महान रसचिकित्स्क धन्वन्तरि
(भारतौ प्राचीन वैज्ञानिक – २२ )
संकलन – भीष्म कुकरेती
धन्वन्तरि चिकित्स्क तैं भारतीय पुराणों म देव पद प्राप्त च।
धन्वन्तरि रसचिकित्सा अनुसार धातुऊं म रोग निवारण की शक्ति च।
धन्वन्तरि क्षत्रिय वंश म नाई कुकुल कुल का मने जांदन। धन्वन्तरि महान चिकित्स्क छा व योग्यता पर धन्वंतरि तै देव पद दिए गे।
धन्वंतरि जन्म समुद्र मंथन वक्त ह्वे छौ व् दीपोत्स्व म धन तेरस क दिन पूजा हूंदी। यी दिन धन्वन्तरि न आयुर्वेद क प्रादुर्भाव करी छौ।
पुराण अनुसार यूंक पुत्र दिवोदास ह्वेन जॉन शल्य चिकित्सा क सर्व प्रथम विश्व विद्यालय स्थापित कौर छौ व महान शल्य चिकित्स्क ‘सुश्रुत’ तै अधिपति बणायी छौ।
सुश्रुत नुसार ब्रह्मा जीन एक लक्ष श्लोक से आयुर्वेद क शुरुवात करी। तब प्रजापति न पढ़ी फिर अश्विनीकुमार न पढ़ी व तब इन्द्रन पौध व इंद्र से धन्वंतरिन इंद्र देव से आयुर्वेद पौढ़ व तब सुश्रुत न आयुर्वेद क अध्ययन धन्वंतरि से करी छौ।
यद्यपि यु सब अलग अलग पुराणों म बताये गे। चरक संहिता व सुश्रुत संहिता धन्वंतरि अस्तित्व की बात करदन।
आज बि ख्यातिप्राप्र चिकित्स्क तै धन्वंतरि नाम दिए जांद।