सार्वजनिक औषधि पादप वनीकरण – 21
उत्तराखंड में पर्यटन व आतिथ्य विपणन प्रबंधन -भाग 226
लेखक : भीष्म कुकरेती (विपणन व बिक्री प्रबंधन विशेषज्ञ )
लैटिन नाम Prunus dulcis
संस्कृत आयुर्वेद – बतादा
अन्य नाम – बादाम
पादप वर्णन –
वृक्ष उंचाई – 4 से 10 मीटर तक
तना गोलाई सेंटीमीटर – 30
पत्तियां आकार – चौड़े , दाँतदार
पत्तियाँ लम्बाई चौड़ाई cm – 8 -13
फूल रंग , आकार – सफेद से गुलाबी ,
फल रंग आकार – ड्रुप , 3 .5 -6 cm लम्बा बीच में गोल, किनारे कोनेदार , गुठली से बाहर गूदेदार
गुठली बीज रंग – कई रंग विशेष मटमैला
बीज आकार – मटमैला कत्थई , कुछ कुछ अंडाकार किनारे कोनेदार
समुद्र तल से भूमि उंचाई – मीटर
मिट्टी प्रकार
नमता , धूप , इत्यादि – तापमान – , धुप व 15 अंश c से 30 अंश सेल्सियस
वर्ष में एक बार शीत आवश्यकता
आर्थिक उपयोग
उपयोगी लकड़ी – हाँ
चारा – बकरी व मछली
अन्य उपयोग – पत्तल बनाने हेतु , तेल -लुब्रिकेंट हेतु , रंग
औषधि उपयोग
औषधि में पादप अंगों की उपयोगिता
दाना
बीज
रोग व औषधि उपयोग
स्मरण शक्ति वर्धक
सम्भोग शक्ति वर्धक
क्षीण कमर दर्द हेतु
महावारी उपचार
सरदर्द , अधकपाली उपचार
कई मिठाईयों में उपयोग
बाहत से लोग कैंसर में उपयोग क्लेम करते हैं किन्तु मेडिकल जॉर्नल में उद्घृत नहीं
बजार में उपलब्ध औषधि नाम
बादाम तेल
जीवनीयदि घृत
अमृतप्राश घृत
जलवायु आवश्यकता
भूमि प्रकार – अम्लीय व क्षारीय से मध्यम तक
दुम्मट , बलुई , रगड़
फूल आने का समय – मार्च अप्रैल
फल तोड़ने का समय – फल बरसात में आ जाते हैं किन्तु अक्टूबर तक पकते हैं
बीज बोने हेतु भंडारी करण समय – शीघ्र व स्वयं भी उग जाते हैं
बीज बोन का समय – मानसून
भूमि प्रकार –
बलुई , रगड़ , दुम्मट
दलदल में नहीं होता , अधिक चुना भी लाभकारी नहीं
धुपेली स्थान सर्वोत्तम
बीज बोने/ गाँठ लगाने का की गहराई – 6 cm , सीधे फल भी अपने आप उग आते हैं
भूमि तैयार, बीजों के मध्य अंतर cm 6
अंकुर आने का अंतराल – 10 =15 दिन
रोपण का समय /गाँठ /जड़ कलम समय
रोपण कली की लम्बाई – 12 -20 cm
रोपण हेतु गहराई आवश्यकता – 15 -30 cm
गड्ढों में खाद आवश्यक है – प्रारम्भिक अवस्था
गड्ढों में अंतर – 2 x 2 मीटर , एक गड्ढे में दो बीज या रोपण भी सही है
वयस्कता समय – 3 वर्ष
कडुआ , मीठापन भूमि व जलवायु पर निर्भर करता है अतः विषेशज्ञों की राय आवश्यक
क्या बीज बोकर जंगलों में बोया जा सकता है – इस लेखक की राय है कि उत्तराखंड के गर्म इलाकों में बंजर धरती, रगड़ों में बोये जाने चाहिए जहां कम मिटटी हो , धूप हो . तापमान अधिक हो। बादाम की उगने की शक्ति अधिक है
कीड़ों , जीवाणुओं, चरान , अन्य जन्तुओं से बचाव आवश्यकहै इसलिए कृपया विशेज्ञों की राय लें
विशेषज्ञों की राय आवश्यक है
आईये राजनीतिज्ञों , अधिकारियों पर वन अधिनियम परिवर्तन हेतु दबाब बनाएँ ! सर्वप्रथम बन्दर , सूअर व अदूरदर्शिता भगाए जायं !