संकलन – भीष्म कुकरेती
नाट्य निदेशक/वरिष्ठ थिएटर अभिनेत्री /फिल्म निर्देशक / लेखिका/ संपादक/ क्यूरेटर/ कोरियोग्राफर/ लाइट डिजाइनर (नाटक)/ संगीत डिजाइनर (नाटक)
पिता का नाम : स्वर्गीय श्री बख्तावर सिंह रावत
माता का नाम : स्वर्गीय श्रीमती शाकम्बरी देवी
तीन बहनों और एक भाई में सबसे छोट्टी बेटी,
मुड्डी बनास, पोस्ट ऑफिस किमसार, पट्टी उदैपुर, यमकेश्वर,
ससुराल : पति : श्री दलबीर सिंह रावत, ग्राम :लखोली, पोस्ट ऑफिस : पोखरा, पट्टी तलाई , पोड़ी गढ़वाल
दो बच्चे : बेटा : होटल व्यवसाय, बिटिया – पीएचडी( उत्तराखंड के बदी )
प्रगतिशील रंगमंच समूह प्रज्ञा आर्ट्स, दिल्ली की संस्थापक लक्ष्मी रावत पिछले 33 वर्षों से रंगमंच में सक्रिय हैं। उन्होंने करीब 25 से अधिक नाटकों में अभिनय किया है। एक्स्ट्राऑर्डिनरी ग्रेड्स के साथ श्री राम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स एंड कल्चर, नई दिल्ली से अभिनय में दो साल का डिप्लोमा प्राप्त करने बाद आपने विभिन्न प्रतिष्ठित निर्देशकों बंसी कौल (पदमश्री), हबीब तनवीर (पदमश्री), सत्यब्रत राउत (राष्ट्रपति पुरस्कार), मुस्ताक काक (राष्ट्रपति पुरस्कार और पूर्व निदेशक एसआरसी, नई दिल्ली), सतीश आनंद (डीन, मारवाहा स्टूडियो) के साथ काम करने का सम्मान प्राप्त किया ।
लगभग 22 नाटकों का निर्देशन आपके द्वारा किया जा चुका है । आपके निर्देशित नाटकों ने
- भारत रंग महोत्सव-25, राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय (देश का सबसे बड़ा नाट्य महोत्सव)
- भारतेंदु नाट्य उत्सव (दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित सबसे बड़ा नाट्य महोत्सव)
- भारतमुनि नाट्य उत्सव, साहित्य कला परिषद, दिल्ली सरकार
- उर्दू अकादमी नाट्य उत्सव, दिल्ली सरकार
- गढ़वाली कुमाऊं जौनसारी अकादमी दिल्ली सरकार
- अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन, नेपाल
- उत्तराखंड, जयपुर आदि कई थिएटर समारोहों में प्रसिद्धि प्राप्त की है।
वह कई टेलीविज़न धारावाहिकों से भी जुड़ी रही हैं, उन्होंने दिल्ली दूरदर्शन, लखनऊ दूरदर्शन, असम दूरदर्शन, छत्तीसगढ़ दूरदर्शन, राजस्थान दूरदर्शन आदि के लिए भी कई टेलीफ़िल्म्स किए हैं। इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, कनाडा में उन्हें क्रिटिक अवार्ड विजेता, फ़िल्म जीत में उनके प्रदर्शन के लिए जूडी अवार्ड से सम्मानित किया गया। आपने अपने अभिनय से उत्तराखंड के क्षेत्रीय सिनेमा में एक अलग जगह बनाई है। लक्ष्मी आकाशवाणी दिल्ली की कलाकार हैं ।
निर्देशक, पटकथा लेखक और अनुवादक के रूप में बेखुनी कु छेल (गढ़वाली)- फीचर फिल्म, दही (लघु फिल्म), अहिल्या “एक जीवित पत्थर” लघु फिल्म का निर्माण किया है
2009 में इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र दिल्ली द्वारा उत्तराखंड राज्य के खूबसूरत चमोली क्षेत्र में होने वाली लोक सम्पदा रम्माण को विश्व सांस्कृतिक विरासत (वर्ल्ड कल्चरल हेरिटेज, UNESCO) में जोड़ा गया जो उत्तराखंड के लिए एक बहुत बड़ा सम्मान था। आप उस परियोजना की समन्वयक थी ।
संस्कृति मंत्रालय की कई उत्तराखंड से सम्बंधित परियोजनाओं की आप समन्वयक रही जैसे :-
- उत्तरायणी,
- उत्तराखंड की रामकथा ,
- बेडा-बेड़ी समुदाय,
- भाना -गंगनाथ
- हिलजात्रा
- काली नदी
- बाकणा – उत्तराखंड की परम्परा
पिछले कई वर्षों से कई सांस्कृतिक और लोक उत्सवों की आप समन्वयक रही हैं । ना सिर्फ हिंदी बल्कि उत्तराखंड की पृष्टभूमि पर भी कई नाटक किये जो मीडिया में भी समय-समय पर चर्चित रहे। जिनमें चल अब लौट चलें (पलायन ) कै जावा भेंट आखिर (पलायन) जीतू बगड्वाल (उत्तराखंडी लोकगाथा) भूत (जौनसारी कहानी) तीलू रौतेली (उत्तराखंड की वीरबाला ) आदि प्रमुख हैं ।
आप देश भर के लोक कलाकारों की पसंदीदा समन्वयक हैं । जहाँ अरावली पर्वत के आदिवासी आपको मां बुलाते हैं, वहीँ मध्य प्रदेश के उन्हें गुरुमा के नाम से पुकारते है। दिल्ली, नोएडा और उत्तराखंड में कई जन मीडिया विद्यालयों के संकाय की आप सदस्य हैं।
कुछ वर्षों से आप नाटक पर कार्यशालाओं के आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रही हैं। आप उत्तराखंड के सुदूर गाँवों में जाकर बच्चों को रंगमंच के माध्यम से उनके व्यक्तित्व के विकास में मदद कर रही है।
2021 से लक्ष्मी रावत द्वारा उत्तराखंड का पहला व्यसायिक कैलेंडर बनाया गया जिसने देश विदेश में उत्तराखंड के लोगों के दिल में बहुत कम समय में जगह बनाई।
लक्ष्मी जी आने वाले समय में मीडिया के कई प्रोजेक्ट में भी जुडी हैं। डव, उत्तराखंड टूरिज़म आदि के विज्ञापनों में आप नज़र आएँगी। जल्द ही वो Amazon Prime वेब सीरीज एवं फिल्मों में भी दिखाई देंगी। उन्होंने कई टीवी सीरियलस जैसे एक नज़र की तमन्ना, तुम्हारा इंतज़ार है आदि में कार्य किया है
बतौर लेखक
संस्कृति मंत्रालय की परियोजना के तहत आप उत्तराखंड की स्वर कोकिला स्वर्गीय कबूतरी देवी जी पर एक पुस्तक
संपादक के रूप में डॉ बिहारी लाल जालंधरी जी की लिखित पुस्तक उत्तराखंड की संस्कृतिक विरासत : 2025 में विश्व पुस्तक मेले में उपरोक्त पुस्तक पर चर्चा .
समन्वयक (आईजीएनसीए, संस्कृति मंत्रालय)
- हुनर खोज – बा,बापू या शिल्पकला (2019)
- लोकगाथा उत्सव – दिल्ली (2017)
- लोकगाथा उत्सव – चित्रकूट (2016)
- रामलीला – मानवता की अमूर्त विरासत की उत्कृष्ट कृति का जश्न मनाने वाला उत्सव (2015)
- पूर्वोत्तर भारत का स्वदेशी रंगमंच उत्सव (2011)
- जय उत्सव: महाभारत की जीवंत परंपराओं का उत्सव (2011)
- आख्यान: भारत में मुखौटे,कठपुतली और पोर्ट्रेट शोमैन परंपराओं का उत्सव (2010)
- ब्रज महोत्सव (2009)
- अक़ीदत के रंग – हिंद इस्लामिक तहज़ीब के संग (2008)
- राम कथा की जीवंत परंपराएँ (2008)
- कौथिक – गढ़वाल का उत्सव (2008)
सांस्कृतिक समन्वयक (संस्कृति मंत्रालय)
(i) रामकथा और महाभारत की जीवंत परंपराएँ
(ii) अनहद नाद: पंजाब की संगीतमय विरासत
(iii) अक़ीदत के रंग: इस्लाम में भक्ति के प्रदर्शन और अभिव्यक्तियाँ
(iv) शहरी परिदृश्य में उभरने वाले अनुष्ठान जिन्होंने क्षेत्रों को बदलना शुरू कर दिया:
छठ पूजा, कांवरिया, दुर्गा पूजा, उत्तरायणी
समन्वयक (सांस्कृतिक कार्यक्रम)संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
- रामलीला-महाकाव्य प्रक्रियाओं पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन: गतिशीलता,संरक्षण और सौंदर्यशास्त्र (2015.)
- महाभारत की जीवंत परंपराओं पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (2011)
- पूर्वोत्तर भारत के स्वदेशी रंगमंच पर राष्ट्रीय संगोष्ठी (2011)
- पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच अंतर-सांस्कृतिक संवाद पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला (2010)
- अनहद नाद – पंजाब की आत्मा का जश्न मनाने वाला राष्ट्रीय सम्मेलन (2008)
- अकीदत के रंग – इस्लाम में भक्ति की अभिव्यक्तियाँ (2008)
- राम कथा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन: संकेतन,मंचन और कहावत (2008)
प्रदर्शनी समन्वयक
- आख्यान: भारत में मुखौटे,कठपुतली और पोर्ट्रेट शोमैन परंपराएँ
- पवित्र भूगोल और प्रदर्शन: महाभारत की जीवंत परंपराएँ
रामलीला के समन्वयक
छह महीने में 12 पारंपरिक रामलीलाओं का दस्तावेज़ीकरण।
लक्ष्मी नाटकों के साथ-साथ सामाजिक क्षेत्र से भी जुड़ी हैं। वह उपाध्यक्ष, उत्तराखंड लोक मंच, अध्यक्ष, स्त्री शक्ति (जिसके तहत आप उत्तराखंड के गॉंवों में जाकर महिलाओं को शारीरिक एवं मानसिक रूप से शिक्षित कर रही हैं।) के साथ-साथ पलायन एक चिंतन (प्रवास) से भी जुड़ी हैं। 2013 में केदारनाथ आपदा में, उन्होंने संकटग्रस्त लोगों को राहत सामग्री प्रदान करने के लिए केदार घाटी में 14 दिनों तक काम किया। सेमिनार के अलावा, विभिन्न स्थानों पर पैदल यात्राएं, उत्तराखंड में रिवर्स माइग्रेशन और साथ ही पहाड़ के विकास में प्रवासी लोगों की भूमिका और संभावनाओं पर चर्चा करते हुए, प्रवास के ज्वलंत मुद्दे को सामने रखने की कोशिश करना उनके कार्यों में सबसे अधिक है।
सम्मान
गोरा देवी सम्मान -2016
भरतमुनि नाट्य सम्मान-2015
द्वितीय राष्ट्रीय महिला उद्यमी पुरस्कार, 2019 by WE Faimly
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस -2014 and 2018 by Uttrakhand Jan Morch
युवा उत्कर्ष सिने पुरस्कार 2012- सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री
पंचानंद पाठक स्मृति सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार -2014
कोमल पहूजा स्मृति सम्मान सर्वश्रेष्ठ अभिनेता -2014
कोमल पहूजा स्मृति सम्मान सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार -2014
पंचानंद पाठक स्मृति सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन -2015
पंचानंद पाठक स्मृति सर्वश्रेष्ठ प्रोडक्शन -2016
साहित्य कला परिषद – सम्मान कानून और न्याय, गृह, पर्यटन और कला और संस्कृति मंत्री श्री जितेन्द्र तोमर द्वार 27 अप्रैल 2015,
निर्देशन (हिंदी नाटक ) : करीब 25 नाटक
निर्देशन (उत्तराखंड के नाटक )
- गढ़वाली नाटक : तीलू रौतेली (उत्तराखंड की वीरबाला )
- जीतू बग्द्वाल
- चल अब लौटी जोला
- कै जावा भेंट आखिर
- ल्यावा बंनेयाल हमल भी फिल्म
- अदालत
- जै जिया (इस वक्त रहर्शल चल रही है )