शव परीक्षण (रूसी कहानी)
कथा आंतोन चेखव
अनुवाद-सरोज शर्मा
जड्डो का दिन छाया। कार्यकारी न्यायिक जांच अधिकारी लीजिन और डाक्टर स्तरचेंका एक बीमा एजेंट कि लाश क शव परीक्षण कनकु सीरन्या गौं क जनै जाणा छा!वु बीच रस्ता मा हि छा कि अचानक बर्फ क तूफान ऐ गै। तूफान म फंसिक वु रस्ता भटक गैं। और बड़ देर तक रस्ता ढूँढणा रैं ।ठीक रस्ता ढूँढण मा कै घंटा गुजर गैन। इलै दुफरा से पैल ठिकणा म पौंछणा कि जगा ब्यखुन्दा गौं पौछिन!तब तक अंध्यर ह्वै ग्या छा!रात बिताण कु वु गौं से कुछ दूर बणी सराय मा पौंछिन!और यीं सराय मा हि वा लाश भि पव्ड़ी छै!जैक पोस्टमार्टम करण छा!यी लाश एक बीमा एजेंट कि छै!जु तीन दिन पैल कै काम से सीरन्या ऐ छा!
ऐ बीमा एजेंट क नौं लिसनीत्सकी छाई!सराय मा ऐकि लिसनीत्सकी न सराय क सेवक से चा खुण गर्म पाणि क समोवार मंगै (भांड जैमा पाणि गर्म हूंद)पर समोवार आण से पैल वैन अपथैं गोली मार द्या!ई देखिक सराय म उपस्थित लोग हक्का बक्का रै गैन!म्वरण से पैल लिसनीत्सकी न मेज मा कुछ तश्तरीयों म खाण पीणक समान सजै द्या छा!बस ई बात लोगों थैं खटकणी छै!ऐ से हि लोगों थैं शक हूणु छाई कि वैकि हत्या कियै ग्या!और शव परीक्षण कि जरूरत च!
सराय म पौंछिक डाक्टर और जांच अधिकारी न अपण जुत्तो और कपडों मा जमी बर्फ झाड़!वै इलाका का ग्राम सेवक वूंका पास हि खड़ा छा!जैक नौ लशआदीन छा!जु वूंकि सहायता कनकु यख अंया छा!
वैन अपण हथ मा टीन कु लैम्प पकडयूं छा और वूंथैं रस्ता दिखाणु छाई! चरया तरफ मट्टी तेल कि बास फैंली छै!
तु कु छै?डाक्टर न वैसे पूछ ।
ग्राम सेवक। वु अपण हस्ताक्षर कैरिक हमेशा वूंका ताल इन्नी लिखदु छा “ग्राम सेवक”।
-अच्छा गवाह कख छन?शैद चा कि दुकनि मा जंया छन।
सराय क दैं तरफ एक साफ सुथर कमरा छा जु मेहमान खाना ब्वले जांद छाई!और बैं तरफ एक गंदु सि कमरा!जैमा जड्डो मा आतिशदान जलदु छाई!और सराय मा काम कनवलों खुण कुछ ताक बण्या छा!
डाक्टर और जांच अधिकारी मेहमानखाना मा चलि गैन!वैका पिछनै पिछनै मुंड म लैम्प उठयां ग्रामसेवक भि छा!
यखि मेहमानखाना म एक बढ़ि मेज क पास लाश पव्ड़ी छै!जु सफेद कपड़ा से ढकीं छै!
लैम्प कि हल्कु सि उज्यल मा सफेद चदरा क अलावा वख रखयां रबड़ का नै जुत्ता भि दिखैणा छा!ई सब मिलैकि मेहमानखाना क वातावरण भयानक लगणु छा!
कमरा मा शान्ति छै अंध्यर मा दिवार काली लगणी छै!मेज मा समोवार रखयूं छा जैमा सराय क सेवक बीमा एजेंट खुण गर्म पाणि ल्या छा!समोवार झणि कब ठंडू ह्वै गै वैक चरया तरफ तश्तरी रखीं छै जैमा खाण पीणक समान सजयूं छा!गौं क सराय म ऐकि अपथैं गोलि मार दीण कतगा बेतुकि बात च!डाक्टर न बोलि -भई तु अफतैं गोलि मरण चैंदि त अपण घौर कि खत्ती म चल जा और वखि गोली मार!
डाक्टर अपण गरम टव्पल,फर कोट,और गमबूट पैरयूं ही वख बैठ ग्या!वैक दगड अंया अधिकारि लीजिन भी वैक समणि बैठ ग्या!
-ई पागल और चिड़चिड़ा लोग आमतौर पर स्वार्थी हुंदिन, डाक्टर न रिसैकि बोलि अगर क्वी चिड़चिड़ु तुमरा दगड कमरा म च त अक्सर अखबार क पेज थैं खडखडांद।वु तुमर समण हि अपणि घौरवलि से झगड़दु च, बिना तुमर ख्याल कियां!और वैका मन मा गोली चलाण कि बात आंदि त वु कै गौं कि सराय मा जैकि अपथैं गोलि मार लींद जनकि लोगों थैं ज्यादा से ज्यादा परेशानि ह्वा, इना लोग बस अपण बारा मा हि स्वचदिन!बड़ा बुजुर्ग लोग ये चिड़चिड़ा जमनु पसंद नि करदा!बुजुर्गो थैं क्या पसंद च क्या ना ,ऐसे क्या फर्क पव्ड़द ?जांच अधिकारि न जम्है लेकि बोलि!अब ई बतावा बुजुर्गो थैं पैल जु आत्महत्या करदा छा और अब जु आत्महत्या करदिन ऊंमा क्या फर्क च?
पैल जु ईमानदार आदिम आत्महत्या करदु छा वु खजाना से गबन करदु छा और आज जु आत्महत्या करद वु जिंदगी से थकि जांद!द्वियो मा कु बेहतर च?भई ई ठीक च कि तु अपणि जिंदगि से थक गै पर सराय मा म्वरण कि क्या जरूरत छै।
कतगा दुखः कि बात च,
ग्राम सेवक न बोलि-लोग भौत परेशान छन, सरया गौं का बच्चा रूणा छन, कज्याणि अपण खत्ती(घौर)मा जांण से डरणीं छन, घबराणी छन कि कखि भूत नि ऐ जा!चलो हमन मानि कि कज्याणि बेवकूफ हुंदिन पर गौं का आदिम भि त डरणा छन, वु भि यखुलि सराय क पास से नि जांणा छन!डाक्टर स्तरचेंका और जांच अधिकारि लीजिन द्विया चुपचाप बैठयां छन और कुछ सोचणा छन!स्तरचेंका अधेड आदिम छा और लीजिन भौत ग्वार छाई, वेन द्वी साल पैलि अपणि पढ़ै खत्म कै!आज भि वु कै छात्र जन हि लगदु छा!
वूंथैं ई अफसोस छा कि वु तूफान कि वजा से सराय मा देर से पौंछिन!अब सुबेर तक यखि रूकण पव्ड़लु!सरया रात यीं लाश क दगड़ बिताण पव्ड़लि!अभि सिर्फ छै बजयां छा, पैल त लम्बी शाम बिताणि ह्वैलि फिर लम्बी रात फिर यख घंटो बोर हूण पव्ड़लु!यख राति सींणकु बिस्तरा भि नी और चरया तरफ तिलचट्टा घुमणा छन!सुबेर तक ठंड भि बड़ जांण पर ई दिक्कत त झेलणिं हि पोड़ली,।
भैर बर्फ क तूफान चलणु छा!वु स्वचणा छा कि वूंन क्या जिंदगि कि कामना करि और क्या मिल!जबकि वूंक उम्र का लोग आराम से शहर मा रंदिन, मस्ती से घुमणा छन, वु खराब मौसम से परेशान नि हूंदा अगर नाटक द्यखण चल जांदा या अपण घौर कि बैठक मा क्वी किताब पड़दा!अगर पुलिस कि नौकरि नि करदा!त शैद वी भि यै बखत पित्चिरबूर्ग म नेव्स्की रोड म घुमणा और मस्ती कना हूंदा और कै शानदार रेस्टोरेंट म जैकि बैठणा कु विचार कना हूंदा।
शूं….शूं…भैर तूफान चलणु और सराय कि दिवाल म क्वी चीज टकराणी छै!जैकि भद्दी अवाज भितर आंणी छै!तुम जु कारा सि कारा पर मि यख नि रूकण चांदु!स्तरचेंका कुर्सी से उठिक बोलि!अभि त छै हि बजयां छन मि कखि घूमिक अंदु थ्वड़ी दूर ताउसिन साब क घौर च!सिरन्या से बस तीन किलोमीटर ही दूर च!वूंकि यखि चल जंदु शाम वखि बितौंल!लशआदीन! जावा ,स्लेजगाड़ी वल थैं बता द्या कि वु अभि घ्वाड़ा नि खुलयां।
ई बोलिक स्तरचेंका न लीजिन से पूछि-त तुम क्या करला?
पता न पैल त कुछ देर पव्ड़लु फिर शैद से जौं!स्तरचेंका कमरा से भैर चल ग्या!थ्वड़ा देर तक वैकि अवाज आंणी रै
वु गाड़ीवान से बात कनु रै फिर वैकि गाड़ी चल गै!
ऐका बाद सराय क मालिक वख ऐ वैन लीजिन से बोलि-आपथैं यख रात नि बिताण चैंद!सराय क दुसर हिस्सा मा चल जावा!वा जगा साफ सुथरि त नी पर रात त बितै हि सकदौ!मि अभि गरम समोवार भ्यजदु,और आपक बिस्तर लगवै दिंदु!
थवड़ि देर बाद जांच अधिकारि चा पीणु छा और ग्राम सेवक वै से दरव्जा क पास खड़ ह्वैकि बतियांणु छाई! लशआदीन कि उमर साठ से ज्यादा कि लगणी छै!वु नाट कदकु पतल दुबल ग्वारू रंग क आदिम छाई!वैका मुखम हमेशा मुस्कान और आंखों मा कीच भ्वरीं छै, वु पोपला गिचकु छा, जब भि ब्वलदु छा त इन लगद छा जनकि वु लेमनचूस चूसणु ह्वा, वैका खुटों मा किरमिच का जुत्ता छा, वु हमेशा एक हथमा लाठि पकड्यूं रैंद छा!
जांच अधिकारि अभि जवान छाई और बुडया पर वै दया आंणी छै!इलै वु वै तुम बोलिक बुलांणु छा ।
गौं का मुखिया न मी से बोलि कि जांच अधिकारी जब आ त मि वूथैं खबर कैर दयूं!अब मिन वूंका पास भि जाण वूंक घौर तीन चार मील दूर च!तूफान भि चलणु च बर्फ भि कम नि हूणी!अधा रात से पैल पौछुल कि ना!
ना मुखिया कि क्वी जरूरत नि वैकु यख क्या काम?
लीजिन बड़ ध्यान से बुजुर्ग क जनै द्यखण लगि!बाबा ई बतावा तुम कबसे काम कना छा यख?
बस ई समझा तीस साल से ज्यादा समय ह्वै ग्या। फौज से आण क बाद मि ग्राम सेवक बण गयूं!अब हिसाब लगै ल्यावा!वै दिन से आज तक काम कनु छौं!सबुखुण त्यौहार हुंदिन पर मि दूसरों कि सेवा मा हि लगयूं रैंदु!लोग ईस्टर मनादां छन पर मि अपण थैला दगड़ इना उना घूमणु रैंदु!कभि बैंक कभि डाखना कभि मुखिया क घौर और कभि पंचायत मा!कभि जमींदारो क पास कभि काश्तकारो क पास!मि सभि लोगों से मिलण पव्ड़द कभि कै थैं पैकेट दींणकु कभि सूचना दींणकु ,कभि क्वी फार्म पौछांण कैकु, कभि फार्म वापस लीण च!कभि कभि क्वी जानकारि इकठ्ठा करदु साब आजकल त इन फार्म छन जौं अलग अलग रंग ना लिखयूं हूंद कै खेत मा कतगा बुवै ह्वाई, और कतगा फसल कटि!
किसानो क पास कतगा राई बाकि पव्ड़ी च!कतगा मण जई कतगा फूस बाकि च!पैल मी फार्म दीण पव्ड़द फिर भ्वरयूं फार्म वापस लीण पव्ड़द!जनकि मी अभि मुखिया क पास जाण ह्वाल!ई बतांण ह्वाल कि शव परीक्षण कि क्वी जरूरत नि ऐसे क्वी फैदा नि, बेकार म अपण हथ गन्दु करण से क्या फैदा?ई ठीक च कि यख अवा जरूरी भि छा कानून क पालन त करण हि पव्ड़द!
मि तीस साल से कानून क पालन कनू छौं!गर्मी मा क्वी दिक्कत नि तब जमीन सूखि और गर्म हूंद!पर सर्दियो मा भौत दिक्कत च!कै बेर त मि अकड़िक म्वरदा म्वरदा बचु!एक दा त डूबि ग्या छा!तरह तरह कि परेशानि से गुजरू!
एकदा त जंगल म कैन म्यांर बैग छीन च, मेरि पिटै भि ह्वै मि मुकदमा भि झयलण प्वाड़!
अरे मुकदमा किलै?
धोखेबाजी क मुकदमा।
धोखेबाजी क्या तुम धोखेबाज छा?
एकदा गिर्गोरिफ न ठेकेदार थैं कुछ तख्ता बेच दिनि बेमानि वैन करि, और मी भि फंसे ग्यों वैन मि वोदका लीणकु भेज द्या हालांकि मी पचास ग्राम वोदका भि मिलि!पर मुसीबत इन्नी आंद!मिथैं भि चोर और धोखेबाज बतयै ग्या!हम द्वियो पर एक हि मुकदमा चल वै सजा मिल भगवान कि कृपा से भि बच गयों!
कानून कि नजर मा मि सच्चू निकलु, आखिर अदालत क फैसला छा वु,आप थैं बतै दयूं जनाब हमर काम भौत मुश्किल च!जैंथै ई काम कनकि आदत नि भगवान न कौर वूंथै ई काम करण प्वाड़!म्वरण से भि मुश्किल च ई काम!पर हमखुण बच्चो क खेल जन च!कभी-कभार त काम हि नि हूंद त बैठ बैठिक खुट पटै जंदिन!वन भि घौर म बैठणु मुश्किल च!घौरम भि बेगार कन पव्ड़द, कभि आतिशदान जलावा कभि वीं खुण पाणि ल्याव कभि जुत्ता साफ करो,।
अच्छा ई बतावा तुमरि तनख्वाह कतगा च ? लीजिन न पूछ ,
साल भर मा चौरासी डालर मिलदन!
शैद ऊपरि आमदनि भि ह्वैलि?
अरे ऊपरि आमदनि भि कख साब लोग चा का पैसा भि कभि कभार हि दिंदिन!साब लोग अब सख्त ह्वै गीं फाइल लेखि आवा त वु नराज ह्वै जंदिन!वंका समण टव्पला उतारा त नराज, कभि कभि त टोक भि दिंदिन कि तुम वै दरव्जा से किलै नि ऐ,कभि बव्लदिन तु शराबी कबाबी छै!कभि बव्लदिन कि प्याज क जन बदबू आंद त्वै मा कभी उल्लू गधा कु बच्चा, हां कुछ दयालु भि छन वु सिर्फ नौं बिगाड़िक बुलंदा छन, जन कि अल्तूखिन साब थैं हि ल्या इन दहाड़दिन कि खुद वूंक समझ म भि नि आंद क्या बुना छन!
यी बोलिक ग्राम सेवक क धीरे से कुछ बोलि, क्या बुनू छै फिर बोल।
सरकार ग्राम सेवक न बोलि पिछला छै साल से वु मी इन्नी बुलंदिन, बव्लदिन राम राम सरकार, मि नाराज नि हूंद!जु च ठीक च,कभि कभार इन भि हूंद क्वी अफसराणि वोदका क एक ग्लास मि पकडैं दींद और दगढ़ मा द्वी कचवरि भि त मि वींक सेहत खुण वु जाम पी जंदु!ज्यादातर त किसान हि मी पींणकु दिंदिन वु भौत दयालु हुंदिन वु भगवान से डरदांन क्वी रवट्टि दींद क्वी सब्जी और क्वी क्वी त वोदका भि!अब द्याखा जब गवाह चा पींण कु गैं त मी भि पैसा देकि गैन!मि से ब्वाल कि मि ऊंका घ्वाड़ों क ध्यान रखूं ,ऐ अनजान जगा वु घ्वाड़ों थैं यखुलि नि छव्डण चांदा छा,ब्यालि वूंन न कि पैसा दिनि बल्कि शराब भि पिलै!
और त्वै डैर नि लगद?
डैर त लगद पर क्या कन?
म्यांर काम ही इन च,पिछल गर्मियों म एक मुजरिम थैं शहर लिजांणु छा कि वैन रस्ता म मेरि मूंण पकड़ द्या, चरया तरफ खेत हि खेत, मि क्या करदु?ई हालत च देख ल्याव यूं लिसनीत्सकी साब कि!जौन अपथैं गोली मार!मि वूंथैं बचपन से जंणदु छौं !वूंका ब्वै बबा थैं भि!
मि निदशोतवा गौं कु छौं और लिसनीत्सकी साब क परिवार हमर गौं से पंद्रह सोलह किलोमीटर दूर च हमरा खेतुं कि मेड़ से मेड़ मिलीं च!हम एक दुसरा का पड़ोसी छाया!वूंकि एक भैंण भि छै वा भगवान म विश्वास रखणवली भौत दयालु छै!भगवान वींक आत्मा थैं शान्ति दे। वींकि हमेशा भौत याद आंद!वींन ब्यो नि करि, और म्वरण से पैल अपण जैजाद साधुओं और मठ क नौ करि गै!सौ हेक्टेयर जमीन छै!ऐक अलावा द्वी सौ हेक्टेयर जमीन गौं का किसानो थैं दे ग्या!लेकिन वैका भाई न यानि कि लिसनीत्सकी साब क पितजी न वसीयत का कागजात अलाव मा जलै दिन!
और सरया जमीन अपण पास धैर द्या, बड़ा लिसनीत्सकी साब सोचणा छा कि वीं जमीन मा वु अब खेती करला पर इन नि ह्वै, ग्राम सेवक न गैरि सांस ल्या, अगनै सुनाण लगि दुनिया म झूठ ज्यादा दिन नि टिकदु, बड़ा लिसनीत्सकी साब भि बीस साल तक आपा मा नि छा वूं थैं गिरजा से भि निकलै ग्या!कैन भि वूंक म्वरण मा आत्मा कि शांति खुण प्रार्थना नि कैर!भौत म्वाटा छा वूंक पेट फटि गै बस्स!बाद म वूंका नौना सियोर्जा से सरकार न सम्पत्ति जब्त कैर द्या, किलैकि वैका बुबा पर भौत कर्ज ह्वै ग्या छा, खैर जु ह्वै सु ह्वै, पढै लिखै वैन कैरि नि छै, त वैक चचा न अपण यख काम पर धैर द्या, वैक चचा गौं कि पंचायत कु मुखिया छा, वैन वै थैं बीमा एजेंट बणै द्या, सियोर्जा जवान छा,पर भौत घमंडी वु शान हे रैंण चांद छा!किसानो कि बात करण वु अपण शान क खिलाफ समझदु छा!बग्घी म बैठिक वु किसानो दगड़ बात भि नि करदु छाई!सिर्फ भयां द्यखणु रैंद छा क्वी कन्दूड क पास ऐकि ब्वलद सेगर्य सेर्गेइच त वु चौंकिक वै जना देखिक आ…..बोलिक फिर भयां द्यखण लगि जांद छा! अब वैन आत्महत्या कैर याल, जनाब ई ठीक नि मेरि समाज नि आणु भगवान कि दुनिया मा ई क्या हूणूच?इन ब्वले जा कि त्यार बुबा अमीर च और तु गरीब त नाराजगि पैदा हूंद!लेकिन त्वै गरीबी मा जिंदगी बिताण कि आदत डलणि छै!कभि मि भी ढंग से रैंद छा,म्यांर पास भि द्वी घ्वाड़ा छा,तीन गौड़ा, और बीस भेड़, समय क साथ म्यांर पास सिर्फ थैला रै ग्या!और ई भि म्यांर नि सरकार क च,और आज निदशोतवा गौं मा म्यांर घौर सबसे खराब हालत मा च!इन त हूणू हि रैंद जिंदगी मा!कभि राम क पास चार कोचवान छा आज वु खुद कोचवान च!कभि श्याम क पास चार मजदूर छा आज वु खुद मजदूर च!
अच्छा तेरि ई हालत कनकै ह्वै?
जांच अधिकारि न पूछ,
म्यांर नौना भौत शराब पींण लगिन इतगा कि बतयै नि जा सकद!लीजिन सोचणु छा कि देर सुबेर वु मसक्वा चल जालु और ई बुजुर्ग यखि घूमणु रालु,जिंदगी मा तरह-तरह क लोगों से मिलण पव्ड़लु गन्दा गन्दा गरीब लोगों से जु अपणि जिंदगी म कुछ नि कैर पाया!जौन जिंदगी मा पांच कोपेक ही कमैं,पर जौंका दिल मा विश्वास च कि झूठ क बल पर जियै नि जै सकद।
लशआदीन कि बात सुणदा सुणदा लीजिन थक गै!वैन बिस्तरा बिछाण कु फूस ल्याण क बोलि, हालांकि सराय मा लोया क पलंग भि छा जै मा कंमलु भि प्वडयूं छा, वै पलंग थैं यख लयै जा सकद पर वै पलंग क पास तीन दिन से लाश पव्ड़ी छै,वैकि लाश जु भ्वरण से पैल वै पलंग मा हि प्वडयूं छा,लीजिन थै वैमा सीणु ठीक नि लग,अभि साढै सात हि बजणा छा,घड़ी मा एक नजर डालिक लीजिन न स्वाच कतगा बुरि बात च,वु सींणु नि चांद पर क्वी काम नि हूण से वु बिस्तर मा पोड़ ग्या!लशआदीन सराय मा भांडा उठैकि इनै उनै घुमणु छा,
वैन लालटेन उठै और भैर चल ग्या, पिछने से वैका सफेद बालों म नजर डालिक लीजिन न सोचि कै नाटक मा काम करणवल लगणू ई आदिम, भैर अंधयर ह्वै ग्या खिड़की क भैर बर्फ कि सफेदी झलकणी छै, शूं शूं तूफान भि गाणु छा,
इन लगणु छा कि जनकि सराय कि परछत्ती मा क्वी कज्याण रूणी ह्वा, अचानक सराय कि दिवाल मा चोट सि सुणै दे धप्प!एकदा फिर धप्प !जांच अधिकारी कन्दूड लगैकि सुनण लगि, ई आवाज तेज हवा क चलण से हूणी छै,ठण्ड बड़ गे वैन कम्बल मा ओवरकोट भि डाल द्या थ्वड़ा गर्मी मिलण से वु फिर स्वचण लगि!
इन जिंदगी कभि नि सोचि छै मि सराय मा और भैर तूफान चलणु ह्वा!वै कै बुजुर्ग आदिम से बथा कैरिक वक्त कटण पव्ड़लु, वैका बराबर मा लाश पव्ड़ी ह्वा!ई बथा वै जीवन से भौत दूर छै जन वु जींण चांद छा!अगर ई आदिम मसक्वा मा म्वरदु त वैकि जांच कन पव्ड़दि त ई दिलचस्प मामला हूंद!पर यख मसक्वा से हजारों किलोमीटर दूर इन लगणु जन दुसर जीवन ह्वा, बल्कि जीवन ही नि ह्वा, टैम यख बेकार गुजरणु च लशआदीन त ब्वलद सब भूल जौंला जब लीजिन सीरन्या से निकल जौला सीरन्या छोड़िक वै कुछ याद नि रैंण!असली जीवन त मसक्वा म च,यख त जन जेल ह्वा, जब आपक मन कु क्वी सुपिन ह्वा, लोकप्रिय हूण चंदौ सरकारी वकील या जांच अधिकारी हूण चंदौ कुलीन और भद्र लोगों क बीच अपण लिखांण चंदौ त आपथैं सिर्फ मसक्वा याद आंद!मसक्वा क जीवन ही असली जीवन च,
यख क्या च?वी उबाऊ जीवन जैका तुम आदी ह्वै जंदौ फिर ई उम्मीद कै तरह भि ई जिंदगी बीत जा।
लीजिन अपण विचारों मा डूबिक मसक्वा पौंछ ग्या!और ऐ बगत वु मसक्वा कि सडकियूं मा घुमणू छा अपणि जाण पछयाण वलि जगों मा आंणु जाणौ छा,अपण दगडयों और सहयोगियों से मिलणु छा सोचणु छा कि अभि वु छब्बीस साल क च, अगर पांच दस साल बाद भि वु मसक्वा पौंछ जा तब भि देर नि ह्वै, वु निंद म डुबण लगि!वै मसक्वा कि अदालत का बड़ बड़ गलियारा दिखेंणा छा!वु अपथैं अपणि भैणों क समणि भाषण दींद द्यखणु छा, बैण्ड कि अवाज सुणेणी छै जन वु क्वी धुन बजाणु ह्वा, शूं…शूं…..। अचानक ढोल बजण कि अवाज सुनैण लगि ढम ढम ढम!वै अचानक याद ऐ एकदा पंचायत भवन म जब वु क्लर्क से बात कनू छा वैन क्वी आदिम देखि, दुबल पतल पीलु मुख आंखा और लटुला काला ,वैका आंखा अजीब छा जनकि वु खाण खाणक बाद देर तक सियूं रै हवल!वैन गमबूट पैरयां छा, जु ढीला ढाला छा, पंचायत क क्लर्क न वैसे म्यांर परिचय करै,जी यी हमर पंचायत बीमा क एजेंट च!शैद वु लिसनीत्सकी हि छा,वै लिसनीत्सकी कि धीमि अवाज और चाल ढाल याद ऐ गै!वै लगणु छा कि जन वु आसपास हि घुमणू ह्वा, अचानक वु डैर से सिहरिक बोलि यख को च?
ग्राम सेवक।
तु अभि तलक यखि छै?क्या कनु छै?
साब मि पुछण चंदु कि आपन बोलि कि मुखिया बुलांण कि जरूरत नि मी डैर लगणी कखि वु मी पर नराज नि ह्वै जा!वु आंण चंदिन बुलै लयूं क्या?
अरे जा भै म्यांर दिमाग न खराब कैर लीजिन न खीजिक बोलि कंबलु ओड़िक पोड़ ग्या,
जनाब वु नराज ह्वै जाला,ठीक च मि जांदु छौं आप अराम से से जावा!लशआदीन भैर चलि ग्या, भैर कुछ लोग हंसणा छा और धीरे धीरे बतयांणा छा,।
गवाह शैद वापस ऐ गैं जांच अधिकारी न सोचि भोल यूं थैं पैल छोड़ दयूंल, जनि सुबेर होलि, हम पोस्टमार्टम क काम शुरू कैर दयूला, जन हि वु सींण लगि अचानक फिर कैका खुटों की अवाज ऐ,इन लगणु जनकि क्वी जोर-शोर से चलणु ह्वा भाग दौड कनु ह्वा!बनि बनि कि अवाज आणी छै तबि कैन भक्क से जन माछिस कि तिल्ली जलै ह्वा, डाक्टर स्तरचेंक तिल्ली मा तिल्ली जलाणु छाई और थ्वड़ी नाराजगी मा पुछणु छा आप सीयां छा?
स्तरचेंका बर्फ से ढकियूं छा,जनकि ठंड वैसे हि निकलिक भैर आणी ह्वा सियां छौ क्या?उठा जमींदार ताउसिन क घौर जाण, वूंन अपणि स्लेज भिजवंई च आपकु, चला चलदा छौं!वख कम से कम खाणु त मिल जाल!और मनिखों जन से भि सकदौं!द्याखा मि खुद लीणकु औं,बड़िया घ्वाड़ा छन बीस मिनट म वैक घौर पौंछ जौंला,
अभि क्या टैम च?
सवा दस बजयां छन!
लीजिन न निंद से उठिक गमबूट पैरिक पोस्तीन पैर मफलर लगै टवपल पैर और सराय क भैर ऐ ग्या!हवा ठंडी छै हवा क वजा से बर्फ बादलों जन उडणी छै, जनकि बादल डैरिक भगणा ह्वा, सराय क प्रवेश द्वार क छप्पर क पास बर्फ का ढेर लगयां छा, डाक्टर और जांच अधिकारी स्लेज म बैठ गिन,स्लेज मा जुतयां घ्वाड़ो थैं हकणवला बर्फ न ढकियूं कोचवान न पिछनै ऐकि पर्दा बंद कैर दिन।जैसे हवा आण बंद ह्वै ग्या। चल भै!
स्लेज गौं का रस्ता मा चलण लगि जांच अधिकारी थैं घ्वाड़ा क खुटों कि अवाज न एक गीत याद ऐ गै,
गौं का चरया तरफ बसयां घौर मा लालटेन जलीं छै!इन लगणु छा जन क्वी त्यौहार!सब्या किसान जगयां छा, किलैकि वूंथै डैर छा कि आत्महत्या कलणवल कु भूत ऐ सकद!कोचवान उदास और चुप छा,शैद बु सराय क पास देर तक खड़ रैकि ऊब ग्या छा!वु अभि भूतों क बार मा सोचणु छाई,
स्तरचेंका न अचानक बोलि-जब जमींदार साब थैं पता लगि कि आप सराय मा यखुलि रात बितौणा छां त वूंका घौरका सब्या लोग मी पर नराज ह्वैं कि मि आपथैं दगड़ मा किलै नि ल्या!गौं का भैर निकलदा हि कोचवान चीखिक बोलि-बचिक अरे भै देखिक चला।
सड़किम एक आदिम कि आकृति दिखै दे घुटनो तक बर्फ म ढकियूं जु वूंकि स्लेज गाड़ी द्यखणु छा,जांच अधिकारी थैं वेकि लाठी और बगल मा बैग दिखि, वै लग कि वु लशआदीन छा यख तक लगि जनकि वु मुस्कराणु ह्वा, एक क्षण कु दिखै वु फिर गैब ह्वै ग्या!
स्लेज जंगल किनर किनर फिसलकि जाणी छै, पुरणा चीड़ का डालों और नै भोजवृक्ष औ और ऊंचा बलूता क डालों का नजदीक से स्लेज अगनै बढ़णी छै!तबि हाल का हि कटयां डालों क ढेर दिखि, सरया वातावरण बदल गै, चरया तरफ बर्फ का ढेर दिखेणा छा कोचवान न बतै कि वूंकि स्लेज जंगल से गुजरणी च!पर घ्वाड़ों कि अवाज क अलावा कुछ नि सुनैणु छा, वै पीठ म तेज हवा लगि, अचानक घ्वाड़ा रूक गैं।
क्या ह्वाई भै?नराज ह्वैकि स्तरचेंका न पूछि!
कोचवान सीट से उतरि और स्लेज क चारों तरफ चक्कर कटण लगि!बर्फ क ढेरू मा वु लडखडै कि चलणू छा और स्लेज क चारों ओर से अपण घेरा बड़ान्द रै और लगातार स्लेज से दूर हूणु छाई इन लगणू जनकि नचणु ह्वा थोडि देर मा वु लौट ऐ, स्लेज थैं दैण तरफ मोड़ना कि कोशिश कन लगि!
मियां रस्ता भटिकि गौ क्या?
स्तरचेंका न पूछि,
ना ,ना।तभि एक गौं दिखया गौं मा एक भि बत्ती नि जलणी छै, स्लेज फिर जंगल से से गुजरण लगि। ऐका बाद फिर खेत और मैदान ऐ गैं, स्लेज फिर रस्ता भटिक गै कोचवान फिर से अपण सीट से उतरि स्लेज क चरया तरफ नचण लगि। तीन घ्वाड़ो वलि स्लेज फिर बर्फ मा फिसलण लगि। घ्वाड़ा हंफण लगिन अब स्लेज जै जगा पौंछ वख तेज हवा चलणी छै, जैसे डालों क हिलण डुलण से शोर पैदा हूणू छा शोर सूणिक डैर लगणु छा, कुछ भि दिखेणु नि छा, अचानक घ्वाड़ा एक दिशा म भगण लगीं, तेज उज्यल दिखेण लगि जु आंखियूं मा चुभणु छा, एक बंगला कि खिड़की से उज्यल भैर आणु छाई, कुकरों क भुंकणा कि अवाज आणी छै, तभि कुछ लोगों कि अवाज सुणै, इन लगि कि जन स्लेज शै जगा पौंछ गै,जब यूं लोगों न देली मा घुसिक अपणा भारी भरकम जुत्ता और कोट उतरीं, ऐंच कि मंजिल से एक फ्रांसिसी गीत कि धुन सुणै दे, बच्चो कि उछलना कुदणा कि अवाज आणी छै, घौर म घुसिक गर्मी क अहसास ह्वै, लगणु छा जन कै पुरण जागीरदार क बंगला मा पौंछ ग्यों, इना बंगलों मा ई नि पता चलद कि भैर मौसम कन च।ई हमेशा गरम रंदिन, साफ सुथर और आरामदायक हुंदिन ।
वा वा पौंछ ग्यो जागीरदार ताउसिन भैर निकलिक बोलि, मोटी मूंण और बड़ी तोंद वल जागीरदार न जांच अधिकारी से हथ मिलैकि बोलि आवा, आवा तशरीफ लावा आपसे मिलिक भौत खुशी ह्वै वन भि आप और मि एक हि पेशा वला छवां मी भि कभि सरकरि वकील छाई, हालांकि मिन वख द्वी साल हि काम कैर फिर नौकरि छोड़िक यख गौं मा ऐ ग्यूं। यखि रैंद रैंद बुडया ह्वै गंयू, खैर भितर चला ताउसिन धीमि अवाज म ब्वलण कि कोशिश कनू छा।ऊपरि मंजिल मा पौंछिक, मि त छड़म छड़ु छौं मेरि घरवली कबकि मोर ग्या, और मेरी द्वी नौनि छन यूं से मिला।
इतगा बोलिक वैन पिछनै देखिक तेज अवाज म बोलि-वख जरा इग्नात थैं बतै द्या कि सुबेर आठ बजि तक चा लगै द्या ।
मथि हाॅल मा वैकि चार नौनि बैठीं छै चरया सुंदर और जवान ।चरयों न सलेटि रंग कि अलग अलग डिजैन का कपड़ा पैरयां छा,लटलों क स्टैल एकजन छा, वूंकि चचेरि भैंणि भि अपड़ बच्चो दगड़ वखि बैठीं छै।या भि जवान और सुंदर छै।
स्तरचेंका वूंसे पैल से हि जणद छा, इलै वैन क्वी गीत सुनण कि इच्छा जाहिर करि, द्वी त बुनी रैं हमथैं नि आंदु और हमर पास गाणो कि डायरी भि नि। पर चचेरि भैण प्यानो क पिछनै बैठ ग्या, प्यानो क ढकणा उठैकि प्यानो बजांदा कौंपण वलि अवाज म “हुक्म कि बेगम”का द्वी गीत सुणै। फिर वा फ्रांसिसी धुन बजाण लगि और बच्चा खुटों न वै धुन मा थप थप कि अवाज कना छा स्तरचेंका भि नचण क मन हूण लगि। वु भि उछल कूद करण लगि सब्या वै जना देखिक हंसण लगीं। जांच अधिकारी जोर जोर से हंसणु छा,वु कर्दील नाच कनु छा और नौनि यों थैं लुभाण कि कोशिश कनू छाई, वु सोचणु छाई ई कन सुपिन द्यखणु मि?कख वा सराय क अंध्यर कमरा म फूस म प्वडयूं और तिलचट्टो कि अवाज