महान खगोलशास्त्री व गणितज्ञ भाष्कराचार्य प्रथम
(भारतौ प्राचीन वैज्ञानिक -१९ )
संकलन – भीष्म कुकरेती
भास्कराचार्य प्रथम व द्वितीय मध्य भरम पैदा हूंद । भाष्कराचार्य प्रथम क जन्म सातवीं सदी म ह्वे अर इन बुल्दन बल भाष्कराचार्य प्रथम क जन्म बोरी गांव , परबहनी जनपद , महाराष्ट्र म ह्वे छौ। सही या अशुद्ध पता नी। भाष्कराचार्य प्रथम क जन्म ६०० िश्वि म ह्वे अर परलोकवास ६८० ईश्वी म ह्वे।
भाष्कराचार्य प्रथम तै आधारभूत शिक्षा ऊंको पिता श्रीन दे छौ। भास्कराचार्य पैलो गणितज्ञ छन जौन दाशमलविक भाषा प्रयोग शुरू कार व संख्याओं तै चित्र रूप म बताई जनकि –
एक =चन्द्रमा ; २ – पंख (युगल ); ५ = इन्द्रियां ,.
भाष्कराचार्य प्रथम न आर्यभट्ट क ग्रंथों पर टीका लिखेन अर दगड़ म अपर गणित क सिद्धांत बि देन। सं ६२९ म भास्कर प्रथम न ‘आर्यभट्टीयभाष्य ‘ रच जु प्रथम गणित व खगोलशास्त्र क संस्कृत गद्य ग्रंथ च।
भाष्कर प्रथम क तीन मुख्य अभिनव योगदान छन –
भाष्कर प्रथम न आर्यभट्टीयभाष्य म चार समीकरण अर त्रिकोणमतिय पर विचार कार।
भास्कराचार्य प्रथम कु काम महाभास्करीय गणित व लघु भ्सकरीय ग्रंथ व खगोल विज्ञानं म मिल्दो। यूं द्वी ग्रंथों अरबी म अनुवाद बि ह्वे।
भास्कराचार्य न sin x क पर्याप्त शुद्ध माप कार जो निस्संदेह विज्ञानं क वास्ता देन च।
- ख्यादिरहितं कर्मं वक्ष्यते तत्समासतः।
- चक्रार्धांशकसमूहाद्विधोध्या ये भुजांशकाः॥१७
- तच्छेषगुणिता द्विष्टाः शोध्याः खाभ्रेषुखाब्धितः।
- चतुर्थांशेन शेषस्य द्विष्ठमन्त्य फलं हतम् ॥१८
- बाहुकोट्योः फलं कृत्स्नं क्रमोत्क्रमगुणस्य वा।
- लभ्यते चन्द्रतीक्ष्णांश्वोस्ताराणां वापि तत्त्वतः ॥१९ (महाभास्करीय )
भास्कराचार्य न अभाज्य संख्या p कुण १ +(p -१ ) प्रमेय बि पैली बार दे छौ जैतै अब विल्सन प्रमेय बि बुल्दन।
गणितज्ञ भास्कर न एक प्रमेय दे छौ जैतै अब पेल समीकरण बुल्दन ८ x वर्ग – १ – य वर्ग
महाभास्करीय एक खगोल शास्त्र क ग्रन्थ च। जैमा आठ अध्याय छन।
भास्कर प्रथम तै सम्मान दीणो भारत सरकार न एक उपग्रह क नाम भास्कर देखी उड़ाई।