वु घोड़ा गाडी भेज दयाला!
ई बोलिक डाक्टर चल ग्या, पिलागेया न मोमबत्ती बुझै द्या,
येफिम फिर दांत किटकिटाण लगि!अधा घंटा बाद तांगा कि अवाज ऐ,ई तांगा येफिम थैं लीणकु अंयु छा येफिम तैयार ह्वैकि तांगावला क दगड चल ग्या!
अब सुबेर ह्वै गै पिलायेगा घौर मा नि छै, व येफिम थै द्यखण कु हस्पताल जंयीं छै,बच्चा रूणु छा और वारिका थैं अपणि अवाज म गाणु सुणै दीणु छा-आजा री निंदिया आजा……पिलागेया वापस ऐ गै,वा बार बार अपणि छाति म सलीब क निशान बणाणी छै।कुछ कुछ बुदबुदांणी छै।
राति त सब ठीक-ठाक रै, पर सुबेर वैकि आत्मा परमात्मा क यख चल गे, ईश्वर वैकि आत्मा थैं शान्ति द्या। डाक्टरो न बतै कि वैन भौत देर कैर द्या वै पैल आंण छा।वारिका ई सूणिक भैर ऐ जांद और रूण लगद,पर तभि क्वी वींक मुंड म इतगा जोर कि चोट मरद कि वींक मुंड समणि भोजपत्र क डाल से टकरै जांद,वींक आंखि खुल जंदिन, जनि आंखा उठैकि द्यखद त वींक मालिक मोची समणि छा,
क्या कनी फूहड़?बच्चा रूणू और तू सींणी छै।वु वींक कन्दूड क पिछनै जोर कि चपत लगांद।वारिका अपण मुंड हिलैकि लोरि गाण लगद।वु हैर चक्तता पजामा और बच्चा क पोतड़ा पैल जन हि हिलणा छा।
वींका आंखा फिर बंद हूण लगिन, पर फिर वीं पर निंद काबु कैर लींद।वा फिर पुरण सुपिन द्यखण लगि। वी कीचड़ वली सड़क, थैला गठरी लदयां लोग, भीड़ छाया, वूं देखिक वा भि सींणकु बेचैन ह्वै ग्या वा सींण चांद पर मां पिलागेया दगिड़ चलणी च,वा वींसे भि तेज चलण कु ब्वनि। वु द्विया शहर जनै भीख मंगण कु जाणा छन।
यीशु क नौ पर कुछ दे दयावा भै लोगों। आंदा जांदा लोगों से मां भीख मंगणी च।भगवान तुमथैं खुश रखा, गरीब कि मदत कैरा भाई।बच्चा थैं इनै ल्या, वीं कै कि अवाज सुणै दे,बच्चा लेकि आ सुणै नि द्या क्या!वी अवाज फिर अवाज मा सख्ती और गुस्सा छा,-तू सींणी छै हरामी!वारिका उछल जांद, वा चरया तरफ द्यखण लगि कि क्या बात च,वीं वा सड़क नि दिखे पिलागेया भि नि दिखे वु सिंया लोग भि कखि नि छा, वख वींक मालकिण दिखेणी छै जु बच्चा थै दूध पिलाण क ऐ छै, जब तक वा दूध पिलांद वारिका वखि खड़ रैंद।
कमरा से भैर नै दिनकि नीलिमा दिखेणी छै, कमरा कि परछाई भि धुंधलि पोड़ गे छै अब जल्दी सुबेर ह्वै जालि। ले ये पकड़!अपण बिलौज क बटन बंद करदा मालकिण न बोलिई रूणु च बहले फुसलैकि सुलै दे ऐ,वारिक बच्चा ले लींद पलना म लिटैकि झुलांण लग जांद, आहिस्ता आहिस्ता कमरा कि हिलदि डुलदि छाया सब बंद ह्वै जंदिन। अब कमरा म कुछ भि इन नि छा कि जैसे वा उनींदि ह्वा पर फिर भि वींका आंखों मा निंद भ्वरीं छै वा सींण चांदि छै,वारिका पलना कि पट्टी म मुंड धैरिक निंद भगांण कु हथ खुटा चलाण लगि,व खड़ ह्वै जांद वींक मुंड भारि और आंखा चिपकणा छन।वारिका चल चुल्लू जला मालिक क कि अवाज आंद, ।
लो अब उठण कु और काम कनकु टैम ह्वै ग्या। वारिका उठिक घौरक भैर लखड़ा ल्याण कु जांद अब वा खुश च अब वीं निंद इतगा नि सताणी च। जतगा एक जगा बैठिक। वा लखड़ लैकि चुल्लू जलांद वीं इन लगद कि जन काठ क जन कठोर से फिर कुंगलि ह्वै ग्या। निंद जन कि भग ग्या।
वारिका समोवार साफ कैर वु अभि साफ भि कैर सकि कि दुसर हुक्म मिल जांद, वारिका मालिक का गम बूट साफ कैर!
फर्श म बैठिक वा गम बूट साफ करण लगि,वा सोचण लगि कि कतगा भल हूंद कि वा गमबूट क भितर घुसिक झपकि ले लींदि।….।और अचानक वु गमबूट बड़ण लगि और फूलिक बिछौना बण गै।जुता साफ कनकु बुर्श हथ से छुटि जांद।….वा सचेत ह्वैकि अपण मुंड हिलांद आंखा ख्वलण कि कोशिश करद।और आसपास कि चीजों थै द्यखद, वूंथैं साफ साफ द्यखण कि कोशिश करद ताकि आंखा खुल जा।
वारिका भैर सीड़ी कतगा गन्दी हुयीं छन, जा सीडी ध्वै दे।मि शर्म आंद कि गाहक इतगा गन्दी सीढियों से ह्वैकि दुकनि म अंदिन। वारिका सीड़ी ध्वै कि पोंछा लगैकि दुकनि म झाड़ू लगाण लगि ।आतिशदान जलैकि भितर आंद। भौत काम च वीं एक पल कि भि फुर्सत नि।
क्वी काम इतगा मुश्किल नि जतगा रसवड़ म बैठिक अल्लु छिलण।अल्लु छिलद छिलद वींक मुंड झुकि जांद अल्लु वींका आंखियूं मा रिटण लगीं, चक्कू हथन गिर जांद। वींका कन्दूड बजणा छा मालकिण कि अवाज सुनेणी छै, जु गाउन क अस्तीन चढैकि रसवड़ मा इनै उनै घुमणी छै।और कुछ न कुछ ब्वनि छै।नाश्ता कु टैम खत्म ह्वा अब दुफरा क खाणकि तैयारि शुरू ह्वै गै।घौर कि सफै ह्वै गै कपड़ा धूण मुश्किल लगणु छा,वारिका सीण चांदि छै काम करदा करदा कै बार इन सोचि कि वा सब काम छोड़िक फर्श मा हि से जा।दिन भि बीत ग्या, अंध्यर छाण लगि ।
वारिका अपणि कनपटियों थै दबांद इन लगणु जनकि वा काठ कि ह्वै ग्या। अचानक वा मुसकरांद वीं धुंधकलु भौत पसंद च आंखो थैं अराम दींद। अंध्यर देखिक एक आस मिलद वा से सकद। पर ब्यखुन्दा मेहमान ऐ जंदिन, वारिका समोवार तैयार कैर!वींक मालकिण फिर चिखण लगि, समोवार छवट च, मेहमानो क चा खत्म कन तक पांच बार पाणि गरम कन पव्ड़द। चा क बाद अगल आदेश क इन्तज़ार मेहमान खाना क भैर एक घंटा खड़ रैण पव्ड़द।
वारिका जा भागिक तीन बियर कि बोतल खरीदिक ल्या, वा पैसा लेकि तेजी से भगद जनकि निंद परेशान नि कैर।
वारिका जा वोदका कि बोतल ल्या, वारिका जा बोतल ख्वलण कु सूजा कख च,वारिका एक माछु भूनिक ल्या
आखिरकार मेहमान चलि गैन।
घौर कि बत्ती बुझ गैं मालिक मालकिण सींणुक चलि गैं जांद जांद मालकिण न बोलि वारिका बच्चा थैं झुलांणी रै ताकि वु से जा।
आतिशदान मा फिर चिलगट ब्वलण लगीं लम्फू फडकन लगि, छत मा हैर चक्तता दिखेंण लगि कपड़ो कि छाया वारिका अधनिंदयां आंखा फिर से नचण लगीं। आंखा मिचकांद दिमाग घुमण लगि निंद छयैण लगि वा गुनगुनांद आजा री निंदिया…..।बच्चा फिर रूण लगि देर तक रूणु रै, वु रोईक थक जांद वारिका फिर वी सुपिन द्यखद थैला गठरी लदयां मनिख, मां पिलागेया और बुबा येफिम वींक आंखियूम लहराण लगिन ।वा सब थैं पछयणनी च पर पर वींका हथ खुटा बस मा नि। यी उनींदपन हि जनकि वीं जीण से रूकणु ह्वा। वु चरया तरफ द्यखदि च कि क्वी वीं जीणकि ताकत द्या ।
वा बुरि तरा थक जांद, पूरी कोशिश करद, आंखों मा जोर देकि छत क उज्यल द्यखद, इन लगद कि जन ई रूणवल बच्चा हि वींकु दुश्मन च।ई वीथैं जींण नि दीणु च।वा समझि गै कि कु वींक दुश्मन च।वा हंसण लगि कि या बात पैल किलै नि समझ मा ऐ।ई विचार वींक दिमाग मा ऐ वा स्टूल से उठिक खड़ी ह्वै जांद और मुसकरांद फिर मुखम खुशी झलकण लगि ।वा कमरा म इनै उनै चक्कर कटद। इन लगद कि परेशानि क हल मिल गै।वा परेशानी से मुक्त ह्वै सकद। जु वीका हथ खुटों थैं बांधिक रखद।वा बच्चा थैं मारिक अराम से से सकद।
ना राल बांस ना बजलि बांसुरी।
वा आंखा मिचकांद पलना जनै आंद। और बच्चा म झुक जांद। वा वैकि मूंण कसिक दबांद और फिर फर्श मा जल्दी से पोड़ जांद। अब वा खुश च हंसणी च अब अराम से से सकद। पल भर मा हि वा नींद कि आगोश मा चल जांद वा खुद भि कै मुर्दा जन गैरी निंद मा से जांद।